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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जर्मनी और बेल्जियम की यात्रा पर रवाना हो गए। वे ब्रुसेल्स में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हर्मन वॉन रोमपुयी और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जोस मैन्युल बारोसो के संयुक्त रूप से आयोजित 11 वें भारत-ईयू सम्मेलन में भाग लेंगे। इस यात्रा पर जाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदार हैं और हमारी अंत:क्रिया की तीव्रता और गहराई वार्षिक सम्मेलनों और एक संयुक्त कार्ययोजना से प्रदर्शित होती है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के साथ भारत की मैत्री आर्थिक और विकासात्मक सहयोग से आगे बढ़ कर विस्तृत रणनीतिक सम्बद्धता पर आ गयी है। यूरोपीय संघ के दूसरे देशों के साथ रिश्तों के ढांचे को मजबूती देने के लिए अस्तित्व में आयी लिस्बन संधि के पश्चात यह पहला भारत यूरोपीय संघ सम्मेलन होगा। इस संधि के परिप्रेक्ष्य में यूरोपीय संघ की वैश्विक मामलों में भूमिका निभाने की इच्छा का भारत स्वागत करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दोनों लोकतंत्र न्यायपालिका और प्रेस की स्वतंत्रता मानवाधिकारों के प्रति सम्मान विधि का शासन सहिष्णुता और बहुलवाद के मूल्यों के साझा करते हैं। वैश्विक मामलों में हमारे दृष्टिकोणों में साम्य होने की उच्च संभावना है और मैं चाहूंगा कि आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा में अन्य गैर परम्परागत चुनौतियों के क्षेत्रों सहित राजनीतिक एवं रणनीतिक सहयोग और ज्यादा गहरा हो। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार और तकनीकी एवं निवेश का महत्वपूर्ण स्रोत है। भारतीय निवेश के लिए भी यह एक जगह के रूप में उभर रहा है। बड़े स्तर पर व्यापार और निवेश समझौते पर बातचीत का क्रम जारी है और आशा है कि इस सम्मेलन के दौरान आपसी समझौता वार्ता की समीक्षा होगी। बेल्जियम और जर्मनी के साथ विचार विमर्श में ऐसे ज्वलंत वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बातचीत होगी जिनका हम सामना कर रहे हैं। इनमें अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं जी- 20 देशों की इससे उबरने में भूमिका पर चर्चा होगी।
मनमोहन सिंह ने अपनी यात्रा के एजेंडे में कहा कि वह बेल्जियम के प्रधानमंत्री येवेस लेतेर्मी के आमंत्रण पर ब्रुसेल्स में आयोजित भारत-बेल्जियम सम्मेलन में भी भाग लेंगे। बेल्जियम यूरोप में प्रमुख सहयोगी है और वह भारत के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर मददगार रहा है। सम्मेलन का विचार विमर्श भारत के व्यापार और उच्च तकनीकी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के नए अवसर पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि वह जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के निमंत्रण पर जर्मनी की यात्रा पर भी जाएंगे। जर्मनी के साथ भारत के रिश्ते वैविध्यपूर्ण और मजबूत हैं। चांसलर एंजेला मार्केल के साथ बातचीत में उच्च तकनीकी व्यापार निवेश ऊर्जा शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा कौशल विकास और संस्कृति के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग में हुए विकास की समीक्षा की जाएगी। इस यात्रा के दौरान जर्मनी के राष्ट्रपति क्रिस्टीयान वुल्फ से मुलाकात का भी अवसर मिलेगा। भारत और जर्मनी 2012.2013 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों के रूप में मिलकर कार्य करेंगे।