लिमटी खरे
नई दिल्ली। 'कांग्रेसियों के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी' समूचे देश में युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने के बड़े-बड़े जतन कर रहे हैं। नए रूप में उनकी देशव्यापी स्थापना के लिए दिल्ली में कांग्रेस का महाधिवेशन कराया गया, विश्वविद्यालयों में जाकर छात्र-छात्राओं से मिल रहे हैं, लोक दिखावे के लिए दलितों के घर जाकर भी जा रहे हैं और उनके घर खाना खा रहे हैं या फिर मुसलमानों को रिझाने के लिए आरएसएस सहित हिंदूवादी संगठनों के खिलाफ देशभर में ज़हर उगल रहे हैं, पर राहुल गांधी अपना संसदीय क्षेत्र अमेठी नहीं संभाल पा रहे हैं या यह कहिए कि उन्हें अमेठी का असली सच अभी भी नहीं दिख रहा है। यह अलग बात है कि यहां की चिथड़ेहाल जनता 'राजीव गांधी के बिटवा' के दुलार में संकोचवश उनसे कोई सवाल न करे और उन्हें हर बार भारी वोटों से जिताकर संसद में भेजती रहे।
अमेठी का आलम यह है कि यहां न बिजली है न पानी का ठिकाना है। रही बात उद्योग धंधों की तो लगभग उद्योग विहीन हो चुका है अमेठी। संप्रग सरकार और उसमें कांग्रेस के इकबाल के बावजूद भी लगभग सवा लाख गैस कनेक्शन धारकों में रसोई गैस का जबर्दस्त संकट है। राजनैतिक कारणों से सदा चर्चा में रहने वाली अमेठी में कैप्टन सतीश शर्मा ने सांसद रहते बहादुरपुर में पेट्रोलियम इंस्टीटयूट की घोषणा की थी, 97 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ही है। बतौर सांसद पहले कार्यकाल में राहुल गांधी ने अमेठी को एजूकेशन हब बनाने का सपना दिखाया था किन्तु न तो इंस्टीट्यूट ऑफ इंफारमेशन टेक्नोलॉजी ने यहां डिस्कवरी पार्क बनाया और ना ही दिल्ली पब्लिक स्कूल ने ही यहां काम आरंभ किया। अमेठी की बदहाली देखकर भी यहां के नागरिक यही कहते हैं कि राहुलजी हमारे माननीय सांसद हैं।
यह है आरटीई का हाल
हिंदुस्तान में बच्चों को शिक्षित करने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने शिक्षा के अधिकार कानून आरटीई को लागू किया है। गैर कांग्रेसी सरकारों वाले राज्यों में आरटीई का परवान न चढ़ पाना समझ में आ सकता है कि वे कांग्रेस के फैसलों को अंगीकार करने से गुरेज कर रहे हों, किंतु कांग्रेस की राजस्थान सरकार आरटीई में किस मजबूरी में पीछे है? राजस्थान में बारह लाख से अधिक बच्चों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है। इतना ही नहीं 72 हजार शालाओं में 23 हजार शिक्षकों की कमी है। राजस्थान में तकरीबन सात लाख 14 हजार कन्याएं और चार लाख 77 हजार बालक स्कूल जाने से वंचित हैं। यहां बालिकाओं के स्कूल से विमुख होने पर खासा आश्चर्य होता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद महिला हैं, देश की महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल भी महिला हैं, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी महिला हैं, फिर कांग्रेस की राजस्थान सरकार बालिकाओं की शिक्षा दीक्षा के मामले में कोताही क्यों बरत रही है? बच्चों की शिक्षा को लेकर बनाए गए कानून की अनदेखी पर राज्यों को कोई सजा देने का प्रावधान तो अवश्य ही होगा? अगर नहीं तो इसमें संशोधन कर केंद्र सरकार को ऐसा प्रावधान कर उसका उपयोग करना ही चाहिए।
आईटीडीपी में महिला बटालियन
भारत तिब्बत सीमा पुलिस में भी महिलाएं आ चुकी हैं। इसकी पहली बटालियन में 209 महिलाओं को शामिल किया गया है। इसमें उत्तराखण्ड की 44, राजस्थान की 13, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और दिल्ली की चार-चार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की दो दो एवं हिमाचल प्रदेश की एक महिला शामिल है। अर्धसैनिक बलों में अब तक पुरूषों का ही वर्चस्व रहा है, पर महिलाओं ने भी आईटीबीपी के माध्यम से देश की सेवा करने की ठानी है। इन महिलाओं को प्रशिक्षण के कठिन अनुभव से गुजरना पड़ रहा है, बावजूद इसके कि ये महिलाएं इसके लिए अपने आप को पूरी तरह तैयार कर चुकी हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि जब पूरी तरह से यह बटालियन तैयार हो जाएगी तब इसको कैलाश मानसरोवर और नाथुला दर्रे में चुनौतीपूर्ण तैनाती दी जा सकती है तब फिर आने वाले समय में समूची दुनिया 'भारत की स्त्री शक्ति' को और ज्यादा सलाम करती नज़र आएगी।
केंद्र पर बरस रहे हैं चौहान
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अनेक मामलों में केंद्र पर पक्षपात का आरोप रह-रह कर केंद्र सरकार पर बरसते हैं। वे दिल्ली आकर मध्य प्रदेश भवन में पत्रकारों को चाय पर बुलाते हैं और अपनी भड़ास निकाल देते हैं। केंद्र सरकार क्या दे रही है क्या नहीं इस बात से शायद उनको बहुत ज्यादा लेना देना नहीं है। मध्य प्रदेश में सड़कों की दुर्दशा को लेकर भाजपा ने पहले भूतल परिवहन मंत्री को घेरने की घोषणा की थी। हस्ताक्षर अभियान और मानव श्रंखला की घोषणा की गई, प्रधानमंत्री से मिलने की बात भी थी, मध्य प्रदेश भाजपा ने यह नहीं किया, कुछ दिन बाद शिवराज सरकार ने भी भूतल परिवहन मंत्रालय को घेरने की बात कही और बाद में कोई प्रयास नहीं किया। शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में पत्रकार वार्ताओं में भूतल परिवहन मंत्रालय को छोड़ बाकी सभी मंत्रालयों को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
बापू का 'आई क्यू' पहुंचा आरटीआई
भारत में सूचना का अधिकार कानून क्या लागू हुआ लोगों ने जो मर्जी चाही वह जानकारी मांगनी आरंभ कर दी है। अहमदाबाद के एक व्यक्ति ने केंद्रीय सूचना आयुक्त से एक जानकारी मांगी है, जो हैरतअंगेज ही कही जा सकती है। उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सहित अनेक पूर्व राष्ट्रपतियों के बौद्धिक स्तर (आई क्यू लेबल) के बारे में जानकारी चाही है। उधर केंद्रीय सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र का मानना है कि इस तरह की सूचनाएं मागने से साफ हो जाता है कि लोग अब सूचना के अधिकार के नाम पर हदें पार करते जा रहे हैं, यह सूचना के अधिकार दायरे का उल्लंघन है, जिसे रोका जाना चाहिए। वैसे कुछ लोगों ने सूचना के अधिकार कानून के जरिए न जाने कितने लोगों को बेनकाब कर दिया है और कुछ ने इसके जरिए दुकानदारी भी आरंभ कर दी है। पहले जानकारी मांगो फिर उससे सौदा कर लो। कुछ जगहों पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां मांगने पर लोगों का कत्ल तक हो गया है। सरकार को इसका और अधिक प्रचार प्रसार करना चाहिए, ताकि व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके।
उमा के लिए आड़वाणी बने निशाना
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से कभी पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आड़वाणी बहुत बड़े ब्लागर हो गए हैं। आड़वाणी अब अपनी मंशाएं और पार्टी की अंदरूनी बातें अपने ब्लाग पर लिखकर सार्वजनिक करते हैं। उनके लिए पहले से ही भाजपा का मंच है, फिर भी उन्होंने ब्लाग की दुनिया में जाकर अपने आप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया है। आड़वाणी ने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की भाजपा में वापसी की मंशा को अपने ब्लाग पर उजागर कर दिया था, उसके बाद से ही भाजपा में हंगामा हो रहा है। उमा भारती ने भाजपा में रहने और छोड़ने के बाद जिन जिन लोगों को कोसा था, वे सब लामबंद होकर उमा भारती की वापसी में शूल बोने लगे हैं। पहले लग रहा था कि जब आड़वाणी ने अपने ब्लाग पर उमा भारती का भविष्य तय कर दिया है तो फिर भाजपा का संसदीय बोर्ड भी प्रतिकार नहीं करेगा मगर उमा के विरोधियों ने इस मामले पर टीवी के सामने ही आड़वाणी को निशाना बना दिया। अब लगता है कि उमा भारती को भाजपा में वापसी के लिए अभी वेट करना पड़ेगा।
एम्स के पानी में हैं लाख बीमारियां
दिल्ली का अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, मरीजों और उनके तीमारदारों को पानी में बीमारियां भी पिला रहा है। जी हां! यह सच है। संस्थान के लेबोरेटरी मेडीसिन विभाग की रिपोर्ट यह सब कह रही है। यहां के पानी के नमूने की जांच में पाया गया है कि इसमें पैथोजीन है, जो टाईफाईड, हेपीटाईटिस ए एवं सी के साथ ही साथ पेट की अनेक बीमारियों का कारक है। इसमें ओपीडी, इंडियन रोटरी कैंसर हॉस्पिटल का पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। उम्दा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात एम्स में मरीजों को तो प्रदूषित पानी पिलाया ही जा रहा है, उनकी तीमारदारी में लगे लोग भी उसे पी रहे हैं। यह भी जानिए कि एम्स के प्राईवेट वार्डस और वीवीआईपी क्लीनिक्स में रसूखदारों के लिए आरओ मशीनें लगा दी गईं हैं। एम्स निदेशक डॉ आरसी डेक्का को लिखे गए एक पत्र में इन बातों का सविस्तार से उल्लेख किया गया है। देखिए! एम्स कब तक आम मरीजों और तीमारदारों को साफ सुथरा पानी मुहैया करवाता है।
'डियर मिनिस्टर' ध्यान दें!
केंद्रीय मंत्रियों में इन दिनों कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर का एक पत्र काफी चर्चा में है। केएम चंद्रशेखर ने यह पत्र लिखकर मंत्रियों को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के एक निर्देश की याद दिलाई है, जिसमें प्रधानमंत्री ने मंशा व्यक्त की थी कि केंद्रीय मंत्री सांसदों का पूरा-पूरा ध्यान रखें, उनसे समय समय पर भेंट-मुलाकात करें। कैबिनेट सचिव ने प्रधानमंत्री कार्यालय में पदस्थ रहे पूर्व राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के पत्र की भी याद दिलाई है। केंद्रीय मंत्री कह रहे हैं कि आखिर एक नौकरशाह को मंत्रियों को इस प्रकार पत्र लिखकर याद दिलाने की क्या जरूरत पड़ गई? मंत्रियों का कहना है कि इस पत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मंत्रिगण सांसदों की उपेक्षा कर रहे हैं और सांसदों ने जाकर कैबिनेट सचिव के सामने जाकर अपना दुखड़ा रोया है। इसके पहले भी कैबिनेट सचिव ने मंत्रियों को अपने अपने महकमों की परफार्मेंस रिपोर्ट तैयार करने संबंधी पत्र लिखा था।
बापू के पुजारी अश्विनी का आग्रह
दिल्ली में संपंन नौवें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में आए महात्मा गांधी के पुजारी सखामित्र अश्विनी ने एक अनोखा संकल्प लिया है। अश्विनी ने बापू के शांति और अहिंसा के संदेश को समूचे विश्व में प्रसारित करने का बीड़ा उठाया है। सम्मेलन में लंदन, कनाड़ा, अफ्रीका से आए भारतवंशियों ने मिलकर अश्विनी ने इन देशों में बापू के संदेश के प्रचार प्रसार का आग्रह किया है। अश्विनी का मानना है कि बापू हमेशा निचले तबके का सहारा माने जाते रहे हैं। फिल्म और थियेटर की दुनिया के सशक्त हस्ताक्षर अश्विनी ने पीस टू जर्नी नामक एलबम के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार करने का निर्णय लिया है, यह एलबम इस साल गांधी जयंती पर लांच होने की उम्मीद है।