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Thursday 28 November 2019 01:31:52 PM
नई दिल्ली। देश के पांच सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में कक्षा-6 में छात्राओं के नामांकन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरु हो गया है। ये सैनिक स्कूल चंद्रपुर (महाराष्ट्र), बीजापुर एवं कोडागू (कर्नाटक), कालीकिरी (आंध्रप्रदेश) और घोड़ाखाल (उत्तराखंड) में हैं। इन विद्यालयों में प्रवेश के लिए वेबसाइट पर मॉर्डन प्रश्नपत्र भी उपलब्ध कराए जा चुके हैं। पंजीकरण की अंतिम तारीख 6 दिसम्बर 2019 है। प्रवेश परीक्षा 5 जनवरी 2020 को होगी। गौरतलब है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अक्टूबर 2019 में सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में चरणबद्ध तरीके से छात्राओं के नामांकन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह फैसला शैक्षणिक सत्र 2020-21 से ही वर्णित पांच सैनिक स्कूलों में लागू किया जा रहा है। ऑनलाइन आवेदन फॉर्म www.sainikschooladmission.in पर उपलब्ध हैं।
सैनिक स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया का विवरण इस प्रकार है-1 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2010 के बीच जन्म लेने वाली छात्राएं इसकी पात्र हैं। इसमें परीक्षा का विषय और प्रश्नों की संख्या लिखित परीक्षा ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न शामिल होंगे, इनमें गणित (50), सामान्य ज्ञान (25), भाषा (25), बुद्धिमत्ता (25) के प्रश्न पूछे जाएंगे। चयन प्रक्रिया के अंतर्गत लिखित परीक्षा में प्रदर्शन और मेडिकल फिटनेस के आधार पर चयन होगा। अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर-7827969316 और 7827969318 पर सोमवार से शनिवार तक कार्यावधि के दौरान कॉल की जा सकती है। बहरहाल भारत सरकार ने सैनिक स्कूलों में छात्राओं को भी सैनिक शिक्षा देना का यह जो निर्णय लिया है, वह प्रशंसनीय है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में सैनिक स्कूल या मिलेट्री स्कूल क्यों नहीं स्थापित किए जा सके हैं और जो घोषणाएं हैं वे अभी तक अपना स्वरूप क्यों नहीं ग्रहण कर सकी हैं, यह प्रश्न सरकार के सामने खड़ा है।
क्या आपको मालूम है कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में जहां बड़ी संख्या में मार्शल कौम मौजूद है, आजतक एक भी सैनिक स्कूल नहीं है, मिलेट्री स्कूल की तो बात ही छोड़िए। देशभर में करीब छब्बीस सैनिक स्कूल हैं और केवल पांच मिलेट्री स्कूल हैं। गौर कीजिए कि तीन करोड़ की आबादी के हरियाणा जैसे छोटे राज्य में दो सैनिक स्कूल हैं, इसी प्रकार उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में घोड़ाखाल में एक सैनिक स्कूल है और देहरादून में एक मिलेट्री अकादमी है। उत्तर प्रदेश के विभाजन के पूर्व केवल घोड़ाखाल ही सैनिक स्कूल था, जो अब उत्तराखंड राज्य में है। केंद्र में कांग्रेस गठबंधन सरकार के समय उत्तर प्रदेश में मैनपुरी, झांसी और रायबरेली में तीन सैनिक स्कूलों की घोषणा की गई थी, मगर अभीतक इन स्कूलों के अस्तित्व में आने की कोई भी प्रगति सामने नहीं है। मैनपुरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिताश्री मुलायम सिंह यादव से सैनिक स्कूल मैनपुरी का शिलान्यास जरूर कराया था, मगर बताते हैं कि वहां आधीअधूरी बिल्डिंग के अलावा कुछ भी नहीं है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री डॉ दिनेश शर्मा से लखनऊ में एक प्रेस कॉंफ्रेंस में दो साल पहले जब पूछा गया था कि उत्तर प्रदेश के लिए भारत सरकार ने जिन तीन सैनिक स्कूलों की घोषणा की थी उनकी क्या प्रगति है तो वे इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाए थे और प्रतिउत्तर में कहने लगे कि लखनऊ में सैनिक स्कूल है। डॉ दिनेश शर्मा का यह अत्यंत निराशाजनक उत्तर था और वे लखनऊ में सरोजनीनगर में एक सोसायटी के स्कूल को सैनिक स्कूल बताकर बहस पर उतर आए, तब राज्य के तत्कालीन प्रमुख सचिव शिक्षा संजय अग्रवाल को कहना पड़ा कि लखनऊ का यह स्कूल वास्तव में सैनिक स्कूल नहीं है, जिसपर शिक्षामंत्री को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। शिक्षामंत्री दिनेश शर्मा के पास आज भी मैनपुरी झांसी और रायबरेली में सैनिक स्कूलों के संबंध में कोई भी अपडेट नहीं है।
विश्व की पांचवी बड़ी जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में एक भी सैनिक स्कूल या मिलेट्री स्कूल न होना भाजपा की सरकार के लिए एक शर्म की बात नहीं है तो क्या है? यहां पर इस तथ्य का उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि भारतीय सेना में उत्तर प्रदेश से सैनिक अधिकारियों का अनुपात बहुत ही कम है, जबकि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मार्शल कौम और शिक्षा की दृष्टि से भी पात्र युवाओं की संख्या कम नहीं है। यह भी उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय चरित्र के मामले में सैनिक स्कूल या मिलेट्री स्कूल के छात्र सबसे आगे माने जाते हैं और जब दुनिया के कई देश अपने यहां सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर रहे हों वहां भारत जैसे देश में और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भारत सरकार या राज्य सरकार की सैनिक शिक्षा को लेकर उदासीनता कहीं न कहीं राष्ट्रीय चरित्र निर्माण या राष्ट्रवाद की शिक्षा पर एक बड़ा प्रश्न तो खड़ा करती ही है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री डॉ दिनेश शर्मा हों या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों उनसे यह प्रश्न अपना उत्तर मांगता है कि इस दिशा में उनके क्या सार्थक प्रयास हुए हैं। ध्यान रहे कि रक्षा मंत्रालय की सैनिक स्कूल नाम से एक सोसायटी है और लखनऊ में सरोजनीनगर में भी सैनिक स्कूल नाम से एक स्कूल है, जोकि रक्षा मंत्रालय की सोसायटी का स्कूल नहीं है। कुछ अभिभावक यह धोखा खा जाते हैं कि यह सैनिक स्कूल है, जबकि ऐसा नहीं है।