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सामुदायिक रेडियो बना आम आदमी की आवाज़

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नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और यूनेस्को के संयुक्त तत्वावधान में 13 से 15 दिसम्बर तक भारतीय जनसंचार संस्थान में सामुदायिक रेडियो पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया है। आयोजन के अन्य सहयोगी भारतीय सामुदायिक रेडियो मंच और फोर्ड फाउंडेशन हैं। विमर्शों की श्रृंखला की तीसरी कड़ी के रूप में इस विमर्श का उद्घाटन केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव ने किया। इसमें भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, आस्‍ट्रेलि‍या, इंग्लैंड, सिंगापुर और कनाडा आदि देशों के विभिन्न विशेषज्ञ, नीति निर्धारक, सामुदायिक रेडियो प्रसारक आदि हिस्सा ले रहे हैं। विभिन्न सामुदायिक रेडियो प्रसारक और इसके विभिन्न अंशधारक जैसे-गैरसरकारी संगठन, मीडिया कार्यकर्ता, शैक्षि‍क समुदाय और नीति निर्धारक इस उदीयमान क्षेत्र की उपलब्धियों की साथ मिलकर समीक्षा करेंगे और इस आन्दोलन की आगामी योजनाएं बनाएंगे।

इस विमर्श में सूचनाओं के विस्तार, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती, सामाजिक विकास के लक्ष्यों को पूरा करने और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के वित्तीय और सामाजिक स्थायित्व के लक्ष्यों को पाने के लिए मौजूदा सामुदायिक रेडियो नीति का विश्‍लेषण किया जा रहा है। इस विमर्श की योजना इस तरह बनायी गयी है ताकि इससे यूनेस्को, सीआरएफ, सीईएमसीए और विभिन्न सरकारी विभागों और अन्य साझीदारों को सामुदायिक रेडियो आन्दोलन को मजबूत करने में मदद मिल सके। विमर्श से जो निष्कर्ष निकलने की उम्मीद है वो ये है- सामुदायिक रेडियो को विकास में अधिक प्रभावी और टिकाऊ सहयोगी बनाने के लिए अंशधारकों के बीच समन्वय में बढ़ोतरी, विकास से जुडे मुद्दों पर काम करने वाले संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावना का विस्तार और सामुदायिक रेडियो क्षेत्र में नये मीडिया के और ज्यादा उन्नत/समुचित तकनीक के प्रयोग को गति देना।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय को अधिकार है कि वह 2006 के नीति निर्देशों के अनुसार योग्य संस्थानों को सामुदायिक रेडियो चलाने की अनुमति दे। सामुदायिक रेडियो बेआवाजों की आवाज मजबूत करने का एक असाधारण और अदृश्‍य माध्यम है। यह समुदाय को खुद से जुडे मुद्दों पर बोलने के मौके उपलब्ध कराता है। यह ग्रामीण विकास कृषि‍, स्वास्थ्य, पोषण, शि‍क्षा और पंचायती राज जैसे मुद्दों पर सूचनाओं के प्रसार के जरिए लाभर्थि‍यों तक सरकार की पहुंच अधिक प्रभावी बनाकर विकास की प्रक्रिया में सहायक भी हो सकता है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय देश में सामुदायिक रेडियो आन्दोलन को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी ओर से कई पहल कर रहा है। अब तक 263 सामुदायिक रेडियो केन्द्र के लिए आवेदन किये गये हैं जिनमें से 121 को इसकी अनुमति मिल चुकी है जबकि 103 केन्द्र प्रयोग में हैं। इन 103 में से 71 केन्द्र शैक्षिक संस्थाएं संचालित कर रही हैं। चौबीस केन्द्र सामुदायिक संस्थाओं और आठ कृषि‍ विज्ञान केन्द्रों, राज्य कृषि‍ संस्थानों से संचालित हो रहे हैं। देश में संचालित सामुदायिक रेडियो केन्द्रों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। मई 2010 में इन केन्द्रों की संख्या 57 थी जो नवंबर 2010 में 103 हो गयी।

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