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पेड न्यूज़ विश्वव्यापी समस्या-संभाग आयुक्त

भोपाल में पेड न्यूज परिचर्चा में नहीं जुटे पत्रकार

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भोपाल। भोपाल के संभाग आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने कहा है कि सुपारी पत्रकारिता के लिए भारत को या भारतीय पत्रकारिता को विशेष रूप से लज्जित करने की आवश्यकता नहीं है, यह केवल भारत में ही नहीं पनप रही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी अलग-अलग नामों से मौजूद है। कहीं इसे रेड पॉकेट जर्नलिजम तो कहीं व्हाइट एनवेलप जर्नेलिजम कहते हैं।

मनोज श्रीवास्तव भोपाल के शहीद भवन में वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की परिचर्चा में बोल रहे थे। परिचर्चा का विषय था पत्रकारिता का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा पेड न्यूज। उन्होंने कहा ब्लेक सीप सभी जगह होती है सुपारी पत्रकारिता की अभी शुरूआत हुई है और मीडिया से ही सुपारी पत्रकारिता के विरोध में आवाज उठने लगी हैं। उनका कहना था कि वास्तव में विज्ञापन देने वालों को ही विज्ञापन पर विश्वास नहीं होता और इस विश्वास की कमी ही सुपारी पत्रकारिता को जन्म देती है। कोई चीज विज्ञापन में जीवित नहीं होती, खबर का घूंघट ओढ़कर ही लोगों को पसंद आती है, इसलिए पेड न्यूज का चलन बढ़ गया है। उन्होंने कानून से नियंत्रित किसी आचार संहिता का सीधे जिक्र नहीं करते हुए कहा चूंकि आत्म नियमन प्रभावी नहीं है इसलिए कोई विधिक नियम होना जरूरी है।

परिचर्चा में 18 राज्यों से वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं पत्रकारों का स्वागत करते हुये नव प्रभात के संपादक आदित्य नारायण उपाध्याय ने कहा कि बड़े अखबारों को संचालित करने वाले पत्रकार नहीं ,व्यापारी हैं। व्यापारियों ने अपना मुनाफा देखा और व्यापारियों के हाथ में अखबार जाने से बुराई बढ़ती गई। पैसा लेकर न्यूज लिखी जाने लगी, पेड न्यूज आज की पत्रकारिता का एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर सभी को अंकुश लगाने और इसकी बुराई पर व्यापक चर्चा करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा का कहना था कि पेड न्यूज की चर्चा में कभी अखबार के मालिक और कोई नेता शामिल नहीं होते हैं, पत्रकार भी इस विषय पर चर्चा करने से दूर भागते हैं। पेड न्यूज का पैसा पत्रकारों के पास नहीं जाता, अखबार मालिकों के पास जाता है और आज हम इस स्थिति में नहीं है कि इस पूरी व्यवस्था को बदल सकें, इसलिए हमें ही कोई और रास्ता निकालना होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया में जल्द से जल्द ऊंचे पद पर पहुंचने और अपने मालिक का कृपापात्र बनने के लिए पत्रकारों ने ही पेड न्यूज की इबारत लिखी है, अखबार में क्या झूठ है और क्या सच, पब्लिक यह सब जानती है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को ही ताकतवर बनाना होगा, जमाना तोप का है, तो हमारे पास तोप होनी चाहिए। जमाना पैसे का है, तो हमारे पास पैसा होना चाहिए, तभी हम लड़ाई जीत सकते हैं।

कार्यक्रम में आभार प्रदर्शित करते हुये वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम के कवरेज के लिए कोई सुपारी नहीं दी इसी का नतीजा है कि कार्यक्रम की सूचना कुछ ही अखबारों में दी गई, यदि सुपारी देते तो इस कार्यक्रम के कवरेज को प्रमुखता दी जाती, सुपारी न देने के कारण ही आज भोपाल के पत्रकारों की उपस्थिति नगण्य है, जर्नलिस्ट यूनियन ने 250 निमंत्रण पत्र दिये थे यदि उनमे से आधे भी इस परिचर्चा में आ जाते तो गांधी भवन के इस हाल मे बैठने के लिए जगह नहीं होती। शारदा का कहना था कि परिचर्चा में पत्रकार मित्रों की कम उपस्थिति से लगता है कि वे चाहते हैं कि पेड न्यूज का चलन पत्रकारिता में हो, उनका सोचना है कि वे जो भी खबर दें उसका उन्हे भुगतान मिले, समाचार पत्र मालिकों के साथ पत्रकार भी चाहते हैं कि उन्हें हर समाचार का भुगतान मिले।

ऐसी परिचर्चा आयोजित करने में एक प्रमुख समस्या यह रही कि कोई भी अखबार मालिक या राजनेता पेड न्यूज विषय पर नहीं बोलना चाहते। कार्यक्रम की अध्यक्षता बाला भास्कर हैदराबाद ने की। विशेष अतिथियों में नारायण शर्मा छत्तीसगढ़, एसएस झा बिहार, प्रेम शंकर लखनऊ, एस रघुनाथन मद्रास, आर नाथन मद्रास, हेमराज तिवारी राजस्थान, सतीश संखला जयपुर, राहितास सैन राजस्थान, एमएल उपाध्याय यूपी, संजीव शेखर बिहार सुब्रमण्यम आंध्रप्रदेश, ध्रुव कुमार, संजीव कुमार मिश्रा, निशांत भाई, चक्रधर आंध्रप्रदेश, मीना पंडया गुजरात, राजू मनोहर लाल शामिल थे और विशिष्ट अतिथियों में मनोज श्रीवास्तव और ओम मेहता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ के पत्रकार अहफाज राशिद ने किया।

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