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शिमला। हिमांचल प्रदेश के उपन्यासकार और कथाकार एसआर हरनोट की पुस्तकें गए वर्ष भी खूब चर्चा में रहीं। हरनोट की अब तक एक दर्जन पुस्तकें विभिन्न विषयों पर प्रकाशित हो चुकी हैं लेकिन साहित्य की यदि बात करें तो वर्ष 2002 में बेहद चर्चित हुए उनके कहानी संग्रह 'दारोश और अन्य कहानियां' ने उन्हें न केवल राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलवाई बल्कि वर्ष 2003 में इस पुस्तक के लिए लंदन में मिले अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान' ने देश से बाहर भी चर्चा में ला दिया।
इस संग्रह की कहानियां अभी तक चर्चा में बनी हुई हैं। विशेषकर 'बिल्लियां बतियाती हैं' और ’माफिया’ ने तो साहित्य जगत का ध्यान विशेष रूप से अपनी ओर खींचा है। यही कारण है कि बिल्लियां बतियाती हैं कहानी जहां कमलेश्वर द्वारा साहित्य अकादमी के लिए संपादित विश्व कालजयी कहानियों में शामिल की गई हैं वहीं कई महत्वपूर्ण संग्रहों में भी शामिल हुई हैं। इस वर्ष पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस दिल्ली से प्रकाशित श्रेष्ठ हिंदी कहानियां 1900-2000 के साथ श्रीनिवास श्रीकांत संपादित और संवाद प्रकाशन के यहां प्रकाशित कथा में पहाड़ में भी यह संकलित हुई हैं। इस कहानी के दयाल प्रसाद के निर्देशन में कई मंचन भी हो चुके हैं। पाठकों में यह संग्रह इतना चर्चित है कि दो वर्षों में ही यह आउट आफ प्रिंट हो गया था और इसका दूसरा संस्करण शीघ्र ही आने वाला है। शायद ही हिंदी की कोई लघु पत्रिका या समाचार पत्र रहा होगा जिसमें इसकी चर्चा न हुई होगी।
इस संग्रह के साथ हरनोट की कुल चौदह कहानियों का अंग्रेजी में सरोज वशिष्ठ का 'माफिया' शीर्षक से किया अनुवाद बहु चर्चित रहा है। हरनोट को साहित्य और हिंदी सेवा के लिए राज्य अकादमी पुरस्कार और कई अन्य राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं। वे साहित्य सेवा के साथ समाज सेवा में भी सक्रिय हैं। कहानी संग्रह के बाद हरनोट का उपन्यास हिडिम्ब, कहानी संग्रह 'जीनकाठी' और मिट्टी के लोग भी चर्चा में बने हुए हैं। हिडिम्ब हरनोट का पहला उपन्यास है जिसने हिंदी साहित्य जगत में पाठकों और आलोचकों का विशेष रूप से अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया है।
वर्ष 2004 में प्रकाशित यह उपन्यास वर्ष 2008-9 में साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित दो पुस्तकों में भी शामिल रहा है। इस उपन्यास के गुजराती और अंग्रेजी में अनुवाद भी हो रहे हैं। इस वर्ष भी इस उपन्यास पर राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में चर्चा रही है। इसकी दर्जनों समीक्षाएं छप चुकी हैं। इसका भी दूसरा संस्करण छप रहा है। इसी तरह वर्ष 2008 में हरनोट का एक अन्य कहानी संग्रह 'जीनकाठी और अन्य कहानियां' भी बहु चर्चित पुस्तकों और बेस्ट सेलर कीताबों में शामिल हो चुका है। पिछले वर्ष इस संग्रह के लिए हरनोट को दिल्ली में 'जनप्रिय लेखक सम्मान' भी मिल चुका है। इस संग्रह की कई कहानियां अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रजी में अनुवादित होकर बेहद चर्चित रही हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्रकाशित इरा राजा के संपादन में अंग्रेजी की पुस्तक 'मां पढ़ती है' कहानी देश-विदेश के शीर्ष लेखकों की रचनाओं के साथ शामिल की गई है। यह कहानी अमेरिका के बहु-प्रतिष्ठित जनरल 'एटीनिया' में भी प्रकाशित हुई है। संग्रह की कहानी 'जीनकाठी' को कथादेश जैसी शीर्ष साहित्यिक पत्रिका ने दो बार प्रकाशित किया है और गत 10 वषों की चयनित दस कहानियों में इसे स्थान दिया गया है। हाल ही में इसकी समीक्षाएं हंस, कथादेश, पब्लिक एजेण्डा, लेखन, पूर्वग्रह, इंडिया न्यूज, अकार, उद्भावना और कथन जैसी पत्रिकाओं में छपी हैं। अजय नवारिया लिखित इस संग्रह की समीक्षा विस्तार से हंस के दिसम्बर, 2010 अंक में प्रकाशित हुई है। दारोश, हिडिम्ब और जीनकाठी संग्रह पर प्रख्यात आलोचक डॉ नामवर सिंह ने भी दूरदर्शन पर अपने कार्यक्रम में विशेष उल्लेख किया है।
इस वर्ष प्रकाशित हरनोट का कहानी संग्रह 'मिट्टी के लोग' का कई पत्र-पत्रिकाओं में उल्लेख हुआ है। इटली से हिमाचल पधारीं आलोचक-लेखक मेरियोला ओफरेदी ने हरनोट का इटली में 'हिडिम्ब' उपन्यास पढ़ा और फिर उनके सारे संग्रहों का अध्ययन करने के बाद में वे हरनोट के गांव तक पहुंच गईं। मेरियोला ओफरेदी हरनोट के कथा साहित्य पर काम कर रही हैं। हरनोट की कहानियां अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ मराठी, उड़िया, गुजराती, मलयालम, पंजाबी इत्यादि भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं, कई विश्वविद्यालय में उन पर एमफिल और पीएचडी हो चुकी है और हो रही है।
डॉ बच्चन सिंह ने हरनोट की पुस्तकों का 'हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास' में विशेष रूप से उल्लेख किया है। इस वर्ष उन्हें उज्जैन में 'हिंदी सेवा सम्मान' मिला है। हिमाचल पर उनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। चार अन्य संग्रह पंजा, आकाशबेल, पीठ पर पहाड़ और माफिया छप चुके हैं। हाल ही में उनकी कई कहानियां कनाडा में प्रकाशित होने वाले हिंदी के समाचार पत्र 'हिंदी टाइम्ज' में छपी हैं। गूगल पर हरनोट के कार्य के दर्जनों पृष्ठ देखे जा सकते हैं। हरनोट एक अच्छे छायाकार भी हैं।