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नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने एक समारोह में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2010 के विजेता बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने इन बच्चों और उनके माता-पिता से बातचीत की और उन्हें वीरतापूर्ण कार्य के लिए प्रोत्साहित किया। बच्चों ने उन्हें अपने बहादुरी वाले कारनामों के बारे में बताया। उपराष्ट्रपति ने बच्चों के सुनहरे भविष्य की कामना की। इन पुरस्कारों की शुरूआत 1957 में की गई थी। वीरता पुरस्कार के लिए चयन उच्चाधिकार प्राप्त समिति, जिसमें अलग-अलग मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों जैसे भारतीय बाल कल्याण परिषद के वरिष्ठ सदस्य शामिल होते हैं, करती है।
पूर्वोत्तर राज्यों के 8 बच्चों सहित 23 बच्चों को पुरस्कार के लिए चुना गया है और इनमें से 2 बच्चों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है। प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार केरल की 13 वर्षीय कुमारी जिस्मि पीएम को दिया गया है, जिसने दो बच्चों को डूबने से बचाया था। संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के 11 वर्षीय प्रियांशु जोशी को दिया गया है, जिसने अपनी बहन को तेंदुए से बचाया था। पुरस्कार विजेता बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेंगे ।
पुरस्कार विजेताओं को प्रायोजित कार्यक्रम के तहत उनकी विद्यालयी शिक्षा पूरी करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। राज्य सरकारें भी कुछ वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती हैं। आईसीसीडब्ल्यू इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना के तहत उन बच्चों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है, जो अभियांत्रिकी और औषधि जैसे व्यावसायिक कोर्सों को अपनाते हैं। अन्य बच्चों के लिए यह सहायता उनकी स्नातक स्तर की शिक्षा पूरी करने तक प्रदान की जाती है। भारत सरकार ने मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलिटेक्निक में पुरस्कार विजेता बच्चों के लिए कुछ सीटों को आरक्षित किया है।