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नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए निजी क्षेत्र के आगे आने और अपने प्रतिष्ठानों एवं उद्योगों में रोजगार सुविधाएं प्रदान करने का आह्वान किया है। प्रतिभा पाटिल ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के एक कार्यक्रम में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि दक्षता विकास की नई योजना पहले शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की जरूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा करने की होनी चाहिए ताकि वे अपनी सुविधानुसार दक्षता प्राप्त कर सकें और अपने आप को रोजगार बाजार में मांग के अनुरूप ढाल सकें। राष्ट्रपति ने जोर देते हुए कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को इस संदर्भ में मिलकर कार्य करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उपयुक्त वातावरण और रोजगार चयन की सुविधा देने से इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं है कि शारीरिक रूप से अक्षम एक व्यक्ति की सामर्थ्य किसी से कम नहीं होगी। पाटिल ने कहा कि हालांकि सरकारी क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठानों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए रोजगार में आरक्षण का प्रावधान है लेकिन आरक्षित पदों को भरे जाने के लिए सभी सरकारी संस्थानों को मिलकर कार्यवाही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र समझौते की पुष्टि करने वाले राष्ट्रों में प्रथम देश थाए यह समझौता मईए 2008 में प्रभाव में आया। यह कदम देश के नागरिकों के रूप में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को समाज और राष्ट्र की विभिन्न गतिविधियों में भागीदारी लेने के लिए एक वातावरण तैयार करने और उन्हें इसमे समर्थ बनाने के संकल्प को दर्शाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए चलने.फिरनेए संचार और दैनिक जीवन में सहायता देने वाले बेहद आवश्यक उपकरण जैसे ध्वनिग्रहण उपकरणए कृत्रिम अंगए ब्रेल लेखन उपकरणए व्हील चेयरए कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि को उचित मूल्यों पर उपलब्ध कराना चाहिए। उन्हें विभिन्न सुविधाओं और सेवाओं की प्राप्ति में आने वाली शारीरिक बाधाओं को दूर करने की जरूरत है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए वेबसाईट खोलने वाला पहला मंत्रालय है। इस कार्य के लिए राष्ट्रपति ने उसकी प्रशंसा की।
इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता केन्द्रीय मंत्री मुकुल वासनिक ने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मात्र समारोह के लिए ही नहीं होना चाहिए बल्कि यह हमारे लिए एक ऐसे अवसर के तौर पर होना चाहिए कि जब हम इस संदर्भ में यह विचार करें कि क्या प्राप्त किया जा चुका है और अभी क्या रह गया है। उन्होंने कहा कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति अनेक चुनौतियों का सामना करते हैं लेकिन पुरस्कार पाने वाले व्यक्तियों का अदम्य साहस और आत्मबल मानवीय उपलब्धियों के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की प्रेरणा देता है।