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भारी मानसिक दबाव में हैं अधिकारी-पुनिया

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नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने लोकसभा में कहा है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों पर इतना अधिक मानसिक/प्रशासनिक दबाव देखा जा रहा है कि वे कुछ मामलों में हताश होकर आत्महत्याएं कर रहे हैं और कुछ अधिकारी इन महत्वपूर्ण सेवाओं से त्यागपत्र देकर निजी क्षेत्र या गैर सरकारी संगठनों में नौकरी करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी सत्ताधारी दलों के राजनेताओं के पिछलग्गू बनकर काम करने लगे हैं जिससे उनकी निष्पक्षता और कार्य-कुशलता पर प्रश्न चिन्ह भी लग गया है।

पीएल पुनिया जोकि स्वयं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं ने नियम-377 के तहत सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि इन अधिकारियों को केन्द्र एवं राज्य सरकारों से सम्बन्धित प्रशासन की धुरी माना गया है, इन सेवाओं के अधिकारियों से ये अपेक्षा की जाती है कि वे कानून पर आधारित व्यवस्था लागू करने में ईमानदारी और मेहनत से कार्य करेंगे मगर कुछ समय से इन सेवाओं के अधिकारियों पर इतना अधिक मानसिक/प्रशासनिक दबाव देखा जा रहा है। ऐसे दृष्टान्त भी मिले हैं कि एक साल में एक अधिकारी का दस बार स्थानान्तरण कर दिया गया है। उनका इशारा खासतौर से उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की ओर था जो इस समय मायावती सरकार के भारी दबाव में हैं और उन्हें अपने कर्तव्य पालन में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।

उनका कहना था कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार 'सिविल सर्विस बोर्ड' की स्थापना प्रदेशों में की गई है, लेकिन ये बोर्ड केवल लिए गए निर्णयों पर मुहर लगाने तक ही सीमित हो कर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि यह अत्यन्त दुखःद स्थिति है। जिन अधिकारियों पर सरकार की नीतियों को लागू करने का दायित्व हो वे इस प्रकार हतोत्साहित होकर रहेंगे तो उनके द्वारा आम आदमी के हित में योजनाओं का लाभ पहुंचना केवल सपना ही रह जाएगा। पीएल पुनिया ने मांग की है कि केन्द्र और राज्यों में कार्य अवधि का निर्धारण कर दिया जाना चाहिए, जिसका कड़ाई से पालन हो और यदि कोई अधिकारी गलती करता है तो उन्हें स्थानान्तरित करने की बजाय दण्डित किये जाने की कार्यवाही की जानी चाहिए।

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