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चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के पद को मंजूरी मिली

राजनीतिक नेतृत्व को सैन्य मामलों में निष्पक्ष सुझाव देंगे

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ है भारतीय सेना का सर्वोच्च पद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 25 December 2019 02:29:06 PM

chief of defense staff

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उच्च रक्षा प्रबंधन में जबरदस्त सुधार के साथ 4 स्टार जनरल के रैंक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद सृजित करने की मंजूरी दे दी है, जिनका वेतन और अतिरिक्त सुविधाएं सर्विस चीफ के बराबर होंगी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ सैनिक मामलों के विभाग का भी प्रमुख होगा, जिसका गठन रक्षा मंत्रालय के भीतर किया जाएगा और वह उसके सचिव के रूपमें कार्य करेगा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के नेतृत्व में सैन्य मामलों का विभाग विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करेगा इनमें संघ की सशस्त्र सेना यानी थलसेना, नौसेना और वायुसेना शामिल है। रक्षा मंत्रालय के समंवित मुख्यालय में सेना मुख्यालय, नौसेना मुख्यालय, वायुसेना मुख्यालय और डिफेंस स्टॉफ मुख्यालय शामिल है। प्रादेशिक सेना, थलसेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़े कार्य और चालू नियमों व प्रक्रियाओं के अनुसार पूंजीगत प्राप्तियों को छोड़कर सेवाओं के लिए विशिष्ट खरीद प्रमुख हैं।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के अधिकार में सैन्य मामलों के विभाग के अधिकार क्षेत्र में एकीकृत संयुक्त योजनाओं और आवश्यकताओं के माध्यम से सैन्य सेवाओं की खरीद, प्रशिक्षण और स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया में समन्वय लाना, संयुक्त संचालन के माध्यम से संसाधनों के तर्कसंगत इस्तेमाल के लिए सैन्य कमानों के पुनर्गठन एवं संयुक्त थिएटर कमानों के गठन की सुविधा और सेनाओं द्वारा स्वदेश निर्मित उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना शामिल है। सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख होने के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी के अध्यक्ष भी होंगे। वे सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षामंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूपमें कार्य करेंगे, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षामंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में सलाह देना जारी रखेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ तीनों सेनाओं के प्रमुखों का कमान नहीं करेंगे और ना ही किसी अन्य सैन्य कमान के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे, ताकि वे राजनीतिक नेतृत्व को सैन्य मामलों में निष्पक्ष सुझाव दे सकें।
चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूपमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के कार्य होंगे कि वे तीनों सैन्य सेवाओं के लिए प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख करेंगे। तीनों सेवाओं से जुड़ी एजेंसियों, संगठनों तथा साइबर और स्पेस से संबंधित कार्यों की कमान चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के हाथों में होगी। सीडीएस रक्षामंत्री की अध्‍यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद और एनएसए की अध्‍यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति के सदस्‍य होंगे। परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूपमें कार्य करेंगे। प्रथम सीडीएस के पदभार संभालने के बाद तीन वर्ष के भीतर तीनों ही सेवाओं के परिचालन, लॉजिस्टिक्‍स, आवाजाही, प्रशिक्षण, सहायक सेवाओं, संचार, मरम्‍मत एवं रखरखाव इत्‍यादि में संयुक्तता सुनिश्चित करेंगे। अवसंरचना का इष्‍टतम उपयोग सुनिश्चित करेंगे और तीनों ही सेवाओं के बीच संयुक्‍तता के जरिए इसे तर्कसंगत बनाएंगे। एकीकृत क्षमता विकास योजना के बाद आगे के कदम के रूपमें पंचवर्षीय रक्षा पूंजीगत सामान अधिग्रहण योजना और दो वर्षीय सतत वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं को कार्यांवित करेंगे। अनुमानित बजट के आधार पर पूंजीगत सामान खरीद के प्रस्‍तावों को अंतर-सेवा प्राथमिकता देंगे। अपव्‍यय में कमी करके सशस्‍त्र बलों की लड़ाकू क्षमताएं बढ़ाने के लिए तीनों सेवाओं के कामकाज में सुधारों को लागू करेंगे।
उम्‍मीद की जा रही है कि उच्‍च रक्षा प्रबंधन में इस सुधार से सशस्‍त्र बल समंवित रक्षा सिद्धांतों एवं प्रक्रियाओं को लागू करने में समर्थ हो जाएंगे और इसके साथ ही यह तीनों सेवाओं के बीच एक साझा रणनीति के साथ एकीकृत सैन्य अभियान के संचा‍लन को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा। प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्‍स एवं परिचालनों के साथ-साथ खरीद को प्राथमिकता देने में भी संयुक्‍त रणनीति अपनाने के लिए समंचित प्रयास करने से देश लाभांवित होगा। गौरतलब है कि 15 अगस्‍त 2019 को राष्‍ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को ध्‍यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि भारत में खंडित दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए, हमारी सैन्यशक्ति को एकजुट होकर काम करना होगा और आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा था कि सभी तीनों सेवाओं को एकसाथ एक ही गति से आगे बढ़ना चाहिए, अच्छा सामंजस्‍य होना चाहिए और यह देशवासियों की आशा एवं आकांक्षाओं के लिए प्रासंगिक होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह विश्‍वभर में बदलते युद्ध और सुरक्षा परिदृश्‍य के अनुरूप होना चाहिए और इस पद (सीडीएस) के सृजन के बाद तीनों ही सेनाओं को शीर्ष स्तर पर प्रभावशाली नेतृत्व सुनिश्चित होगा।

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