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अंडमान में पर्यटन के दूत ये पोस्टकार्ड!

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मेघदूत पोस्टकार्ड-meghdoot postcard

पोर्ट ब्लेयर। एसएमएस, ई-मेल मोबाइल जैसी तीव्र संपर्क संचार क्रांति के बीच सदियों पुराना डाक विभाग अपनी जगह बनाए हुए है। दुनिया के बदलने के साथ वह भी अपने को 'अपडेट' करता जा रहा है। इसका पोस्ट कार्ड आज भी संदेशों के आदान-प्रदान का मान्यता प्राप्त दस्तावेज है। इस पर छपी मुहर अपने प्रस्थान के इतिहास का बयान करती है और इस पर छपे संदेश जनसामान्य में देश की संस्कृति, यादों और प्रगति का सम्मेलन करते हैं। डाक विभाग के ये प्रयोग निरंतर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहे हैं। इस पोस्टकार्ड को ही देखिए जो अपने में कई संदेश लेकर गंतव्य की ओर जाने को तैयार है।

भारतीय डाक विभाग ने अंडमान-निकोबार में पर्यटन को बढ़ावा देते मेघदूत पोस्टकार्ड जारी किए हैं। ख़ास बात यह है कि जहां सामान्य पोस्टकार्ड की कीमत 50 पैसे है वहीँ मेघदूत पोस्टकार्ड मात्र 25 पैसे में उपलब्ध होते हैं। मेघदूत पोस्टकार्ड के पते की साइड में कुछ लिखा नहीं जा सकता क्योंकि वहां पर विभिन्न प्रकार के विज्ञापन या प्रचार सामग्री मुद्रित की जाती है। मेघदूत पोस्टकार्ड बिक्री के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध हैं।

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के डाक सेवा निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि पोस्टकार्ड में काला पानी नाम से मशहूर मगर अब ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारक सेलुलर जेल, बैरन द्वीप और यहां भारत के एकमात्र सक्रिय बैरन ज्वालामुखी और रॉस और स्मिथ द्वीपों जैसे चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। रॉस और स्मिथ द्वीपों की यह विशेषता है कि ज्वार आने पर यह दोनों द्वीप आपस में मिल जाते हैं और भाटा के समय अलग हो जाते हैं, इस कारण इन्हें सिस्टर-आइलैंड भी कहा जाता है। मेघदूत पोस्टकार्डों को सूचना-प्रसार एवं पर्यटन निदेशालय, अंडमान-निकोबार प्रशासन ने विज्ञापित किया है।

कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि मेघदूत पोस्टकार्डों की डाकघरों में काफी मांग है और टूरिस्ट सीजन होने के चलते तमाम विदेशी और भारतीय पर्यटक इन डाक पत्रों से अपने परिजनों को संदेश भेज रहे हैं। पत्र यहां से भेजे जाने के कारण इन पर अंडमान के डाकघरों की मुहर भी लगी होती है, जिससे इनकी फिलेटलिक वैल्यू भी बढ़ जाती है। देश-विदेश से लोग अंडमान में पर्यटन के लिए तो आते हैं लेकिन उनका सर्वाधिक आकर्षण और दिलचस्पी एक बार उस सेलुलर जेल को देखने में होती है जहां हिंदुस्तान की आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्तों ने बंद रहकर असहनीय यातनाएं सहीं। पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर से बाहर जाने वाले पत्रों पर जो मुहर लगाई जाती है, उस पर भी सेलुलर जेल का चित्र अंकित होता है। ऐसे में ये पत्र एक अविस्मरणीय यात्रा का प्रमाण बन जाते हैं।

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