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उक्रांद का जुलाई में महाधिवेशन

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Sunday 31 March 2013 10:27:16 AM

trivendra singh panwar

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा कि निजी स्वार्थों के लिए उक्रांद का उपयोग किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा। शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और मौजूदा कांग्रेस सरकार को समर्थन देने और इसके बाद बनी स्थिति ने साफ कर दिया है कि कुछ वरिष्ठ लोग हमेशा से ही दल का उपयोग निजी स्वार्थों के लिए करते आए हैं, ऐसे लोगों ने कभी भी पहाड़ के हित और जनता और कार्यकर्ताओं की भावनाओं को तवज्जो नहीं दी, अब इसी तरह के लोग बहुगुणा सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले पर बयानबाजी कर जनता और कार्यकर्ताओं को गुमराह कर रहे हैं। पंवार ने कहा कि समर्थन वापसी के फैसले के लिए कार्यकारिणी की बैठक बुलाने और महाधिवेशन की मांग दल के ही लोगों की स्वार्थी मानसिकता है।
उन्होंने कहा कि स्थाई निवास, मूल निवास, भू-उपयोग में परिवर्तन, जमीनों की खरीद फरोख्त, अनुच्छेद-371, स्थाई राजधानी आदि विभिनन मुद्दों पर सरकार के जनविरोधी निर्णयों के चलते उक्रांद के सरकार से समर्थन वापसी के फैसले पर आम जनता से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। इस फैसले का स्वागत करते हुए कई शिक्षाविद व बुद्धिजीवी उक्रांद की सदस्यता ग्रहण करने आगे आए हैं। उत्तराखंड राज्य के आंदोलन के प्रणेता व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली भी इस फैसले को सराहते हुए दल में संरक्षक पद की जिम्मेदारी संभालने को आगे आ चुके हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड जनमंच की पूरी कार्यकारिणी का उक्रांद में विलय हो गया है, बावजूद इसके, कुछ तत्व इस फैसले पर सवार उठाकर दल विरोधी आचरण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए उक्रांद के कार्यकर्ता दल की मजबूती के लिए पूरी एकजुटता के साथ काम कर रहे हैं, अप्रैल माह में दल का सदस्यता अभियान भी पूरे जोर-शोर से चलाया जाएगा, मई में राज्य में जिला और ब्लाक स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा और फिर जुलाई माह में उक्रांद का महाधिवेशन आयोजित होगा। कार्यकारिणी की बैठक में फैसले की सूचना भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग को भी दी जा चुकी है। पत्रकार वार्ता में विरेंद्र मोहन उत्तराखंडी, शशिभूषण भट्ट, लताफत हुसैन, मनमोहन लखेड़ा, सुरेंद्र बुटोला, शशि भट्ट, एपी जुयाल आदि उपस्थित थे।

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