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नई दिल्ली। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर और समुदायों के हित में सर्वांगीण नीति के साथ नियामक और विकास कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर बल दिया है। मंत्रालय के वर्ष 2010-11 में बजटीय आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि से इस क्षेत्र के विकास में काम करने में मदद मिली है। यह आवंटन वर्ष 2009-10 के 1740 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2010-11 में 2600 करोड़ रुपए कर दिया गया है। भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए जिस तरह राजकोष के द्वार खोल रखे हैं उसे देखकर कहीं लगता कि हिंदुस्तान में मुसलमानों की कहीं उपेक्षा हो रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि मुसलमान अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ उठा रहे हैं। यह अलग बात है कि यह लाभ मठाधीशों की संस्थाएं और गरीब छात्रों और गरीबों के नाम पर पेशेवर लोग ज्यादा उठा रहे हैं।
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने भारत के मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति पर प्रधानमंत्री की उच्च स्तरीय समिति, जिसे सच्चर समिति कहा जाता है, की सिफारिशों के क्रियान्वयन की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इनमें अल्पसंख्यक छात्रों के लिए तीन तरह की छात्रवृतियां–मैट्रिक पूर्व, मैट्रिक पश्चात और मेधा- सह- साधन छात्रवृति योजना योजना शुरु की गई। इसके अलावा, एम फिल एवं पीएचडी के छात्रों के लिए मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप योजना और मुफ्त कोचिंग एवं संबद्ध योजना भी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए लागू की गयी। बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम, जो विशेष क्षेत्र विकास कार्यक्रम है, के तहत 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों, जहां मुसलमानों समेत अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी आबादी है, में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और कॉलेज शिक्षा के लिए 559 विद्यालय भवनों, 6679 अतिरिक्त कक्षाओं, 37 छात्रावासों और 34 प्रयोगशालाओं के निर्माण की मंजूरी दी गयी।
सच्चर समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर केंद्र में तिमाही आधार पर समीक्षा की जाती है। अल्पसंख्यक मंत्रालय की योजनाओं और कार्यक्रमों की वर्ष 2010 के दौरान स्थिति काफी अच्छी रही। कक्षा पहली से दसवीं के बीच की पढ़ाई करने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए केंद्र प्रायोजित मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना वर्ष 2008-09 से चलाई जा रही है। इसे राज्य सरकारें और संघ शासित प्रशासन लागू कर रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार 75 फीसदी और राज्य सरकार 25 फीसदी संसाधनों का वहन करती है। हालांकि संघशासित प्रदेशों में शत प्रतिशत संसाधन केंद्र ही उपलब्ध कराता है, जो छात्र परीक्षा में 50 फीसदी या उससे अधिक अंक लाता है और जिसके अभिभावक की वार्षिक आय एक लाख रुपए से अधिक नहीं है वह इस छात्रवृति के लिए पात्र है।
अल्पसंख्यकों के लिए ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान करीब 25 लाख छात्रवृत्तियों के लिए 1400 करोड़ रुपए प्रदान किए जिसमें से 30 फीसदी धनराशि छात्राओं के लिए निर्धारित कर दी गयी। वर्ष 2009-10 में 202 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि जारी की गयी है और 17.29 लाख छात्रवृत्तियां मंजूर की गयी हैं। वर्ष 2010-11 के लिए 20 लाख छात्रवृत्तियों का लक्ष्य रखा गया है और इस साल के लिए वित्तीय आवंटन 450 करोड़ रुपए है। तीस नवंबर, 2010 तक 23.34 लाख छात्रवृतियां दी जा चुकीं।
अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति योजना कक्षा ग्यारहवीं से लेकर पीएचडी के बीच पढ़ाई करने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए है। इन छात्रों में आईटीआई और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से तकनीकी और व्यावसायिक अध्ययन कर रहे कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्र भी शामिल हैं। यह योजना नवंबर 2007 में मंजूर की गयी और दिसंबर से इसे शुरू किया गया। इसके तहत भी शत प्रतिशत संसाधन केंद्र ही मुहैया कराता है लेकिन इसे राज्य सरकारें और संघशासित प्रशासन लागू करते हैं। छात्रों के लिए अंकमानक वही है। इसका लाभ उनको मिलेगा जिनके अभिभावकों की सालाना आय दो लाख रुपए से अधिक नहीं है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में इस तरह की 15 लाख छात्रवृतियां प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस योजना अवधि के लिए 1150 करोड़ रुपए तय किए गए हैं। वर्ष 2010-11 के लिए 265 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं और चार लाख छात्रवृतियां दिए जाने का लक्ष्य है। पिछले साल 30 नवंबर 2010 तक तीन लाख 59 हजार से अधिक छात्रवृत्तियां प्रदान की गयी हैं।
व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के लिए मेधा- सह साधन आधारित छात्रवृत्तियों की यह केंद्र प्रायोजित योजना वर्ष 2007 में शुरू की गयी थी। इसे भी राज्य सरकारों एवं संघशासित प्रदेश प्रशासन के माध्यम से लागू किया जा रहा है लेकिन इसके लिए शत प्रतिशत संसाधन केंद्र मुहैया कराता है। इसके तहत उपयुक्त प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त संस्थानों से स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा हासिल कर रहे छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। हर वर्ष ऐसी 20 हजार छात्रवृत्तियां प्रदान करने का प्रस्ताव है। इन छात्रवृतियों में 30 फीसदी छात्राओं के लिए निर्धारित की गयी है। इस योजना के तहत व्यावसायिक एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए 70 संस्थानों का चयन किया गया है। इन संस्थानों में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के योग्य छात्रों को पूर्ण पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान किया जाएगा। अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के योग्य छात्रों को 20 हजार रुपए प्रति वर्ष भुगतान किया जाएगा। बिना प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा के दाखिला पाने वाले छात्रों के मामले में छात्र को 50 फीसदी से कम अंक प्राप्त नहीं होने चाहिएं। छात्र की पारिवारिक आय भी ढाई लाख रुपए सलाना से अधिक नहीं होना चाहिए।
वर्ष 2010-11 के दौरान 135 करोड़ रुपए इस योजना के लिए आवंटित किए गए हैं और 20 हजार छात्रवृत्तियां प्रदान करने का लक्ष्य है। 30 नवंबर, 2010 तक 16 हजार ताजा छात्रवृत्तियां मंजूर की गयीं और 17 हजार से अधिक नवीनीकृत की गयीं। अल्पसंख्यक समुदायों से जुडे उम्मीदवारों के लिए मुफ्त कोचिंग एवं संबद्ध सहायता योजना संशोधित कर जुलाई, 2007 में शुरू की गयी और इससे अब तक कुल 15 हजार से अधिक छात्र/उम्मीदवार लाभान्वित हुए हैं। वर्ष 2009-10 के दौरान 5532 उम्मीदवार लाभान्वित हुए। वर्ष 2010-11 के लिए 5760 छात्रों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है जिनमें से 31 नवंबर, 2010 तक 4725 छात्र लाभान्वित हुए। इस वर्ष इस योजना के लिए 7.38 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। जहां तक अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप योजना का सवाल है तो वर्ष 2009-10 में शुरू की गयी इस राष्ट्रीय अल्पसंख्यक छात्र फेलोशिप योजना के तहत केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को एम फिल एवं पीएचडी जैसी उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता के रूप में पांच साल के लिए फेलोशिप प्रदान करती है।
योजना में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा दो (एफ) और धारा दो के तहत मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय एवं संस्थान आते हैं और इसे अल्पसंख्यक मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए यूजीसी के माध्यम से लागू करता है। यह फेलोशिप नियमित एवं पूर्णकालिक रुप से एम फिल एवं पीएचडी कर रहे शोध छात्रों को मिलने वाले यूजीसी फेलोशिप की तर्ज पर है। इस योजना के तहत हर वर्ष अल्पसंख्यक समुदायों के शोध छात्रों को 756 नई फेलोशिप प्रदान की जाती है। वर्ष 2009-10 के दौरान 755 को फेलोशिप प्रदान की गई है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक छात्र फेलोशिप योजना के लिए वर्ष 2010-11 के दौरान 30 करोड़ रुपए का बजटीय आवंटन उपलब्ध है जबकि पिछले वर्ष यह 14.90 करोड़ रुपए था।
वर्ष 1989 में मौलाना आजाद शिक्षा फाउंडेशन (एमएईएफ) की सोसायटी पंजीकरण अधिनियम,1860 के तहत एक स्वैच्छिक, गैर राजनीतिक, गैरलाभकारी संगठन के रूप में स्थापना की गयी थी। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य खासकर शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों और आमतौर पर कमजोर तबके के लाभ के लिए शैक्षणिक स्कीम और योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना है। इसके साथ ही उसका उद्देश्य ऐसे वर्गों को खासकर लड़कियों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आवासीय स्कूलों की स्थापना में मदद करना है। फाउंडेशन अपने निधि कोष पर मिलने वाले ब्याज से अपनी योजनाएं चलाता है और यही उसकी आय का एकमात्र स्रोत है। फाउंडेशन को निधिकोष योजना सहायता के रुप में प्रदान किया गया है। यह कोष जहां वर्ष 2006-07 में 200 करोड़ रुपए था वहीं अब बढ़कर 700 करोड़ रुपए हो गया है।
अल्पसंख्यक महिला नेतृत्व विकास योजना अल्पसंख्यक महिला नेतृत्व विकास योजना की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को सौंप दी गयी। यह योजना औपचारिक रुप से 27 जनवरी, 2010 को शुरू की गयी थी। सच्चर समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुसलमानों की आबादी 13.83 करोड़ है लेकिन यह समुदाय विकास के पायदान पर पिछड़ गया है। इस समुदाय में महिलाएं और पिछड़ी हुई हैं। विकास का लाभ इन महिलाओं तक पहुंचाने के लिए इस योजना को बतौर केंद्रीय प्रायोजित योजना पायलट तरीके से लागू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं का सहयोग, नेतृत्व विकास प्रशिक्षण, कौशल विकास किया जाएगा ताकि वह घर की चारदिवारी के घेरे से बाहर आ सकें और सेवाओं, कौशल एवं अवसरों का लाभ उठाने में आगे रहें। यह योजना देशभर में खासकर अल्पसंख्यक बहुल जिलों, प्रखंडों और शहरों पर विशेष ध्यान देते हुए लागू की जानी है। इस योजना में वर्ष 2010-11 के लिए 15 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं और अब तक 56850 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
और लीजिए-राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम अल्पसंख्यक मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम है जिसका मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों के गरीब तबकों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इसे 30 सितंबर, 1994 को प्रारंभिक अधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपए के साथ कंपनी अधिनियम में शामिल किया गया था। मौजूदा अधिकृत शेयर पूंजी 1500 करोड़ रुपए है और इसमें केंद्र, राज्यों, संघशासित प्रदेशों और अल्पसंख्यक कल्याण में जुटे संगठनों का योगदान है। निगम ने टर्म लोन स्कीम के तहत 3,21,898 लाभार्थियों में 1255.18 करोड़ रुपए वितरित किए हैं । उसने 1998-99 से सूक्ष्म ऋण योजना शुरू की थी और उसने 2,17,025 लाभार्थियों में 133.40 करोड़ रुपए वितरित किए हैं।
अल्पसंख्यकों के ही लिए देश में बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है जोकि देश के 20 राज्यों में अल्पसंख्यक बहुल 90 जिलों में चल रहा है। ये जिले सामाजिक-आर्थिक और मूल सुविधाओं की दृष्टि से पिछड़े हुए हैं और इन जिलों पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरुरत है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य लोगों के जीवन में सुधार लाना और समग्र विकास की दृष्टि से असंतुलन को कम करना है। इन जिलों शिक्षा, सफाई, पक्का मकान, पेयजल, बिजली आपूर्ति, स्वास्थ्य सुविधाएं, आईसीडीएस केंद्र, कौशल विकास, विपणन सुविधाएं आदि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह कार्यक्रम 2008-09 में शुरू किया गया था। इन जिलों में से 89 के लिए जिला योजनाएं अब तक विचार कर मंजूर की जा चुकी हैं। इसके तहत 1650.88 करोड़ रुपए राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों को इस मद के लिए जारी किए जा चुके हैं।
राज्य वक्फ बोर्ड दस्तावेज कंप्यूटरीकरण योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत राज्य स्तरीय आधार पर विभिन्न कंप्यूटर डाटा आधार पर वक्फ डाटा का सर्वेक्षण एवं पुष्टिकरण, कार्यालय के कामकाज में तेजी लाना और विभिन्न प्रशासनिक मामलों पर समय पर रिपोर्ट तैयार करना, विभिन्न हितधारकों के इस्तेमाल के लिए केंद्रीय एवं वेब समर्थ डाटा बेस का निर्माण, वक्फ बोर्ड का संपदा पंजीकरण प्रबंधन, मुत्तावल्ली वापसी प्रबंधन प्रणाली, संपदा लीजिंग प्रबंधन प्रणाली शामिल है। यह कंप्यूटीकरण योजना 29 राज्य वक्फ बोर्डां और जम्मू कश्मीर के वक्फ बोर्ड में समान रूप से लागू की जा रही है। इसमें धन की उपलब्धता के आधार पर धनराशि के लिए अनुरोध किया जाता है। यह योजना 2009-10 से 2010-11 की योजना अवधि के दौरान 22.84 करोड़ रुपए की कुल लागत से लागू की जा रही है।
वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति ने अपनी तीसरी रिपोर्ट में वक्फ अधिनियम 1995 को और प्रभावी बनाने के लिए उसमें समग्र बदलाव की सिफारिश की है। प्रस्तावित संशोधन पर विचार किया गया है और वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2010 अप्रैल को लोकसभा में पेश किया गया जो 7 मई 2010 को लोकसभा से पारित हो गया। उसे राज्यसभा में भेजा गया और 31 अगस्त 2010 को राज्यसभा ने उसे सदन की 13 सदस्यीय चयन समिति के पास भेज दिया।
अल्पसंख्यकों के विकास के लिए प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा जून 2006 में की गयी थी। इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य पिछड़े तबके के लिए चलायी जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समुदाय के पिछड़े समुदाय तक भी पहुंचाना है। अल्पसंख्यकों तक समान रूप से इन योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए नये कार्यक्रम में विकास योजनाओं का कुछ फीसदी अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लिए तय किया गया है। इसमें इस बात की भी व्यवस्था है कि जहां तक संभव हो सके, विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 15 फीसदी लक्ष्य और व्यय अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित हो। इस कार्यक्रम में समेकित बाल विकास योजना, सर्वशिक्षा अभियान जिसमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना, औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीआई) को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना, प्राथमिकता क्षेत्र बैंक ऋण योजना, इंदिरा आवास योजना शामिल है। इस बात की छूट दी गई है कि इन योजनाओं में अल्पसंख्यक लक्ष्यों के हिसाब से जरूरी बदलाव भी किये जा सकते हैं।