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Friday 5 June 2020 12:51:01 PM
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के आयोजन में लॉकडाउन के उपायों का पूरी तरह पालन कर रही है। हमेशा की तरह नियमित आउटडोर गतिविधियों के बजाय नौसेना स्टेशनों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर शैक्षिक जागरुकता कार्यक्रम, व्याख्यान और वेबिनार आयोजित किए गए हैं। गौरतलब है कि विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर जागरुकता फैलाने का एक वैश्विक मंच बन गया है, जैसेकि समुद्री प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और दीर्घकालिक खपत इत्यादि मुद्दे। पर्यावरण संरक्षण और हरित पहल हमेशा से ही भारतीय नौसेना की प्राथमिकता के प्रमुख क्षेत्र हैं। एक जिम्मेदार बहुआयामी बल के रूपमें भारतीय नौसेना ने ऊर्जा संरक्षण, समुद्री प्रदूषण में कमी और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करके अपने पर्यावरणीय फुटप्रिंट में कमी लाने की शुरुआत की है। भारतीय नौसेना पर्यावरण संरक्षण रोडमैप भारतीय नौसेना के ब्लू वॉटर ऑपरेशन के लिए ग्रीन फुटप्रिंट वाले विजन की प्रगतिशील प्राप्ति का मार्गदर्शक दस्तावेज और प्रमुख प्रवर्तक मानी जाती है।
भारतीय नौसेना ने इंजन से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ईंधन मानकों में सुधार करने के लिए आईओसीएल के साथ हाथ मिलाया है। नए मानक अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों से बेहतर हैं और इसमें सल्फर सामग्री बहुत कम शामिल है, जोकि लंबे समय में उत्सर्जन के स्तर के साथ-साथ जहाजों पर रख-रखाव की आवश्यकताओं को कम करती है। जैव विविधता का महत्व विश्व पर्यावरण दिवस-2020 की थीम है, जिसे स्वीकार करते हुए महासागर पारिस्थितिकी को संरक्षित करने की दिशा में नौसेना के भीतर पर्याप्त बल दिया जा रहा है। भारतीय नौसेना ने अपनी स्वेच्छा से प्रदूषण से बचाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन के सभी छह अनुसूची (मारपोल) नियमों को लागू किया है। जहाज पर उत्पन्न होने वाले कचरों का उपचार करने के लिए सभी नौसैनिक जहाजों पर मारपोल अनुरूप प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों ऑइल वॉटर सेपरेटर्स और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। बंदरगाह के पानी का रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला मुंबई ने त्वरित बायोरेडिएशन तकनीक भी विकसित की है।
कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने के प्रयासों में ई-वाहनों के उपयोग में लगातार वृद्धि करने के लगातार उपाय किए जा रहे हैं जैसे ई-साइकिल, ई-ट्रॉली और ई-स्कूटर का उपयोग। लंबी अवधि की रणनीति के रूपमें ई-वाहनों या साइकिल के इस्तेमाल से कार्य-समय के दौरान जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम करने की योजना बनाई जा रही है। इसको बढ़ावा देने के लिए इकाइयां नियमित रूपसे ‘नो व्हीकल डेज’ का पालन कर रही है और कुछ नौसैनिक प्रतिष्ठानों में 'व्हीकल फ्री बेस' अवधारणा की भी शुरुआत की जा रही है। नौसेना में कुशल ऊर्जा उपकरणों के प्रगतिशील समावेशन द्वारा बिजली की खपत में समग्र कमी लाना है। लगातार प्रयासों के कारण पारंपरिक प्रकाश व्यवस्था से अधिक ऊर्जा कुशल, ठोस प्रकाश व्यवस्था का निकट-पूर्ण अवस्थांतर हुआ है। भारतीय नौसेना प्रतिष्ठानों में अन्य उल्लेखनीय ऊर्जा बचत उपायों में शामिल हैं-उच्चशक्ति कारक बनाए रखने के लिए कैपेसिटर बैंकों का उपयोग, प्राकृतिक प्रकाश का दोहन करने के लिए पारदर्शी एक्रेलिक शीट छतों का उपयोग, प्रभावी निगरानी करने के लिए स्काडा यानी पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण आधारित बिजली मीटरिंग, कार्यशालाओं के फर्श में दखलकारी सेंसर, स्काई-पाइप और टर्बो-वेंटिलेटर का उपयोग इत्यादि।
भारत सरकार की नीतियों के अनुसार उभरती हुई प्रवृत्तियों और नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में नौसेना भी कार्यकर रही है। नौसेना के तटीय प्रतिष्ठानों में 24 मेगावाट की सौर फोटो वोल्टाइक परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत इकाइयां सौरऊर्जा से चलने वाले उपकरणों को भी स्थापित कर रही हैं, जिन्होंने पारंपरिक उपकरणों को क्रमशः बदल दिया है। नौसेना की सभी इकाइयों में भारत सरकार के ग्रीन मानदंडों के अनुसार संग्रह, पृथक्करण और बाद में हैंडलिंग के लिए अति महत्वाकांक्षी अपशिष्ट हैंडलिंग प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। नौसेना स्टेशन करवार में एक एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जिसमें गीले कचरे के लिए एक केंद्रीकृत अपशिष्ट पृथक्करण संयंत्र, जैविक अपशिष्ट कनवर्टर और सूखे/ गैर-अलग घरेलू कचरे को नियंत्रित करने की सुविधा शामिल है। नौसेना की हरित पहलों को वनीकरण और वृक्षारोपण अभियानों को भी बढ़ावा दिया गया है। पिछले एक वर्ष में 16,500 से ज्याद पेड़ लगाए गए हैं, जो अनुमानित रूपसे 330 टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम करेंगे। इन पहलों को लागू करने की दिशा में सामुदायिक भागीदारी ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
नौसेना में हरित पहलों की सफलता एक आत्मजागरुक नौसैनिक समुदाय के माध्यम से संभव हो सकी है, जो पर्यावरण उपचार और ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता से भली-भांति परिचित हैं। पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के जन भागीदारी कार्यक्रमों जैसे बड़े स्तरपर श्रमदान, तटीय सफाई अभियान आदि नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा वर्ष के लिए सर्वश्रेष्ठ हरित प्रथाओं को अपनाने वाली इकाई को मान्यता प्रदान करने के लिए और इकाइयों को हरित पहलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक ट्राफी की शुरुआत की गई है जो बहुत ही उपयोगी साबित हुई है। भारतीय नौसेना ने अपने परिचालन और रणनीतिक भूमिकाओं में ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण को एकीकृत करते हुए, सतत भविष्य की ओर निरंतर रूपसे ध्यान केंद्रित किया है।