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Sunday 31 March 2013 09:28:56 AM
देहरादून। उत्तराखंड में बिजली की कमी को दूर करने के लिए एडीबी की सहायता से व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे विद्युत उत्पादन एवं पारेषण के क्षेत्र में और तेजी से कार्य करें। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है कि भारत सरकार के आर्थिक मामलों के अतिरिक्त सचिव शशिकांत दास ने भी प्रदेश में एडीबी की सहायता से ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड ऊर्जा सेक्टर निवेश कार्यक्रम (विद्युत उत्पादन एवं पारेषण) के तहत एडीबी ने 300 मिलियन डॉलर का ऋण स्वीकृत किया है। एडीबी सहायतित उत्तराखंड ऊर्जा सेक्टर निवेश कार्यक्रम के तहत प्रदेश में बिजली उत्पादन एवं पारेषण के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा। एडीबी से यह ऋण राशि विभिन्न चरणों में राज्य को मिलेगी। इस कार्यक्रम को यूजेवीएनएल तथा पिटकुल ने पूरा करना है।
प्रबंध निदेशक पिटकुल एसएस यादव ने बताया है कि उत्तराखंड ऊर्जा सेक्टर निवेश कार्यक्रम के तहत पिटकुल पारेषण तंत्र को मजबूत करेगा, जिसकी परियोजना लागत 1464 करोड़ रुपए है। उन्होंने बताया कि पारेषण तत्र की हानि 2 प्रतिशत से कम है, पिटकुल 400 केवी नगर उपस्थान का निर्माण करा रहा है, इससे अलकनंदा नदी घाटी में उच्च गुणवत्ता की विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी एवं प्रस्तावित/निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत निकासी संभव हो पाएगी। इसके अतिरिक्त चार सौ केवी पीपलकोटी उपस्थान का निर्माण जीआईएस तकनीक पर किया जा रहा है। उच्च क्षमता की 400 केवी श्रीनगर-काशीपुर (150 किलो मीटर) लाइन, 220, 132 तथा 33 केवी देहरादून उपस्थान का निर्माण भी कराया जा रहा है, जो मई 2013 तक पूर्ण हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि पिटकुल के समेकित पारेषण तंत्र को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण एवं केंद्रीय नियामक आयोग से स्वीकृति मिल चुकी है।
प्रबंध निदेशक यूजेवीएनएल जीपी पटेल ने बताया है कि उत्तराखंड ऊर्जा सेक्टर निवेश कार्यक्रम के तहत निगम, पांच लघु जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण करा रहा है। इनमें कालीगंगा-1 (2ग2 मेगावाट), कालीगंगा-2 (2ग3 मेगावाट), सोबला-1 (2ग4 मेगावाट), मद्महेश्वर (3ग5 मेगावाट) तथा काल्दीगाड़ (2ग4.5 मेगावाट), लघु जल विद्युत परियोजनाएं निर्मित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि कालीगंगा-1 से विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया गया है, जबकि कालीगंगा-2 एवं सोबला-1 को दिसंबर, 2013 तक चालू कर दिया जाएगा। मद्महेश्वर एवं काल्दीगाड़ को क्रमशः मार्च, 2015 एवं दिसंबर, 2015 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।