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Tuesday 29 December 2020 01:28:45 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वर्चुअल रूपसे देश के 8 समुद्री तटों पर अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग फहराया है। भारत ने 6 अक्टूबर 2020 को इन समुद्री तटों के लिए अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग प्रमाण पत्र उस समय प्राप्त किया था, जब यूएनईपी, यूएनडब्ल्यूटीओ, यूनेस्को, आईयूसीएन, आईएलएस, एफईई जैसे सदस्य संगठनों वाले अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने कोपेनहेगेन डेनमार्क में पुरस्कार की घोषणा की थी। ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण वैश्विक रूपसे मान्य पर्यावरण लेबल है, जिसे 33 कठोर मानकों के आधार पर डेनमार्क के फाउंडेशन फॉर एनवायरंमेंट एजुकेशन प्रदान करता है।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्य और केंद्र सरकार एवं लोगों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश में स्वच्छ समुद्री तट इस बात का संकेत देते हैं कि तटीय पर्यावरण की सेहत अच्छी है और ब्लू फ्लैग प्रमाण पत्र भारत के संरक्षण तथा स्थायी विकास प्रयासों को वैश्विक मान्यता है। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि आने वाले 3-4 वर्ष में ऐसे और 100 समुद्री तट ब्लू फ्लैग वाले बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि समुद्री किनारों की साफ-सफाई को न केवल सौंदर्य और पर्यटन संभावनाओं की दृष्टि से, बल्कि समुद्री गंदगी कम करने और तटीय पर्यावरण को स्थायी बनाने के महत्व को देखते हुए जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए। जिन स्थानों पर इंटरनेशनल ब्लू फ्लैग फहराए गए, उनमें कप्पड (केरल), शिवराजपुर (गुजरात), घोघला (दीव), कसरकोड तथा पदुबिदरी (कर्नाटक), रूशिकोंडा (आंध प्रदेश), गोल्डेन (ओडिशा) तथा राधानगर (अंडमान और निकोबार दीव समूह) हैं। समुद्री तटों पर संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्रियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने ध्वज फहराए।
भारत ने जून 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस पर तटीय क्षेत्रों के स्थायी विकास की अपनी यात्रा शुरु की। भारत ने 13 तटीय राज्यों में I-AM-SAVING-MY-BEACH अभियान एक साथ लॉंच किया, उसके बाद से मंत्रालय का प्रतिष्ठित कार्यक्रम बीईएएमएस (बीच एनवायरंमेंट एस्थेटिक मैनेजमेंट सर्विसेज) लागू कर रहा है। तटीय राज्यों में बीईएएमएस कार्यक्रम से समुद्री किनारों पर सफाई का अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्राप्त हुआ है। इन तटों पर 500 टन से अधिक ठोस अपशिष्ट एकत्रित किए गए, उन्हें रिसाइकिल किया गया और वैज्ञानिक तरीके से इन समुद्री किनारों पर निपटाया गया। इसके परिणामस्वरूप 78 प्रतिशत से अधिक समुद्री गंदगी तथा 83 प्रतिशत से अधिक मरीन प्लास्टिक का खतरा कम हुआ। बीईएएमएस कार्यक्रम से रिसाइक्लिंग और पुनः उपयोग द्वारा 11000 केएल जल की बचत हुई और इसके परिणामस्वरूप संचयी रूपसे 85 प्रतिशत से अधिक लोग इन समुद्री तटों पर आए।