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Thursday 04 April 2013 09:28:27 AM
देहरादून। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मंगलवार को आईसलैंड के राष्ट्रपति डॉ ओलाफर रैगनार ग्रिमसन से मुलाकात कर पर्यावरण संरक्षण पर विचार विमर्श किया। डॉ रैगनार ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक सुंदरता की बहुलता है, यहां पर्यटन, ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री को आईसलैंड आने का न्यौता देते हुए डॉ रैगनार ने कहा कि अगली बार वे अपने अधिकारियों के साथ आएंगे। हाइड्रोपावर व पर्यटन में आईसलैंड व उत्तराखंड संयुक्त रूप से किस प्रकार काम कर सकते हैं, संभावनाएं देखी जाएंगी। डॉ रैगनर ने हिमालयी क्षेत्र में उपलब्ध वैज्ञानिक व अन्य संस्थाओं के आपस में समन्वय व सहयोग को आवश्यक बताया।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा का दायित्व सभी का है, पर्यावरण की रक्षा मानवता की महत्वपूर्ण सेवा है, विश्व के सभी देशों के सम्मिलित प्रयासों से ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य किया जा सकता है, विकासशील देशों में सरकारों पर जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने व आधारिक अवसंरचना के विकास का दायित्व होता है, विकसित देशों को पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक जिम्मेदारी उठानी चाहिए। जल विद्युत ऊर्जा के क्षेत्र में आईसलैंड व उत्तराखंड दोनों ओर से आपसी समन्वय से कार्य करने पर सहमति व्यक्त की गई। मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में अभिनव विचारों व तकनीकों का स्वागत करते हुए इसमें भी आपसी समन्वय बढ़ाने पर बल दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में 27 हजार मेगावाट जल विद्युत ऊर्जा की संभावना है, राज्य सरकार ने चीड़ की पत्तियों से बिजली बनाने की दिशा में पहल की है। वन व वन्यजीव संरक्षण में राज्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, भारत में सशक्त लोकतांत्रिक व्यवस्था है, राष्ट्रीय एकता, आपसी प्रेम व सद्भाव जैसे मूल्य यहां की संस्कृति व समाज में रचे बसे हैं। मुख्यमंत्री ने आईसलैंड के राष्ट्रपति डॉ ओलाफर रैगनार ग्रिमसन को प्रतीक चिन्ह व कार्बेट पार्क से संबंधित पुस्तकें भेंट कीं। उन्होंने राष्ट्रपति डॉ रैगनार को पुनः उत्तराखंड आने का न्योता दिया।