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Tuesday 10 November 2020 11:11:54 AM
गंगटोक (सिक्किम)। कश्मीरी केसर का फूल सिक्किम में भी खिल गया है। इसी के साथ केसर जो कभी तक कश्मीर तक ही सीमित था, अब उसका भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक विस्तार हो रहा है। केसर के बीजों से निकले पौधे कश्मीर से सिक्किम ले जाए गए और उन्हें वहां रोपा गया। आज ये पौधे पूर्वोत्तर राज्य के दक्षिण भाग में स्थित यांगयांग में खूब फल-फूल रहे हैं। भारतीय पूर्वोत्तर क्षेत्र में केसर उगाने की और ज्यादा व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एनईसीटीएआर ने एक पायलट परियोजना शुरू की है। पंपोर (कश्मीर) और यांगयांग (सिक्किम) में जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों की समानता से यांगयांग में केसर की नमूना खेती की सफलता सामने आने के बाद राष्ट्रीय मिशन ऑन केसर ने केसर की खेती को और भी बेहतर बनाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है।
केसर का उत्पादन लंबे समय से केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित रहा है। भारत में पंपोर क्षेत्र को आमतौर पर कश्मीर के केसर के कटोरे के रूपमें जाना जाता है। इसका केसर के उत्पादन में मुख्य योगदान है। इसके बाद बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ का स्थान है। केसर पारंपरिक रूपसे प्रसिद्ध कश्मीरी व्यंजनों के साथ जुड़ा हुआ है। इसके औषधीय गुणों को कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता है, क्योंकि केसर की खेती कश्मीर के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित रही है, इसलिए अभी तक इसका उत्पादन भी सीमित ही रहा। हालांकि नेशनल मिशन ऑन केसर ने इसकी खेती को बेहतर बनाने के लिए कई उपायों पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन ये उपाय अभी तक विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित थे।
नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर), भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त निकाय है। इसने गुणवत्ता और उच्चतर प्रमात्रा के साथ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में केसर उगाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक पायलट परियोजना में मदद की, जिसके ये सुखद परिणाम सामने आए हैं। सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बॉटनी और हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने सिक्किम के यांगयांग की मिट्टी और उसके वास्तविक पीएच स्थितियों को समझने के लिए बड़े परीक्षण किए हैं। इसने पाया कि यहां की मिट्टी कश्मीर के केसर उगाने वाले स्थानों के समान ही है। विभाग कश्मीर से केसर के बीज/कॉर्म यांगयांग लाया, एक केसर उत्पादक को नियोजित किया गया और उसे इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों के साथ पूरी उत्पादन प्रक्रिया की देखभाल के लिए रखा गया।
सितंबर और अक्टूबर के दौरान कॉर्म की सिंचाई की गई, जिससे समय पर कॉर्म अंकुरित हुआ और इसपर बहुत अच्छे फूल आए। पंपोर (कश्मीर) और यांगयांग (सिक्किम) के बीच जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां समान होने से केसर की नमूना खेती सफल हुई। इस परियोजना में फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि केसर की गुणवत्तायुक्त सुखाई हो और कटाई के बाद अच्छी केसर की प्राप्ति हो तभी इसके उत्पादन में सुधार हो सकेगा। केसर की खेती के लिए मृदा परीक्षण, गुणवत्ता, प्रमात्रा, और संभावित मूल्यवर्धन सहित सभी मानकों के विस्तृत विश्लेषण किए गए हैं। इस परियोजना के तत्काल परिणाम और एक्सट्रपलेशन का सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य भागों में भी उपयोग करने की योजना है।