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उदयपुर। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री डॉ सीपी जोशी ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम 1996 (पीईएसए) के तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्यांवयन की सलाह दी है। पीईएसए के नाम से मशहूर यह अधिनियम अनुसूचित पांच क्षेत्रों में स्वशासन को प्रोत्साहन देता है। इसमें ग्राम सभाओं को मुख्य भूमिका देने की बात कही गई है। पीईएसए को ग्राम सभाओं को ग्राम पंचायतों की योजनाओं को मंजूरी देने के कार्य को निष्पादित करने, योजनाओं के लिए लाभार्थियों की पहचान करने, धन के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र जारी करने, भूमि अधिग्रहण से पहले परामर्श करने का अधिकार और पुनर्वास और पुनर्स्थापना, मादक पदार्थो की बिक्री, खपत को नियंत्रित और प्रतिबंधित करने का अधिकार, भूमि को क्षारीय होने से रोकना, क्षारीय भूमि को ठीक करना, ग्रामीण बाजारों का प्रबंध, लघु वन उत्पादों के स्वामित्व के लिए धन उधार देने पर नियंत्रण जैसी जिम्मेदारी सौपी गई है।
डॉ सीपी जोशी यहां एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला का आयोजन पंचायती राज मंत्रालय, राजस्थान सरकार और मोहन दास सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से किया था। इस कार्यशाला का उद्देश्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में पीईएसए के कार्यांवयन के लिए भावी एजेंडा तैयार करना था। इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय में सचिव एएनपी सिन्हा भी उपस्थित थे। जनजातीय नेताओं, पंचायतों के प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, शिक्षाविदों के साथ-साथ नीति नियामकों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिभागियों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये है, जो ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने, जनजातीय संस्कृति और समाज के अनेक सकारात्मक पहलुओं की सराहना करने, राज्य के कानून में आवश्यक परिवर्तन करने, समुचित नियम तैयार करने और क्षमता निर्माण से संबंधित है। इस दौरान यह रेखांकित किया गया कि सुशासन के लिए सशक्त, गतिशील ग्राम सभा आवश्यक है। इसके अतिरिक्त ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों के बीच संबंध विपरीत नहीं बल्कि एक-दूसरे के पूरक है।
डॉ सीपी जोशी राज्यों की इस बात से प्रभावित हुए कि उन्होंने पीईएसए में बल देने के रूप में परंपराओं और रिवाजों के अनुसार अपने मामलों के सामुदायिक प्रबंध के आधार पर ग्राम सभाएं गठित की। उन्होंने कहा कि नियमों और प्रतिक्रियाओं के जरिये परामर्श और सिफारिश की प्रक्रियाओं को स्पष्ट किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी कर्मचारी अधिनियम के अनुसार कार्य कर सके। सरकारी कर्मचारियों, पंचायतों और ग्राम सभाओं के प्रतिनिधियों की क्षमताओं का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें पीईएसए की परिकल्पना के अनुरूप कार्य करने में समर्थ बनाया जा सके।