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दिल्ली सरकार में विज्ञापन नीति का उल्लंघन

उच्चतम न्यायालय की समिति ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

दिल्ली सरकार के सरकारी विज्ञापन मुंबई में क्यों छपवाए गए?

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 July 2020 04:28:15 PM

directorate of information and publicity government of national capital territory of delhi

नई दिल्ली। सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (सीसीआरजीए) ने दिल्ली सरकार के एक विज्ञापन पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जो 16 जुलाई 2020 को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था। समिति ने दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर सोशल मीडिया में उठाए गए कुछ बिंदुओं पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें मुंबई के समाचार पत्रों में दिल्ली सरकार के विज्ञापनों के प्रकाशन की आवश्यकता पर सवाल खड़े किए गए हैं और संकेत किया गया है कि इस विज्ञापन का उद्देश्य सिर्फ राजनीतिक संदेश देना है। एक पृष्ठ का यह विज्ञापन शिक्षा विभाग एवं सूचना एवं प्रचार निदेशालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने प्रकाशित कराया है।
उच्चतम न्यायालय के 13 मई 2015 के दिशा-निर्देश हैं कि सरकारी विज्ञापनों की सामग्री सरकार के संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के साथ ही नागरिकों के अधिकारों और पात्रताओं के अनुरूप होनी चाहिए। इन दिशा-निर्देशों को देखते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस मिलने के बाद इस मुद्दे पर समिति के पास अपनी टिप्पणियां जमा करने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। गौरतलब है कि यह समिति उच्चतम न्यायालय द्वारा ही नियुक्त की गई है। दिल्ली सरकार को समिति के सामने जवाब दाखिल करना है कि उल्लिखित विज्ञापन के प्रकाशन से सरकारी खजाने पर कितना बोझ पड़ा? प्रकाशित किए गए विज्ञापन और विशेष रूपसे दिल्ली के अलावा अन्य संस्करणों में प्रकाशन का उद्देश्य? इस विज्ञापन से कैसे माननीय उच्चतम न्यायालय के राजनीतिक शख्सियतों के महिमागान से बचने के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं होता है? प्रकाशनों के नामों के साथ और उनके संस्करणों के साथ संबंधित विज्ञापन की मीडिया योजना के बारे में भी बताया जा सकता है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के 13 मई 2015 के दिशा-निर्देशों के तहत भारत सरकार ने 6 अप्रैल 2016 को तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया था, जिसमें सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स में सरकार द्वारा वित्तपोषित विज्ञापनों की सामग्री के नियमन को देखने के लिए ऐसे लोग शामिल किए गए थे जो स्पष्ट रूपसे तटस्थ और निष्पक्ष हों और उन्होंने अपने से संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो। समिति को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर आम जनता से मिली शिकायतों का निस्तारण और उपयुक्त सिफारिशें करने का अधिकार है। समिति उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन या विचलन का स्वतः संज्ञान ले सकती है और सुधारात्मक कदमों का भी सुझाव दे सकती है। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत वर्तमान में सीसीआरजीए की अध्यक्षता कर रहे हैं और एशियन फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजमेंट एसोसिएशंस से जुड़े और आईएए के पूर्व अध्यक्ष रमेश नारायण तथा प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य डॉ अशोक कुमार टंडन समिति में सदस्य हैं।

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