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आगरा। विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर अर्न्तदृष्टि फोरम फॉर फ्रेंड्स ऑफ ब्लाइंड (एएफएफबी) के तत्वाधान में अंतरदृष्टि कार्यालय पर एक बैठक में विकलांगों और मुख्य रूप से दृष्टिहीनों की सामाजिक स्थिति में सुधार के उपायों पर चर्चा हुई जिसमें प्रमुख रूप से एक रिसोर्स सेंटर बनाये जाने की आवश्यकता निकल कर सामने आई। एक ऐसे रिसोर्स सेंटर का विचार आया जिसमें दृष्टिहीनों के विकास के लिए हर संभव संसाधनों की उपलब्धता हो। जिनमें ब्रेल, कम्प्यूटर, अग्रेंजी, व्यक्तित्व विकास की कक्षाओं के अलावा दैनिक जरूरत की वस्तुएं जैसे सफेद छड़ी, टांकिंग बुक्स, सीडी, घड़ी, ब्रेल स्लेट, ब्रेलर, ब्रेल में किताबें आदि भी उपलब्ध हों।
बैठक में चर्चा के दौरान ही सदस्यों ने विगत वर्षो के अपने अनुभवों के आधार पर इस बात पर सहमति बनाई की शुरूआत में प्रत्येक रविवार को ब्रेल, कम्प्यूटर, अग्रेंजी, व्यक्तित्व विकास की कक्षाओं को प्रातः 11 बजे से शाम 4 बजे तक चलाया जाए। सदस्यों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कोशिश यह की जानी चाहिए कि सेंटर अपने दम पर ही शुरू हो और चले। रिसोर्स सेंटर के लिए संसाधनों को एकत्र करने का काम सदस्यों द्वारा ही किये जाने पर सहमति बनी और सदस्यों ने आपस में जिम्मेदारी बांटते हुए तय किया कि अगले रविवार तक काफी सामग्री एकत्र कर ली जाएगी। एनआईवीएच देहरादून को इस आशय का एक पत्र लिखकर इसका शुभारम्भ भी कर दिया गया।
इन कक्षाओं का लाभ किसी भी उम्र के दृष्टिहीन ले सकते हैं और यदि अन्य लोग भी ब्रेल सीखने के इच्छुक हैं तो उनका भी स्वागत होगा। चर्चा के दौरान ही हरनाम ने यह प्रश्न उठाया कि बहुत सारे दृष्टिहीन जो दूर रहते हैं उनकों कैसे रिसोर्स सेंटर का लाभ मिलेगा उनको भी इससे जोड़ने की व्यवस्था की जानी चाहिए। डॉ अमर प्रकाश ने इस समस्या का समाधान सुझाते हुए कहा कि यदि दृष्टिहीन अपने आने-जाने का खर्चा वहन करें तो उनके लिए वाहन की व्यवस्था का इंतजाम किया जा सकता है। इसके पहले सदस्यों के स्वागत के साथ कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए श्रीधर उपाध्याय ने पिछले दिनों हुई फोरम की बैठकों पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। इस अवसर पर शिवानी ने 'विश्वास' नामक एक लेख पढ़ा जिसमें यह बताया गया कि विश्वास हो तो मनुष्य किसी भी कठिनाई से मुकाबला कर सकता है और जहां विश्वास है वहां जीवन के सभी अभाव दूर हो जाते हैं।
डॉ पुष्पा श्रीवास्तव ने दृष्टिहीनों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विकलांग दिवस रोज मनाएं जाने की जरूरत है आज भी दृष्टिहीनों, विकलांगों को समाज से दूर रखा जाता है, घर वाले उनकी उपस्थित समाज में दर्ज नहीं कराते, समाज से छिपाते हैं। ऐसे अभिभावकों को इस बात के लिए प्रेरित करने की जरूरत कि उनके बच्चे किसी भी प्रकार से सामान्य बच्चों से कम नहीं हैं। घर में छिपा कर रखने के बजाय उनको समाज का हिस्सा बनाएं ताकि वह भी सामान्य लोगों जैसा जीवन-यापन कर सकें। रघुनाथ ने कहा कि यदि हम लोग अपनी खबरों और जरूरत की अन्य सामग्री को ब्रेल में लिख सकें तो काफी सारे दृष्टिहीनों को फायदा पहुंच सकता है। चर्चा में मुख्य रूप से श्रीधर उपाध्याय, अमर प्रकाश, सरनाम, हरपाल, शिवानी, पुष्पा श्रीवास्तव, रघुनाथ, अजय, मनोहर लाल गिदवानी, अजहर उमरी, नन्दू, मंजू उपाध्याय, सारिका आदि ने अपनी बात रखी। तीन घंटे चली चर्चा में एएफएफबी से ज्यादा से ज्यादा दृष्टिहीनों और सामान्य जन को जोड़ने पर भी विचार-विमर्श हुआ और एएफएफबी की अगली बैठक की तारीख 6 फरवरी तय की गई।