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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिरेन मुखर्जी स्मारक व्याख्यान 2010 की ठतीसरी वर्षगांठ पर संसद भवन में गणमान्य लोगों संबोधित करते हुए पुरानी यादों में चले गए। उन्होंने हिरेन मुखर्जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि इस अवसर पर यहां उपस्थित जगदीश और पदमा जैसे सदस्यों पर उन्हें गर्व है और दोनों ने ही अनेक रूपों में राष्ट्र की सेवा की है। प्रधानमंत्री ने अपनी यादों का जिक्र करते हुए कहा कि जगदीश और उनकी मुलाकात इंग्लैड में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 1955 में हुई थी। हालांकि जगदीश उनसे छोटे थे पर कॉलेज में उनसे वरिष्ठ थे। स्वदेश वापसी पर वे दोनों ही नीति निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हुए, पर 1970 में दोनों के रास्ते अलग हो गए। मनमोहन सिंह बोले कि वे राजनीति में शामिल हो गए और जगदीश विदेश चले गये। वर्तमान में जगदीश विश्व व्यापार संगठन में शामिल हैं और निरंतर इसको अपना निर्देशन दे रहे हैं।मनमोहन सिंह ने कहा कि जगदीश और पदमा ने लाईसेंस परमिट नियंत्रण राज की क्षमता पर सवाल खड़े किये थे। आज हम वैश्विक प्रवासी भारतीयों से आए निवेश और दक्षता के लाभों का अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रेन ड्रेन की समस्या को ब्रेन गेन अर्थात लाभकारी बनाने के मामले में जगदीश भगवती, प्रवासी भारतीयों के समुदाय में जगमगाते हुए सितारों में से एक हैं। प्रोफेसर भगवती एक सच्चे देशभक्त, हमारी मातृभूमि के समर्पित पुत्र और एक सच्चे उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष भारतीय हैं। मनमोहन सिंह ने कहा कि वर्षो से भारतीय और विश्व अर्थव्यवस्था के विश्लेषण में उनके अनुभवों का लाभ उठाया है। प्रधानमंत्री ने इस विशेष अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को उनका स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया।