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देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को दून विश्वविद्यालय प्रांगण में पांचवीं विज्ञान और तकनीकी कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि पारम्परिक ज्ञान को सहेज कर इसे आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है। उच्च प्रौद्योगिकी का निर्माण और आयात स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। उच्च प्रौद्योगिकी के मामलों में अन्य देशों पर निर्भरता से कई कठिनाईयां आती है। मुख्यमंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता पुरस्कार 2010 भी प्रदान किया। इस वर्ष यह पुरस्कार रसायन विज्ञान के क्षेत्र में डॉ डीएस भाकुनी, भू-भौतिकी के क्षेत्र प्रो वीपी डिमरी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेम में डॉ बीके गैरोला को प्रदान किया गया।मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस में हिमालयी आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसा महत्वपूर्ण विषय रखना एक स्वागत योग्य कदम है। हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन को पूरे विश्व को गम्भीरता से लेना होगा। मुख्यमंत्री ने राज्य की जैव विविधता एवं वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के परिदृश्य पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कुलपति डॉ गिरिजेश पन्त ने कहा कि उत्तराखण्ड एक नॉलेज हब के रूप में विकसित हो रहा है। उन्होंने यहां की उच्च शिक्षण संस्थाओं में संसाधनों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की शिक्षा संस्थाओं में एकेडमिक ऑडिटिंग होनी चाहिए। कार्यक्रम में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो वीपीएस अरोड़ा, गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति एसके सिंह सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ वैज्ञानिक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित थे।