स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 25 July 2020 04:03:18 PM
नई दिल्ली/ गांधीनगर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुम्हार समुदाय के सशक्तिकरण और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़ने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ‘कुम्हार शक्तिकरण योजना’ के एक सौ प्रशिक्षित कारीगरों को विद्युत चाक वितरित किए। अमित शाह ने नई दिल्ली से वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में विद्युत चाक का वितरण किया। गृहमंत्री अमित शाह ने कुम्हार सशक्तिकरण योजना की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि हाशिए पर पड़े कुम्हार समुदाय को मजबूत बनाने की दिशा में यह पहल कारगर साबित होगी और यह मिट्टी के बर्तनों की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने में भी सफल होगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने पांच कुम्हारों अशोक भाई प्रजापति, राजेश भाई प्रजापति, जयंती भाई प्रजापति, सुरेखाबेन प्रजापति और वेलजी भाई प्रजापति से बातचीत भी की। इन कारीगरों को मिट्टी के बर्तन बनाने में केवीआईसी ने 10-दिवसीय प्रशिक्षण दिया है और इन्हें इलेक्ट्रिक चाक और अन्य उपकरण प्रदान किए गए हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं अपने कुम्हार भाइयों के जीवन में आए बदलावों को देखकर बेहद खुश हूं और केंद्र में भाजपा सरकार प्रजापति समुदाय की बेहतर आजीविका के लिए हमेशा चिंतित है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक चाक का वितरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गुजरात के लोगों के लिए एक उपहार है। गृहमंत्री ने कुम्हारों को आश्वासन दिया कि उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ाने हेतु उचित विपणन चैनल प्रदान करने के लिए रेलवे के साथ समझौता सहित अन्य उचित व्यवस्था की जाएगी।
अमित शाह ने अपनी योजनाओं के माध्यम से कमजोर वर्गों को स्थायी रोज़गार के अवसर प्रदान करने में केवीआईसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना कुम्हार समाज को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐसा ही कदम है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि केवीआईसी हाशिए पर पड़े तबकों के लाभ के लिए काम करना जारी रखेगा। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि देशभर में अबतक 17,000 से अधिक इलेक्ट्रिक चाक वितरित किए जा चुके हैं, जिससे कुम्हार समुदाय के लगभग 70,000 लोग लाभांवित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक चाक ने कुम्हारों के जीवन में बड़े स्तरपर बदलाव लाया है, इलेक्ट्रिक चाकों के साथ मिट्टी की वस्तुओं का उत्पादन कई गुना बढ़ गया है, वर्तमान में देशभर में हर दिन लगभग 2 करोड़ कुल्हड़ बनाए जाते हैं। विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि कुम्हार इन कुल्हड़ों को 400 रेलवे स्टेशनों पर सफलतापूर्वक बेच रहे हैं, जो उनके लिए एक आदर्श विपणन मंच है। गृहमंत्री ने कहा कि भारतीय शिल्पकला के वाहक कुम्हार भाइयों-बहनों को तकनीक से जोड़कर हम उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कुम्हारों को आश्वासन दिया कि उनके उत्पादों को बेचने के लिए रेलवे के साथ टाईअप सहित उचित विपणन चैनल प्रदान करने की व्यवस्था बनाई जाएगी। अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश की प्राचीन कला सशक्त हो और हर व्यक्ति अपने हुनर से भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे। गौरतलब है कि गुजरात के कई क्षेत्र विशेष रूपसे कच्छ और सौराष्ट्र मिट्टी के पारंपरिक बर्तनों की कला के लिए प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2018 में कुम्हार सशक्तिकरण योजना के शुभारंभ के बाद से केवीआईसी ने गुजरात के विभिन्न गांवों से लगभग 750 कुम्हारों को प्रशिक्षित किया है। मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में प्रशिक्षण देने के अलावा केवीआईसी ने उन्हें इलेक्ट्रिक चाक दिए और मिट्टी मिलाने के लिए ब्लंजर मशीन (अनुमिश्रक) जैसे अन्य उपकरण भी वितरित किए हैं। इसने मिट्टी के बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया के दौरान आने वाले आलस्य को खत्म कर दिया है और इसके परिणामस्वरूप कुम्हारों के उत्पादन और आय में 3-4 गुना वृद्धि हुई है। कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत कुम्हारों की औसत आय लगभग 3000 रुपये प्रतिमाह से बढ़कर लगभग 10,000 रुपये प्रतिमाह हो गई है।