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दुस्‍साहस पर सौ बार सोचेगा पाक-रक्षामंत्री

'सीमापार आतंकवाद से रक्षा करना हमारा अधिकार'

बालाकोट हवाई हमले की वर्षगांठ पर बोले रक्षामंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 29 February 2020 01:31:16 PM

rajnath singh addressing a seminar on

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के बालाकोट हवाई हमले की पहली वर्षगांठ पर ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ की ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्‍य में वायुशक्ति’ विषयक संगोष्ठी में कहा है कि वर्ष 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट पर हवाई हमला केवल सैन्य हमला ही नहीं था, बल्कि यह शत्रु के लिए एक मजबूत संदेश था कि सीमापार से आतंकवादी भारत के खिलाफ सस्‍ती जंग छेड़ने के लिए एक सुरक्षित शरण स्‍थल के रूपमें इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, भारत उन्हें कहीं भी ढेर कर सकता है। रक्षामंत्री ने देश की सेवा में सशस्‍त्र बलों के बलिदान का स्‍मरण करते हुए और पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश वीर सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। उन्‍होंने कहा कि पुलवामा हमले पर भारत की ओर से जबरदस्‍त बालाकोट हवाई हमले से पाकिस्तान को पता चल गया है कि नियंत्रण रेखा के पार से भविष्‍य में ऐसा दुस्‍साहस करने पर उसको सौ बार सोचना होगा। उन्‍होंने कहा कि इन हमलों में भारत की रक्षा क्षमता का शानदार प्रदर्शन हुआ है और सीमापार से आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने के अधिकार की पुष्टि हुई है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बालाकोट हवाई हमले का सैन्‍य सटीकता और प्रभाव की एक विलक्षण घटना के रूपमें वर्णन करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध हमारा दृष्टिकोण नैदानिक सैन्‍य कार्रवाई और परिपक्‍व तथा जिम्‍मेदार राजनयिक पहुंच का न्‍यायोचित संयोजन था। उन्‍ह‍ोंने राष्‍ट्र को आश्‍वासन दिया कि सरकार भविष्‍य में भी राष्‍ट्र सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का माकूल जवाब देगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भविष्‍य में किसी भी खतरे से निपटने के लिए बड़े संरचनात्‍मक बदलाव शुरू कर दिए हैं। उन्‍होंने सभी हितधारकों से इन बदलावों को प्रभावी और कुशल बनाने में योगदान देने का अनुरोध किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए सामूहिक राजनयिक और वित्तीय दबाव के महत्‍व पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि हमने अभी हाल में पाकिस्तान पर सामूहिक, राजनयिक और वित्तीय दबाव के प्रभाव को देखा है, जिसमें पाकिस्तान को वीआईपी और नायकों की तरह सम्‍मान पाने वाले हाफिज़ सईद जैसे आतंकवादियों को जेल में डालना पड़ा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने महसूस किया है कि जबतक पाकिस्‍तान को जवाबदेह नहीं माना जाता है, यह कदम पर्याप्‍त नहीं हैं, क्‍योंकि पाकिस्‍तान नकल और छल की पुरानी नीति जारी रखे है, इस दिशा में काम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। रक्षामंत्री ने संकर युद्ध को एक वास्‍तविकता की संज्ञा देते हुए इस युद्ध से उत्‍पन्‍न चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों के प्रशिक्षण को पुनर्गठित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि ऐसे परिदृश्‍य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उच्‍चगति वाले हथियार, अंतरिक्ष आधारित सेंसर्स उपकरण महत्‍वपूर्ण प्रभाव डालेंगे। उन्‍होंने नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और मौजूदा क्षमताओं का नवाचारी तरीकों से उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल विपिन रावत ने कहा कि विश्‍व में भू-राजनीति बदल रही है और भारत इस क्षेत्र में अनेक झड़पों का गवाह है। उन्‍होंने हर समय भूमि, वायु और समुद्र में विश्‍वसनीय निष्‍ठा बनाए रखने का आह्वान किया। उन्‍होंने क‍हा कि तीनों सेनाओं को किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए मिलकर साथ-साथ काम करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्‍वसनीय निष्‍ठा, कठिन निर्णय लेते समय सैन्‍य नेतृत्‍व एवं राजनीति वर्ग की इच्‍छा से आती है, कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों में यह निष्‍ठा देखने को मिली है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरके एस भदोरिया ने कहा कि 2019 में पाकिस्‍तान के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला करने का साहसिक निर्णय लिया था। उन्‍होंने कहा कि उप-पारंपरिक परिदृश्‍य में वायुसेना का उपयोग एक प्रमुख बदलाव था। इस अवसर पर एयर चीफ मार्शल आरके एस भदोरिया ने उत्‍पन्‍न स्थिति से शीघ्रतापूर्वक निपटने के लिए किए गए राजनयिक और राजनीतिक प्रयासों की सराहना की। सफल हवाई हमलों के कार्य में लगे विभिन्‍न संगठनों में तालमेल की प्रशंसा करते हुए उन्‍होंने कहा कि इस तरह के ठोस प्रयास किए गए कि इन हमलों में किसी नागरिक की मौत न हो। उन्‍होंने हाल के दिनों में भारतीय वायुसेना को नवीनतम प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए राजनीतिक नेतृत्‍व की सराहना की। उन्होंने कहा कि बेहतर क्षमताओं को हासिल करने के संघर्ष में डेढ़ दशक से भी अधिक का समय लग गया। उन्‍होंने स्‍वदेशी क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया। सेमिनार में शत्रु के खिलाफ राष्‍ट्रीय इच्‍छा शक्ति के प्रयोग के कारण आवश्‍यक हुई परिस्थितियों में वायुशक्ति के उपयोग पर ध्‍यान केंद्रित किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ जी सतीश रेड्डी, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ के निदेशक एयर मार्शल केके नोहवार (सेवानिवृत्त), पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, विद्वान, सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी भी इसमें शामिल हुए।

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