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नई दिल्ली। वैज्ञानिक अनुसंधान का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र भारत इस दशक के दौरान वैज्ञानिक अनुसंधान का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बनकर उभरा है। विदेशी अनुसंधान एवं विकास केंद्रों की बढ़ती संख्या, आउटसॉर्स अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र से अनुसंधान एवं विकास निवेश में वृद्धि, वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की उपलब्धता में वृद्धि, वैज्ञानिक अनुसंधान प्रकाशन में वृद्धि इत्यादि के कारण यह संभव हुआ है।
यूनेस्को की विज्ञान रिपोर्ट 2010 के अनुसार दुनिया के प्रकाशनों में भारत की हिस्सेदारी 3.7 प्रतिशत (2008) है। सरकार ने 10 वीं योजना अवधि के दौरान वैज्ञानिक विभाग के आवंटन को 25,301.35 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11वीं योजना अवधि में 75,304 करोड़ रुपये कर दिया है। हालांकि इस क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है फिर भी ज्ञान को समावेशी विकास में बदलने के लिए ज्ञान या अनुसंधान एवं विकास के अंतर-संबंध के साथ नवाचार, वृहत आर्थिक पर्यावरण, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य एवं प्राथमिक शिक्षा जैसे अन्य कारकों को और सुदृढ़ करने की ज़रूरत है।