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नई दिल्ली। केंद्रीय आवास, शहरी गरीबी उन्मूलन और पर्यटन मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि झोपड़-पट्टियों के कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ने के लिए जिम्मेदार दोषपूर्ण शहरी भूमि नीति और शहरी योजना मॉडल के मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह में उन्होंने कहा कि शहरी गरीबों के हितों पर ध्यान देने के लिए वर्तमान भूमि नीति में जबरदस्त परिवर्तन जरूरी है। कुमारी सैलजा ने कहा कि शहरों में भूमि और रहने की जगह देने संबंधी नीतियों पर नये सिरे से विचार करने की जरूरत है।
सैलजा ने कहा कि पांच वर्ष पहले शुरू किया गया जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) देश में काफी लोकप्रिय कार्यक्रम है। शहरी गरीबों को बुनियादी ढांचा, आश्रय और नागरिक सुविधाएं देने के लिए पहली बार एक समेकित रवैया अपनाया गया। उनके मंत्रालय ने शहरी गरीबों के लिए मूलभूत सेवाएं लागू कीं और जेएनएनयूआरएम के घटक समेकित आवास और झोपड़पट्टी विकास कार्यक्रम लागू किया। इसमें शहरी गरीबों के लिए सात सूत्री अधिकार पत्र पर गौर किया गया। इनमें भूमि अधिकार, वाजिब कीमत पर आवास, पानी, सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा शामिल है।
जेएनएनयूआरएम के अनुभव के बाद सरकार ने राजीव आवास योजना के जरिये झोपड़पट्टी मुक्त भारत की झलक की घोषणा की। इस योजना के लिए उन राज्यों को केन्द्र की सहायता दिए जाने पर गौर किया जाएगा जो झोपड़पट्टी में रहने वालों को संपत्ति अधिकार देने के लिए तैयार हैं। दो सूत्री रणनीति पर आधारित योजना में वर्तमान झोपड़पट्टियों को औपचारिक प्रणाली के अंदर लाना और उन्हें भी बाकी लोगों की तरह उसी स्तर की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना और उचित शहरी भूमि नीति के जरिये नई झोपड़पट्टियों को बनने से रोकना और मास्टर प्लान का नवीनीकरण करना शामिल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय प्रोत्साहन परिवर्तित परिदृश्य के अनुकूल होना चाहिए क्योंकि ईडब्लूएस/एलआईजी आवास वर्तमान प्रोत्साहन के ढांचे से पूरी तरह बाहर हो गए हैं। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजीव आवास योजना में वित्तीय मदद देने का स्वरूप और ऋण लेने के अधिकार का प्रस्ताव है।