राम पटवा
राजनांदगांव। 'मुक्तिबोध कवियों में महाकवि थे, पूरा विश्व उनके काव्य-योगदान से अभिभूत है, देश को आज मुक्तिबोध की ही जरूरत है।' उनकी स्मृति में पहली बार उन्हीं की कर्मस्थली त्रिवेणी परिसर राजनांदगांव में आयोजित चार दिवसीय युवा रचना शिविर में प्रतिष्ठित साहित्यकार नंद भारद्वाज ने यह बात कही। उन्होंने आठ राज्यों से आए प्रतिभागी युवा रचनाकारों का आह्वान किया कि वे उनकी ज़मीन पर आकर उनकी रचनाओं से प्रेरणा ले सकते हैं। नंद भारद्वाज ने रचनाकारों से कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा उठाने को कटिबद्ध होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि विश्वरंजन ने कहा कि ऐसे रचना शिविर छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में आयोजित किए जाने चाहिएं ताकि प्रदेश में साहित्यिकता का एक प्रजातांत्रिक वातावरण तैयार हो सके, वे साहित्य की परंपरा, समकालीन संसार और उसकी गूढ़ प्रकिया से परिचित हो सकें। विश्वरंजन ने मुक्तिबोध और प्रमोद वर्मा के अंतरंग संबंधों का ज़िक्र करते हुए साहित्यिक संसार के निर्माण को संस्थान का पोलिटिक्स बताया और इस अवसर पर प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान की ओर से हिंदी के प्रतिष्ठित कवि श्रीकांत वर्मा की स्मृति में कविता के लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार की घोषणा भी की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और मुक्तिबोध के अभिन्न मित्र शरद कोठारी ने प्रमोद वर्मा, गजानन माधव मुक्तिबोध, बख्शीजी से जुड़े संस्मरणों को विस्तार से रखते हुए उनकी रचनाधर्मिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात को अपना सौभाग्य बताया कि उनके ही आग्रह पर मुक्तिबोध ने राजनांदगांव को अपनी कर्मस्थली बनाया। सत्रह दिसंबर को उद्घाटन से पूर्व प्रख्यात मोहरी वादक पंचराम देवदास की मांगलिक प्रस्तुति के साथ अतिथि रचनाकारों श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रफुल्ल कोलख्यान, डॉ रोहिताश्व, डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, रति सक्सेना, डॉ श्रीराम परिहार, डॉ श्यामसुंदर दुबे, रघुवंशमणि, जितेन्द्र श्रीवास्तव आदि प्रतिभागी युवा रचनाकारों ने मुक्तिबोध, पदुमलाल पन्नालाल बख्शी और डॉ बलदेव मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अशोक सिंघई ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर त्रैमासिक पत्रिका पाण्डुलिपि-2, सर्जना के कोण (संपादक-विश्वरंजन), साहित्य की पाठशाला (संपादक-डॉ सुधीर शर्मा और जयप्रकाश मानस) का विमोचन भी वरिष्ठ साहित्यकारों ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात भाषाविद डॉ चित्तरंजन ने किया।
शिविर की प्रथम रात्रि राजनांदगांव के स्थानीय रचनाकारों का काव्य पाठ हुआ जिसमें शंकर सक्सेना, अब्दुल सलाम कौसर, प्रोफेसर कृष्ण कुमार द्विवेदी, दाऊलाल जोशी, डॉ शंकर मुनिराय, आत्माराम कोशा, आभा श्रीवास्तव, राजेश गुप्ता, गिरीश ठक्कर आदि ने अपनी रचनाएं पढ़ीं। द्वितीय रात्रि नंद भारद्वाज, श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रफुल्ल कोलख्यान, डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, रति सक्सेना, डॉ श्रीराम परिहार, डॉ श्यामसुंदर दुबे, रघुवंशमणि, जितेन्द्र श्रीवास्तव, विश्वरंजन, डॉ बलदेव, नासिर अहमद सिंकदर आदि ने अपनी कविताओं का पाठ किया। तृतीय रात्रि प्रतिभागी युवा रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया जिस पर वरिष्ठ मार्गदर्शक साहित्यकारों ने अपनी टिप्पणी रखते हुए उनका संशोधन और परिमार्जन किया।
देश के युवा कवियों, लेखकों, निबंधकारों, कथाकारों, लघुकथाकारों को देश के विशिष्ट और वरिष्ठ रचनाकारों ने साहित्य के मूलभूत सिद्धातों, विधागत विशेषताओं, परंपरा, विकास और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित कराने, उनमें संवेदना और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने, प्रजातांत्रिक और शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति उन्मुखीकरण और स्थापित लेखक और उनके रचनाधर्मिता से तादात्मय स्थापित कराने के लिए मार्गदर्शन किया। शिविर में रचना की दुनिया-दुनिया की रचना, रचना में यथार्थ और कल्पना, रचना और प्रजातंत्र, रचना और भारतीयता, रचना: महिला, दलित और आदिवासी, रचना और मनुष्यता के नये संकट, रचना और संप्रेषण, शब्द, समय और संवेदना, कविता की अद्यतन यात्रा, कविता-छंद और लय, कैसा गीत कैसे पाठक?, कहानी-विषयवस्तु, भाषा, शिल्प, कहानी की पहचान, आलोचना क्यों, आलोचना कैसी?, ललित निबंध- कितना ललित-कितना निबंध आदि आधारभूत और महत्वपूर्ण विषयों पर स्त्रोत शिक्षक के रूप में आमंत्रित डॉ बलदेव, डॉ प्रेम दुबे, भगत सिंह सोनी, डॉ वंदना केंगरानी, रवि श्रीवास्तव, मुमताज, आचार्य सरोज द्विवेदी ने प्रायोगिक तौर 100 से अधिक युवा रचनाकारों का मार्ग प्रशस्त किया।
युवा प्रतिभागियों में जया द्विवेदी, डॉ मृदुला सिंह, कृष्ण कुमार अजनबी, रानू नाग, वर्षा रावल, गायत्री आचार्य, आनंद कृष्ण, अंतरा श्रीवास्तव, शैल चन्द्रा, सुमन शर्मा, शोभा शर्मा, गीता विश्वकर्मा, अशोक कुमार प्रसाद, राम कुमार वर्मा, श्याम नारायण श्रीवास्तव, सनत, अंजनी कुमार अंकुर, पंचराम देव दास, मांघीलाल यादव, अनिल कांत, नीलाम्बर सिन्हा, माधुरी कर, यश ताम्रकार, पंकज ताम्रकार, पल्लवी शुक्ला, प्रदीप कुमार देशमुख, उद्धव रावटे, रूपेश तिवारी, डॉ विजय देशपांडे, दिनेश कुमार माली, अनिल दास, लालजी राकेश, स्मृति बत्रा, महंत कुमार शर्मा, शत्रुघ्न सिंह राजपूत, कुबेर सिंह साहू, एके द्विवेदी, गोवर्धन यादव, पी दयाल श्रीवास्तव, पोखन जायसवाल, दीपक श्रीवास्तव, डॉ हाशम बेग मिर्जा, डॉ अशोक मर्डे, बसवराज स्वामी, योगेश अग्रवाल, विमलेश त्रिपाठी, गीता आहूजा, अशोक मानकर, पीयूष वासनिक, पद्मिनी देशमुख, अजहर कुरैशी, विपुल शंकर महलवार, वाणी परमार, शोभांजलि श्रीवास्तव, दिनेश गौतम, मुन्ना बाबु, डॉ चन्द्रशेखर शर्मा, डुमन लाल ध्रुव, कृष्णा श्रीवास्तव, प्रभा सरस, विद्या गुप्ता, राजिंदर व्यास, डीआर सिन्हा, शेर सिंह गोंडिया, अजय साहू, विक्रम सिंह ठाकुर, सरयु शर्मा, केके श्रीवास्तव, नीति श्रीवास्तव, डीपी शरमा, अरुणा चौहान, तिलक लांगे, शेषनारायण गजेन्द्र, नेहरू राम यादव, राम कुमार साहू, विजय सिंह, आमोद श्रीवास्तव, जिनेन्द्र कुमार ध्रुव, आकाशगिरी गोस्वामी, कान्हा कौशिक, माला गौतम, शकुंतला तरार, नरेन्द्र वर्मा, डॉ एसपी बेहरा, धनंजय गंभीर आदि प्रमुख हैं।
इस अवसर पर साहित्यिक अवदान के लिए राजनांदगांव के संपादक सवेरा संकेत और मुक्तिबोध के मित्र रचनाकार शरद कोठारी और गीतकार शंकर सक्सेना को प्रमोद वर्मा स्मृति अलंकरण से सम्मानित किया गया। उन्हें संस्थान के प्रमुख विश्वरंजन ने शाल, श्रीफल, प्रमोद वर्मा समग्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया। इस आयोजन की सफलता में संस्थान के कार्यकारी निदेशक जयप्रकाश मानस, कमलेश्वर साहू, बीएल पाल, डीएस अहलूवालिया, सुरेश छत्री, शांति स्वरूप शर्मा, मिनेश्वर सिंह बघेल, आदि का उल्लेखनी योगदान रहा। शिविर में छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से रचनाकारों ने भाग लिया।