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नकल का बोलबाला, अकल का मुंह काला

नमित कुमार

नमित कुमार

लखनऊ। नकलचियों के लिए अगर आज कोई आदर्श जगह है तो वह है उत्तर प्रदेश। एशिया की सबसे विख्यात-प्रतिष्ठापूर्ण और मैरिट के मामले में विश्वसनीय एवं अपने समकक्ष अन्य परीक्षाओं से लोहा मनवाने वाली उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की यूपी बोर्ड इलाहाबाद की परीक्षा में तो इस बार भी सर-ए-आम नकल हो रही है। अंदाजा लगाइये कि कितनी ताबड़ तोड़ नकल हो रही होगी। बड़े दावे थे कि नकलचियों की भारी किलेबंदी कर दी गई है।
खूब प्रचार किया गया कि इस बार बोर्ड की परीक्षाओं के इंतजाम बढ़िया से बढ़िया किये गये हैं। बहुत से किस्मत के कमजोर समझ ही नहीं पाये कि इस प्रचार का असली मकसद क्या है,नहीं तो वे भी नकल की इस बहती गंगा में आज गोते लगा रहे होते। बहुतों का आज भी डिबिया-लालटेन के सामने सारी रात बैठकर सारे साल पढ़ना अकारथ ही जाएगा। सरकारी और अधिकृत मैरिट में तो नकलची ही यश लूटेंगे। पढ़ने वाले नहीं। उसी का नाम पुरस्‍कार के लिए आगे बढ़ेगा, जान रहे हैं? ये किसने देखा कि उसने बोर्ड परीक्षा कैसे टॉप की? लोग जीतते हुए को देखते हैं हारते हुए को नहीं। ऐसे मामलों में शिकायत आने पर कुछ समय के लिए थोड़ा-बहुत बवाल होता है मगर जहां ऊपर का दबाव आया तो मामला खत्म हो जाता है।
ऐसे एक नहीं कई उदाहरण गिनाये जा सकते हैं। उम्मीद नहीं थी कि इस तरह से नकल का बोलबाला होगा और अकल का मुंह काला। परीक्षाओं की विश्वसनीयता का जैसे जुलूस निकल रहा है। एक बार लखनऊ विश्वविद्यालय एवं केजीएमयू में चल रही परीक्षाओं में नकल के लिए आशुतोष कुमार और शैलेश कुमार ‘राहुल’ उर्फ ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ ने गजब तरकीब निकाली। दोनों ने नकल के लिए जिस मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल किया उससे कक्ष निरीक्षक दंग रह गए। उसके पीछे भी कोई सिंडिकेट रहा होगा वैसे ही इसमें भी जरूर शामिल होंगे। एक-दो नकलचियों की इतनी हिम्मत नहीं हैं। ये हिम्मत भी तभी होगी जब उनकी पीठ पर किसी शक्तिशाली का हाथ हो।
नकलचियों को पकड़ने वाले उड़नदस्तों के साथ परीक्षा केंद्रों के बाहर और भीतर जो व्यवहार हो रहा है उसे देखकर रोंगटे खड़े होते हैं। परीक्षा केंद्र पर जिला विद्यालय निरीक्षक और उनके सहयोगियों पर परीक्षा केंद्र के संचालक ही हमले पर उतारू रहते हैं, पिछले साल ऐसा कन्‍नौज में हुआ था। इससे जिला विद्यालय निरीक्षक गंभीर रूप से घायल हुआ था। उसके सहयोगी भी अस्पताल में भर्ती कराये गए थे। सामूहिक नकल की शिकायत पर इस परीक्षा केंद्र पर छापा मारा गया था। कहते हैं कि वहां सीधे श्यामपट पर प्रश्नों के उत्तर लिखकर नकल हो रही थी। इस बार यह भी खूब सुनने को मिल रहा है कि कुछ खास जिलों में एक ही क्षेत्र के परीक्षार्थी परीक्षाएं दे रहे हैं। यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में तो सुना था कि असली परीक्षार्थी के स्थान पर नकली परीक्षार्थी परीक्षा दे रहा है लेकिन अब तो व्यवसायिक परीक्षाओं में सबसे महत्वपूर्ण एमबीबीएस परीक्षा में भी ऐसा होने लगा है।
‌पिछले साल केजीएमयू में परीक्षा फार्म पर एक सांसद के पुत्र के स्थान पर किसी दूसरे ने परीक्षा दी थी । अब इनमें और झोला छाप डाक्टरों में क्या फर्क हुआ? लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रबंधन की परीक्षा देने वाले छात्रों ने तो हद ही कर दी थी। लोक प्रशासन विभाग के कुछ छात्र अपने शिक्षक से परीक्षा के प्रश्न जानने के लिए तोड़फोड़ पर ही उतर आए थे वहां ऐसी अफरातफरी मची कि छात्र संघ भवन के बाहर कुछ छात्रों ने गोलीबारी भी की थी। यह इक्कीसवीं सदी है और हमारी प्रतियोगात्मक और व्यवसायी परीक्षाओं का यह हाल हो चुका है। कहां जा रहे हैं हम?
उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार में तत्‍कालीन शिक्षामंत्री राजनाथ सिंह नकल विधेयक लाए थे। उस कानून ने नकलचियों और उनके ठेकेदारों की जो कमर तोड़ी थी उसका परिणाम यह हुआ था कि अगले परीक्षा सत्र में परीक्षार्थियों की पंजीकरण संख्या घट गई थी और नकल पर भारी अंकुश लगा था। मगर बाद की सरकारों ने इस कानून को ही दरकिनार कर दिया। अपने राजनीतिक लाभ के लिए छात्रों को राजनीति के नाम पर पूरी छूट देदी। आज उसका खतरनाक फल सबके सामने है। मौजूदा सरकार के सामने उसकी छात्र नीति की पोल खुल रही है। अब यह सरकार इस समस्या से निपट पाएगी इसमें संदेह है। हां! आज अभिभावक राजनाथ सिंह के नकल कानून को जरूरी बताकर उसे याद कर रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रबंध कई बार चरमराए हैं। यहां पेशेवर अपराधियों की जबरदस्त घुसपैठ रहती है और वे अपने संरक्षणदाताओं के इशारे पर सब कुछ करते हैं। यहां भोले-भाले छात्र-छात्राओं को भरमाकर उनका शोषण करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं और पता चलने पर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। आप जब एलयू परिसर में जाएं तो आपको दाखिला कराने नोट्स दिलाने प्रश्नपत्र लीक करने वाले या विश्वविद्यालय में कोई भी काम कराने का दावा करने वाले चेहरे दिखाई पड़ जाएंगे। जिन परीक्षा केंद्रों को नकल के कारण काली सूची में डाला गया है अगली बार उनके रेट और ज्यादा बढ़ जाएंगे, बहरहाल नकल सभी जगह जारी है।

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