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नई दिल्ली। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ का भारत पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। उन्होंने सलामी गारद का निरीक्षण किया और राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प चढ़ाए। वेन जियाबाओ ने प्रधानमंत्री निवास और हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बैठकें कीं। दोनों बैठकों में आपस के लगभग सभी मुद्दे उठे और कुछ सहमतियां बनीं। राष्ट्रीय सलाहाकर परिषद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी से भी मुलाकात की। चीनी प्रधानमंत्री के साथ शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन की जनता को इस साल शंघाई एक्सपो और एशियाई खेलों के सफल आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि इससे हमारे रिश्तों और नए क्षेत्रों में हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नयी गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि चीनी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होने के महत्त्व और इसके उल्लास की पराकाष्ठा को रेखांकित करती है। इससे पहले इसी वर्ष भारत की राष्ट्रपति ने चीन की सफल यात्रा की थी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि सन् 2005 से हम दोनों देश तीव्र गति से उच्च स्तरीय संवाद बनाये हुए हैं। खुद मैंने, 2008 की अपनी द्विपक्षीय चीन यात्रा के अलावा पांच वर्ष की इस अवधि में राष्ट्रपति हू जिनताओ से करीब बीस बार भेंट की है जोकि हमारे रिश्तों की प्रगाढ़ता को दर्शाता है। सन् 2005 की चीनी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों और अंतर्राष्ट्रीय हालात ने बहुत से बदलाव देखे हैं। भारत और चीन के तीव्र सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ने बहुत से क्षेत्रों में हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने के मौके दिए हैं। भारत और चीन के बीच मजबूत साझीदारी, एशिया और विश्व में दीर्घकालिक शान्ति, स्थायित्व, समृद्धि और विकास में सहयोग देगी।
चीन के प्रधानमंत्री वन च्यापाओ के सम्मान में आयोजित भोज में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत-चीन रणनीतिक संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि ये संबंध सहयोगी साझेदारी के शिल्पी हैं जिसकी वर्ष 2005 में आपकी ऐतिहासिक भारत यात्रा के दौरान स्थापना हुई थी। द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने एवं मजबूत बनाने के प्रति चीनी प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत कटिबद्धता को भारतीय जनमानस ने काफी सराहा है। मनमोहन सिंह ने कहा कि यह यात्रा भारत गणतंत्र और चीनी पीपुल्स गणतंत्र के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60 वीं वर्षगांठ समारोह का बिल्कुल उचित समापन है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और चीन युवा राष्ट्र हैं लेकिन प्राचीन सभ्यताएं हैं। हमारा इतिहास विद्वानों, बौद्धभुक्षिकों, तीर्थयात्रियों, व्यापारियों, शिल्पकारों, यात्रियों और विचारों के विनिमय से परिपूर्ण है। इन आदान प्रदानों से हमारे समाज समृद्ध हुए हैं। उन्होंने हमें आधुनिक समय में हमारे संबंधों को मजबूती और लचीलापन प्रदान किया है। उनकी पिछली भारत यात्रा के बाद से दुनिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। भारत सामाजिक-आर्थिक बदलावों के कार्य में लगा रहा है। हमारा एक दूसरे की प्रगति और समृद्धि में परस्पर हित है। हमें एक दूसरे के विकास अनुभवों से काफी कुछ सीखना है। वस्तुस्थिति यह है कि करीब ढ़ाई अरब जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत और चीन जब एक स्वर में बोलते हैं तो दुनिया उनकी आवाज सुनती है।
उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंध इतनी परिपक्वता हासिल कर चुका है कि यह दोनों देशों के हितों को पूरा करता है। अब जब एशियाई दशक शुरू हो रहे हैं, हमें अपनी जनता, अपने क्षेत्र तथा बड़े स्तर पर दुनिया में शांति, स्थायित्व एवं विकास के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। भारत इस महत्वपूर्ण और आदर्श उद्देश्य के लिए अपनी भूमिका निभाने को तैयार है। मनमोहन सिंह ने कहा कि चीन की जनता ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जो लंबी छलांग लगाई है, भारत की जनता उसका प्रशंसक है।