स्वतंत्र आवाज़
word map

हिंदुओं पर हमला तो करारा जवाब-संघ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

धरना-मोहन भागवत/dharna-mohan bhagwat

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने चेतावनी दी है कि हिंदू संगठनों, संतों और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर अनर्गल हमले तत्काल बन्द किए जाएं अन्यथा हिंदू समाज चुप नहीं बैठकर इन हमलों का करारा जबाव देगा। बाल संग्रहालय परिसर चारबाग में संघ के स्वयंसेवकों और हिंदू समाज के विभिन्न संगठनों के धरने को सम्बोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि सरकार में बैठे निहित स्वार्थी तत्व वोट की राजनीति और देश में मतान्तरण-धर्मान्तरण की रणनीति के तहत हिंदू संगठनों को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। उनकी मंशा देश में समाज को बांटने और राज करने की है।

मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद जब हिंदू-मुसलमान नहीं लड़े और संघ के प्रमुख होने के नाते हाईकोर्ट के निर्णय के सन्दर्भ में मैंने जनभावनाओं के अनुरूप प्रतिक्रिया दी, तो सरकार में बैठे कुछ लोगों को लगा कि विभेद पैदा करने की उनकी रणनीति सफल नहीं हुई, इसलिए अब हिंदू संगठनों, संतों और मठ-मन्दिरों के खिलाफ दुष्प्रचार तेज कर दिया गया है। भागवत ने कहा कि अब यह सब चलने वाला नहीं है। हिंदू समाज सब चालाकियां और षड्यंत्र समझ रहा है, अब समय आ गया है जब इनके षड्यंत्रों का सटीक जबाव दिया जाए। संघ, संतों और मन्दिरों पर हमलों और जांच एजेंसियों के नाम पर दुष्प्रचार से हिंदू समाज कितना आहत और व्यथित है, इसका प्रगटन लखनऊ में धरनास्थल पर हो गया है जहां बड़े पैमाने पर स्वयंसेवकों के साथ विभिन्न हिंदू संगठनों के नेता और कार्यकर्ता भी जुटे हैं। यहां हिंदू समाज के विभिन्न वर्गों का भी प्रतिनिधित्व देखने को मिला है।

सरसंघचालक के उद्बोधन से पूर्व विभिन्न वक्ताओं ने केन्द्र की कांग्रेस गठबंधन सरकार और पार्टी के कुछ नेताओं की हिंदू विरोधी मानसिकता, षड्यंत्रकारी नीतियों को दोषी करार देते हुए निन्दा की। संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मधुभाई कुलकर्णी ने संघ पर जांच एजेंसियों के हमलों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और कहा कि ऐसे हमलों का अब देशव्यापी विरोध करने का फैसला किया गया है। धरने को संबोधित करने वालों में इन नेताओं में राष्ट्रधर्म मासिक के संपादक आनन्द मिश्र अभय, वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह ‘सूर्य’, गायत्री परिवार के प्रमुख मेजर विजय कुमार खरे, जय कृष्ण सिन्हा, हिंदू महासभा के नेता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन, रमेश कुमार सिंह आदि शामिल थे।

धरने में विभिन्न संगठनों के नेताओं के साथ भाजपा के नेता भी उपस्थित थे। आज का यह देशव्यापी धरना था जो हर जिले में आयोजित किया गया। सरसंघचालक मोहन भागवत के उद्बोधन के समय उपस्थित लोग एकाग्रचित्त थे और सरसंघचालक को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे। मोहन भागवत ने अपने भाषण की शुरूआत ही इस बात से की कि संघ के इतिहास में पहली बार एक सरसंघचालक के नाते उन्हें भी धरने को सम्बोधित करने क्यों आना पड़ा। उन्होंने प्रश्न किया कि हिंदू समाज, भगवा रंग, संत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आतंक-विरोधी शब्द हैं? वास्तव में ये शब्द हिंसा-विरोधी हैं। अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह यह हिंदुओं की नैसर्गिक पहचान है। हिंदू शब्द समाज में सुरक्षा का वचन देता है। इन शब्दों के साथ आतंक, उग्रवाद, हिंसा की बातें जबरन चिपकायी भी जाएं तो कोई विश्वास नहीं करेगा।

मोहन भागवत ने हिंदू संगठनों, संतों, धर्माचार्यों, मन्दिरों पर हमलों की पृष्ठभूमि समझाते हुए कहा कि यह सब देश में मतांतरण करने वाले राष्ट्रविरोधी तत्वों की मदद करने और उन्हें खुश करने के लिए किया जा रहा है। संघ ने हिंदू धर्माचार्यों पर हमलों का विरोध किया, श्रीराम सेतु तोड़ने के प्रयत्नों का विरोध किया, श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड को नुकसान पहुंचाने के षड्यंत्रों का विरोध किया, श्रीराम जन्मभूमि के फैसले के सन्दर्भ में देश भर में हिंसा नहीं होने दी। इन कारणों से केन्द्र सरकार, कांग्रेस और अन्य दलों के कुछ नेता बेचैन हो गए। उन्हें लगा कि देश में विभेद करो, राज करो, मगर अब उनकी यह रणनीति सफल नहीं हुई इसलिए संघ को चोट पहुंचाने और दुष्प्रचार करने का काम तेज कर दिया गया है।

संघ प्रमुख ने जब यह कहा कि इस देश में रहने वाले समस्त मुसलमानों और ईसाइयों के पूर्वज भी हिंदू थे, आज उनकी पूजा पद्धति बदली है, पर संघ उन्हें आज भी हिंदू मानता है, तो पूरे पंडाल में तालियां गूंज उठीं। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति विश्व में प्राचीनतम है और इसको मानने वालों का इस संस्कृति पर अटूट विश्वास है। संघ की ओर से जब-जब देश में एकता, अखण्डता की बात उठायी गयी और सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का प्रयत्न किया गया, संघ पर झूठे आरोप लगाये गये, उसे प्रतिबन्धित किया गया। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि चार्जशीट में संघ के नेता इन्द्रेशजी का उल्लेख नहीं है, फिर भी उनका नाम जांच एजेंसियों ने उछालकर कुप्रचार किया है। हम जांच में सहयोग करने के प्रति वचनबद्ध हैं मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि इन एजेंसियों को हमने कुप्रचार करने की छूट दे दी है।

धरने पर संघ के अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख केसी कन्नन, सह शारीरिक प्रमुख अनिल ओक, जगदीशजी, ओम प्रकाश, अशोक बेरी, शिव नारायण, नवल किशोर, ईश्वर चन्द्र गुप्त, कृपा शंकर, संजय कुमार मिश्र के साथ पूर्व कुलपति डॉ देवेन्द्र बहादुर सिंह, डॉ गुरुमीत सिंह, बाबा हरदेव सिंह, डॉ ओम प्रकाश पाण्डे, लक्ष्मी चन्द्र अग्रवाल, स्वामी अभयानन्द सरस्वती, वेदव्रत वाजपेयी, डॉ एससी राय, कलराज मिश्र, सूर्य प्रताप शाही, रमापति राम त्रिपाठी, जस्टिस कमल किशोर, एयर मार्शल आरके दीक्षित, नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी, हृदय नारायण दीक्षित, लालजी टण्डन, डॉ दिनेश शर्मा, विद्या सागर गुप्त, सुरेश श्रीवास्तव, सुरेश तिवारी, महेन्द्र नाथ पाण्डे, महेन्द्र बहादुर सिंह आदि उपस्थित थे।

विहिप के अनेक नेता कन्हैया लाल भाटिया, तारा चन्द्र अग्रवाल, अलोपी शंकर मौर्य, त्रिभुवन सिंह धरने पर मौजूद थे। इनके अलावा किसान संघ के संकठा प्रसाद सिंह, वीरेन्द्र सिंह, सिख संगत के सरदार मंजीत सिंह, व्यापारी नेता संदीप बंसल, लघु उद्योग भारती के नेता रवीन्द्र सिंह, डॉ एलपी मिश्र, राघवेन्द्र सिंह, डीपी तिवारी, राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के नेता एसआई आजम, सुरेश धानुक, दीपक वाल्मीकि, नरेश सोनकर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शान्ति गुप्ता आदि उपस्थित थे। धरने के बाद एक प्रतिनिधि मण्डल राजभवन गया और वहां राज्यपाल को ज्ञापन दिया। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जय कृष्ण सिन्हा, रमेश कुमार सिंह, प्रशान्त भाटिया, राजनाथ सिंह सूर्य, सूर्य प्रताप शाही आदि ने किया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]