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भारत जर्मन के बीच दोस्ती और गहरी हुई

मनमोहन सिंह का बर्लिन में जोरदार स्वागत

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मनमोहन सिंह-एंजेला मर्केल-manmohan singh-angela merkel

बर्लिन। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बर्लिन में गर्मजोशी से किए गए स्‍वागत एवं आतिथ्‍य के लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि जर्मनी की एक बार फिर यात्रा करना उनके लिए बड़ी प्रसन्‍नता की बात है। उन्होंने कहा कि जर्मनी के साथ भारत का अदभुत संबंध है, कोई भी द्विपक्षीय रुकावटें नहीं है और भारत मानता है कि यहां सहयोग के लिए अपार संभावनाएं हैं। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन में मौजूद मनमोहन सिंह ने कहा कि यह मधुर संबंध ही दोनों देशों की साझेदारी के प्रति चांसलर के व्‍यक्‍तिगत मार्गदर्शन के कारण संभव हो पाया है। उन्होंने फिर कहा कि जर्मनी, यूरोप का आर्थिक ऊर्जा केंद्र है और यूरोप में भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार है। यह यूरोपीय क्षेत्र में आर्थिक स्‍थायित्‍व लाने और इस क्षेत्र को आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरोप का आर्थिक पुनरोत्‍थान वैश्‍विक अर्थव्‍यवस्‍था के संतुलित ढंग से आर्थिक संकट से उबरने के लिए आवश्‍यक है। हम ऐसे परिणाम की दिशा में काम करने के लिए जी-20 ढांचे के तहत घनिष्‍ट साझेदारी जारी रखने पर सहमत हुए हैं। भारत और जर्मनी दोनों ही क्रमश: 2011 और 2012 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में होंगे। हम सुरक्षा परिषद की प्रभावकारिता को बढ़ाने एवं उसके स्‍थायी एवं अस्‍थायी सदस्‍यों की संख्‍या के विस्‍तार के समर्थन में जर्मनी के साथ द्विपक्षीय ढंग से एवं साथ ही जी-4 के अंतर्गत काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर जो प्रगति हुई है उसे और मजबूत करने के लिए विश्‍व को प्रयास करना चाहिए। भारत संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन प्रारूप संधि-पत्र के तहत व्‍यवहारिक एवं संतुलित समाधान पर पहुंचने के लिए अपनी भूमिका निभाएगा। द्विपक्षीय मसले पर भारत असैन्‍य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार का मार्ग खोलने में जर्मनी के सतत समर्थन को बड़ा महत्‍व देता है जिसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भी उसका समर्थन शामिल है। दोनों देशों ने असैन्‍य परमाणु ऊर्जा में द्विपक्षीय सहयोग की संभावना पर चर्चा की है।मनमोहन सिंह ने कहा कि विनिर्माण और अवसंरचना के क्षेत्रों में जर्मनी की विशेषज्ञता जगजाहिर है। वे भारत में जर्मन निवेश में सतत वृद्धि का स्‍वागत करते हैं और आर्थिक अवनयन के बाद भी भारत को उम्‍मीद है कि 2012 तक 20 अरब यूरो के द्विपक्षीय व्‍यापार लक्ष्‍य को हासिल करने में सफल रहेंगे। भारत और जर्मनी के बीच उच्‍च प्रौद्योगिकी व्‍यापार के क्षेत्र में व्‍यापक संभावना है जिसका दोहन नहीं हो पाया है उन्होंने चासंलर मर्केल से कहा कि जर्मन निर्यात नियंत्रणों नियमों में लचीलापन लाकर व्‍यापार के लिए नये आयाम प्रशस्‍त होंगे, यह दोनों ही देशों के हित में होगा। वर्ष 2007 में हमने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को अपनी साझेदारी के केंद्रीय स्‍तंभ के रूप में चिह्नित किया था। हम आज उच्‍च शिक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा कुशलता के क्षेत्रों में अपने सहयोग को जारी रखने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि व्‍यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास भारत के लिए उच्‍च प्राथमिकता के रूप में उभरे हैं। ये हमारी सामाजिक आर्थिक विकास योजनाओं की सफलता के मूल मंत्र हैं। हमने इस क्षेत्र में जर्मनी को अपना पसंदीदा साझेदार चुना है और मुझे यह घोषणा करने में खुशी हो रही है कि हम इस क्षेत्र में अपना सहयोग उल्‍लेखनीय ढंग से बढ़ाने के प्रति सहमत हुए हैं। अगले वर्ष भारत और जर्मनी के राजनयिक संबंधों की स्‍थापना के 60 साल पूरे हो रहे हैं। जर्मनी भारत में सितंबर,2011 से जर्मनी वर्ष का आयोजन करेगा और भारत जर्मनी में 2012-13 से भारत दिवस का आयोजन करेगा। मनमोहन सिंह ने चासंलर मर्केल को अगले वर्ष भारत आने का न्‍यौता दिया और कहा कि मैं दिल्‍ली में उनका आतिथ्‍य सत्‍कार करने के प्रति उत्साहित हूं।

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