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नई दिल्ली। भारतीय उद्योगों, खासकर कुटीर और लघु उद्योगों के व्यापक विकास के लिए कलस्टर आधारित पहल को एक महत्वपूर्ण नीति के रूप में स्वीकार किया गया है। लघु और मझौले उद्योग मंत्रालय ने कुटीर और लघु उद्योग कलस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के मार्गनिर्देशों में संशोधन किया है, जो कि 10 फरवरी को अधिसूचित किया गया था। मंत्रालय ने देश में उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और कुटीर और लघु उद्योगों की क्षमता निर्माण के लिए कलस्टर दृष्टिकोण को एक मुख्य नीति के रूप में स्वीकार किया है। इस कार्यक्रम के अधीन अब तक विभिन्न पहलों के लिए 471 कलस्टरों और 124 उद्योगों की बुनियादी ढांचा (आईआईडी) परियोजना शुरू की गई है।
एमएसई-सीडीपी के लिए हाल ही में आयोजित की गई 24वीं संचालन समिति की बैठक में विभिन्न कलस्टरों में सामान्य सुविधा केन्द्रों के चार प्रस्तावों की अंतिम स्वीकृति हो गई और जांच अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के 14 प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। विभिन्न राज्यों के औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास के अधीन नये केन्द्र खोलने /उन्नयन के छ: प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। बैठक में 73.40 करोड़ रूपये की परियोजना लागत वाले कुल 27 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई। इनके लिए सरकार की ओर से लगभग 51.75 करोड़ रूपये की सहायता दी जा रही है।