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Saturday 26 October 2019 03:35:05 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व से मिलने पर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा है कि कई नौसेना जहाजों, पनडुब्बियों और आईएमएसी यानी सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र जैसे प्रतिष्ठानों का दौरा करने के बाद और समुद्र में नौसैन्य अभियानों की एक विस्तृत श्रृंखला देखने के बाद उन्हें यकीन है कि भारतीय नौसेना देश के समुद्री हितों की रक्षा करने का अपना कर्तव्य दृढ़ता से निभाती रहेगी। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर के निशान तक पहुंचे, इसके लिए एक स्थिर और संतुलित वातावरण की आवश्यकता है, जिसमें नौसेना को हमारी आर्थिक जीवनरेखा कहलाने वाली संचार की समुद्री लाइनों की सुरक्षा करने के रूपमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस साल मई और जून में ओमान की खाड़ी में तेल टैंकरों पर हमले की घटनाओं के मद्देनज़र नौसेना ने जितने तेज़ और उचित ढंग से 'ऑपरेशन संकल्प’ शुरु किया है, उसे देखना प्रसन्नता भरा था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन संकल्प के दौरान देश की इस ऊर्जा जीवनरेखा के माध्यम से भारतीय ध्वज वाले व्यापारिक जहाजों को अपने पहरे में लाते हुए नौसेना ने भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की अपनी क्षमता को सशक्त रूप से दोहराया है। वैश्विक आतंकवाद पर रक्षामंत्री ने कहा कि ये सभी सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ है और समुद्री मार्गों की अपनी कमज़ोरियां हैं, 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद नौसेना ने हमारे जल और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत करने और संरक्षा एजेंसियों के मध्य सहयोग और समन्वय बढ़ाने के ठोस प्रयास किए हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना के कमांडरों से प्रक्रियाओं की समीक्षा जारी रखने और तटीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने का आग्रह किया, ताकि उभरते खतरों और चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके। नौसेना की सर्वत्र भूमिका की सराहना करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि 2008 से अदन की खाड़ी में नौसेना की समुद्री डकैती विरोधी गश्त हमारे समुद्री हितों की रक्षा करने में सफल रही है और इस क्षेत्र की समुद्री सुरक्षा को बनाए रखने में इसने बहुत योगदान दिया है, जोकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के अनुरूप है। राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना द्वारा भारतीय और विदेशी तटों पर हाल के दिनों में किए गए कुशल मानवीय सहायता कार्यों और आपदा राहत कार्यों के लिए भी उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि इसने उन्हें भारतीय नौसेना की पहुंच, गतिशीलता, निर्वाह, दृढ़ता और न सिर्फ देश में बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और युद्धकाल में ऑपरेशन कार्यों को अंजाम देने की क्षमता को लेकर आश्वस्त किया है। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना ने न सिर्फ हिंद महासागर क्षेत्र के देशों, बल्कि दुनियाभर के समुद्री देशों के साथ सक्रिय सहयोग और जुड़ाव के माध्यम से राष्ट्रीय और विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए सैन्य कूटनीति के लिए ख़ुद को एक महत्वपूर्ण साधन के रूपमें स्थापित किया है।
नौसेना की विदेश सहयोग पहलों और विदेशी नौसेनाओं की क्षमता बढ़ाने व क्षमता निर्माण करने में निरंतर प्रयासों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इन पहलों ने न केवल इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता को मजबूत किया है, बल्कि भारतीय हिंद महासागर क्षेत्र में जुड़ाव के लिए भारतीय नौसेना को एक पसंदीदा साझेदार के रूप में भी तब्दील किया है। राजनाथ सिंह ने सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप स्वदेशीकरण के क्षेत्र में नौसेना की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि नौसेना की मौजूदा और भविष्य की विस्तार योजनाओं के अनुरूप समुद्री बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भी समर्पित ज़ोर लगाया गया है, इसमें मुंबई में एयरक्राफ्ट कैरियर ड्राई डॉक जैसी रणनीतिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं, जिसका उद्घाटन पिछले महीने रक्षामंत्री ने किया था।
राजनाथ सिंह ने वरिष्ठ नेतृत्व से आग्रह किया कि भविष्यमूलक क्षमता विकास पर अपना ध्यान बनाए रखें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश की समुद्री शक्ति हमारे आर्थिक हितों के साथ मेल खाते हुए बढ़ती रहे। रक्षामंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने आईएनएस खंडेरी को अधिकृत किया था और नीलगिरि का लॉन्च देखा था। उन्होंने कहा कि ये मंच इस बात की गवाही देते हैं कि कैसे हमारे देश ने युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता को प्राप्त किया है। जटिल मशीनरी और अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर के साथ स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया और सभी हितधारकों से इन मोर्चों पर सभी प्रयासों को लागू करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की घोषणा किए जाने पर रक्षामंत्री ने कहा कि इससे तीनों रक्षा सेवाओं के बीच समग्र समन्वय में भी बेहतरी आएगी।
रक्षामंत्री ने दोहराया कि एक मजबूत नौसेना भारत की सुरक्षा और समृद्धि की एक आवश्यक गारंटर है और इसलिए एक आधुनिक, शक्तिशाली और विश्वसनीय नौसेना की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है नौसेना के कमांडर नौसेना की क्षमता और दक्षता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण ध्यान वाले क्षेत्रों और रणनीतियों की पहचान करेंगे और उन्होंने इन विचार-विमर्शों के फलदार होने की कामना की। इस मौके पर नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, रक्षा आरएंडडी विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, नौसेना के कमांडर और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।