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बंगलुरू। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व विख्यात संस्था संस्कृत भारती ने यहां नेशनल हाई स्कूल बसावनागुडी में आयोजित विश्व संस्कृत पुस्तक मेला में सम्मानित किया। निशंक को यह सम्मान विश्व संस्कृत मेला के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचेलैय्या ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा और भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालास्वामी की उपस्थिति में प्रदान किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान सहित 14 संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपति, 120 संस्कृत महाविद्यालयों के प्रतिनिधि, 16 प्राच्य शोध संस्थानों के अध्यक्ष और 7 संस्कृत अकादमियों के प्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में संस्कृत भाषा के विद्वान एवं संस्कृत पुस्तकों के मुद्रक प्रकाशक उपस्थित थे। कार्यक्रम में रमेश पोखरियाल निशंक की प्रसिद्ध कृति नंदा राजजात के संस्कृत अनुवाद का भी विमोचन किया गया।
रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मौके पर कहा कि उत्तराखण्ड भारतीय ज्ञान एवं संस्कृति परम्परा को सहेजने और संवर्धित करने वाला राज्य है। यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है, भारतीय ज्ञान परम्पराओं को और अधिक विकसित करने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड सरकार ने अपने यहां संस्कृत को द्वितीय राजभाषा बनाया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और आज के वैज्ञानिक युग में कम्प्यूटर के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है। संस्कृत एक ऐसी भाषा है, जिसका लेखन और उच्चारण एक समान होता है। योग, आयुर्वेद, वेद, वेदान्त, भगवत गीता इन सभी में मानव कल्याण के लिए अथाह ज्ञान का भण्डार है, जिसे संस्कृत भाषा के ज्ञान के बिना समझना असम्भव है।
निशंक ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार संस्कृत शोध को बढ़ावा देने के साथ ही संस्कृत छात्रों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड सरकार सरकारी विभागों में संस्कृत अनुवादकों की नियुक्ति करने और माध्यमिक स्तर तक संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय बनाने पर भी विचार कर रही है। उत्तराखण्ड तेजी से शिक्षा के हब के रूप में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है और यहां पर संस्कृत भाषा के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना भी की जा चुकी है। धर्म नगरी हरिद्वार को संस्कृत नगरी के रूप में घोषित भी कर दिया गया है और प्रदेश में संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को राजकीय शिक्षकों के समान वेतनमान स्वीकृत करने के साथ ही पृथक से संस्कृत विभाग का गठन भी किया गया है।
विश्व संस्कृत पुस्तक मेला के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन वेंकटचेलैय्या ने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा बनाने के उत्तराखण्ड सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि आज के ज्ञान आधारित समाज में संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता बनी हुई है। संस्कृत भारत की सार्वभौमिक सांस्कृतिक भाषा है और यह आधुनिक समस्याओं का हल देने में भी सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत पुस्तक मेले का आयोजन राष्ट्रीय एकता और सौहार्द को बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगा।