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Tuesday 14 January 2020 02:37:23 PM
नई दिल्ली। भारत में पेट्रोलियम उद्योग के पास मौजूद लाभदायक प्रौद्योगिकी तथा उन्नत शोधन तकनीकों के बल पर भारतीय नौसेना ने मेसर्स आईओसीएल के साथ सहयोगपूर्वक मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय नियमनों यानी आईएसओ, मारपोल, नाटो आदि का व्यापक अध्ययन तथा तुलनात्मक मूल्यांकन किया था, जिसके परिणामस्वरूप सीटैन नंबर, फ्लैश प्वाइंट, सल्फर कंटेंट, सेडिमेंट कंटेंट, ऑक्सीडेशन स्टेबलिटी और कोल्ड फिल्टर प्लगिंग प्वाइंट सहित 22 परीक्षण मानदंडों से बनी एक संशोधित तकनीकी विशेषता तक पहुंच कायम हो पाई है। इस नई विशेषता से ईंधन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होने के साथ-साथ कार्बन फुटप्रिंट में कमी भी होगी।
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के लिए नई प्रौद्योगिकीय उपकरण के साथ तालमेल कायम करने तथा समसामयिक उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए ईंधन की गुणवत्ता से संबंधित मानदंडों की समीक्षा करना उसकी उपलब्धि का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है। पेट्रोलियम उद्योग में प्रौद्योगिकी तथा शोधन की तकनीकों के आगमन से अधिक विशेषताओं से युक्त ईंधन की बेहतर गुणवत्ता अनिवार्य बन गई है, इसलिए डीजल के लिए तकनीकी विशेषता में निरंतर सुधार लाना एक प्राथमिक क्षेत्र है। मेसर्स आईओसीएल ने रिफाइनरी यूनिटों के उन्नयन के बाद भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों के लिए उत्पाद की सीमित आपूर्ति शुरू की, जिसके बाद मशीनी निष्पादन की जांच एवं स्वीकार्यता परीक्षण किए गए। ईंधन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार पाया गया।
सकारात्मक परिणाम मिलने से संपूर्ण नौसेना के लिए नए ईंधन को लागू करने का निर्णय लिया गया। संशोधित तकनीकी विशेषताओं वाले नए ईंधन (हाई फ्लैश हाई स्पीड डीजल) एचएफएचएसडी-आईएन 512 की शुरुआत की गई। नए ईंधन की सफलतापूर्वक शुरूआत होना एक विशाल संभावना सहित एक ऐतिहासिक अवसर है। इस प्रयास से आगामी वर्षों में भारतीय तटरक्षक एवं अन्य व्यापारिक मरीन जैसे देश में मेसर्स आईओसीएल के अन्य उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा। यह उपलब्धि भारतीय नौसेना के साथ युद्धाभ्यासों के दौरान भारतीय बंदरगाहों पर सभी विदेशी नौसेना जहाजों के लिए गुणवत्तापूर्ण ईंधन की उपलब्धता के साथ एक नई ऊंचाई का भी प्रतीक होगी।