श्रीगोपाल नारसन
Sunday 31 March 2013 10:34:08 AM
रूड़की। उत्तराखंड के उन अध्यापकों ने इस बार होली नहीं मनाई, जो पिछले 15 वर्ष से बेरोज़गारी का गहरा दंश झेल रहे हैं। अध्यापक के लिए निर्धारित बीटीसी योग्यता प्राप्त कर लेने के बाद भी इनका नौकरी का सपना अधूरा है। अब वे कभी नौकरी नहीं कर पाएंगे, क्योकि नौकरी की बांट जोहते जोहते उनकी उम्र ही निकल गई है। ऐसी ही कहानी है आनंद सिंह रावत, विमला देवी, उषा व नक्कल सिंह समेत उन 200 बेरोज़गारों की जिन्होंने सन 1996 में पत्राचार बीटीसी में एडमिशन लिया था, लेकिन एक साल का पाठयक्रम पूरा कर लेने और परीक्षा दे देने पर भी सरकार ने उनका परीक्षा फल भी घोषित नहीं किया। परीक्षाफल धोषित न होने पर छात्रों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। यह कानूनी लड़ाई भी पूरे नौ साल चली तब कहीं जाकर न्यायालय के आदेश से सरकार को बीटीसी के दूसरे साल की परीक्षा करानी पड़ी।
वर्ष 2008 में बीटीसी की दूसरे साल की परीक्षा पास कर लेने पर भी इन छात्रों का सरकारी अध्यापक बनने का स्वपन साकार नहीं हो पाया। प्रदेश भर में करीब 800 ऐसे प्रतीक्षारत अध्यापक हैं, जो पिछले 15 साल से सरकारी अध्यापक बनने का स्वपन देख रहे हैं। इनको बीटीसी की डिग्री पाने में 12 साल लगे, वहीं नौकरी के लिए उन्हें आज तक भटकना पड़ रहा है। बीटीसी करने और नौकरी मांगने में ही 800 में से करीब 200 की उम्र निकल गई। करीब 600 पत्राचार बीटीसी अभी भी नौकरी के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं, हालांकि राज्य सरकार ने इन पत्राचार बीटीसी डिग्री धारकों को नियुक्ति देने की बाबत करीब दो साल पहले शासनादेश जारी किया गया था,परंतु नियुक्ति आज तक नहीं दी गई। पहले भाजपा सरकार और अब कांग्रेस सरकार में भी नौकरी न मिलने से राज्य के ये बीटीसी निराश और उदास हैं और उनकी नौकरी की उम्मीदो पर भी पानी फिरता दिखाई दे रहा है। इसी कारण इन अध्यापकों ने होली नहीं मनाई और नौकरी की मांग को लेकर विधान सभा के सामने धरना जारी है।
इन बेरोज़गारों में सुनीता, रश्मि, सुभाष, विपिन, ब्रजेश समेत करीब 600 पत्राचार बीटीसी बेरोजगारों की लंबी कतार है, जो नौकरी के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे है, इनमें से कई को तो बहुगुणा सरकार आंदोलन के दौरान जेल तक भेज चुकी है। यह एक अकेला मामला नहीं है, जहां सरकार अपनी ही डिग्री की अवहेलना कर रही है। उत्तराखंड सरकार तो भारतीय सेना के शिक्षण परीक्षा डिप्लोमा को भी मानने के लिए तैयार नहीं है, तभी तो शिक्षण परीक्षा डिप्लोमा धारी पूर्व सैनिक अरविंद कुमार शर्मा उत्तराखंड में नौकरी पाने के लिए सरकार से गुहार लगा चुके हैं परंतु सरकार डिप्लोमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, इस कारण अरविंद कुमार शर्मा को आज तक नौकरी नहीं मिल पाई है।