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Thursday 18 February 2021 06:18:06 PM
नई दिल्ली/ गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए असम के 'सत्रों की भूमि मजूली' को प्रणाम करते हुए असम में विकास की अनेक पहलों का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कहा-'श्रीमंत शंकरदेव की कर्मस्थली और सत्रों की भूमि मजूली को मेरा प्रणाम!' गौरतलब है कि 'सत्र' (असमिया भाषा) विशेष संस्थागत केंद्र है जहां एक शरण धर्म की परंपरा चलती है तथा सत्र उसका विस्तार करते हैं। सैकड़ों की संख्या में होने वाले इन सत्रों पर सत्राधिकार का नियंत्रण होता है। ये सभी सत्र आमतौर पर एक दूसरे से अलग और स्वतंत्र होते हैं, हालांकि उन्हें चार अलग-अलग क्रम में बांटा जा सकता है, इन सत्रों में एक नामघर या प्रार्थना घर होता है, जहां धार्मिक गतिविधियों के अलावा लोगों को 'एक शरण धर्म' के प्रति आकर्षित किया जाता है। उन्हें अनुयायियों के रूपमें रहने के लिए और सत्र के उत्थान के लिए धार्मिक और आर्थिक मदद देने को कहा जाता है। सत्रहवीं सदी में सैकड़ों सत्र स्थापित हुए, जिन्हें कोच राजवंश और अहोम राजवंश का वरदहस्त प्राप्त था। बड़े सत्र में सैकड़ों ब्रह्मचारी और गैर ब्रह्मचारी भक्त निवास करते हैं, सत्रों के पास विशाल भूमि है और उनके पास सांस्कृतिक अवशेष और कलाकृतियों के खजाने हैं। सत्र अपने आस्थावानों को गांवों में स्थापित नामघर के माध्यम से नियंत्रण करते हैं तथा धर्म का विस्तार करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के सहयोगी नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, मनसुख मांडविया, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनरेड संगमा, असम के वित्तमंत्री डॉ हिमंता बिस्वा सरमा और असम के लोगों की मौजूदगी में कहा कि ऐसा लग रहा है कि आलि-आये-लिगांग उत्सव की उमंग दूसरे दिन भी जारी है, कल मिसिंग समुदाय के लिए खेती और किसानी के उत्सव का दिन था और आज मजूली सहित पूरे असम और नॉर्थ ईस्ट के विकास का एक बहुत बड़ा महोत्सव है। उन्होंने कहा कि भारतरत्न डॉ भूपेन हज़ारिका ने कभी लिखा था-'महाबाहु ब्रह्मपुत्र महामिलनर तीर्थ (अ) कत(अ) जुग धरि आहिछे प्रकाखि हमन्वयर' यानि ब्रह्मपुत्र का विस्तार बंधुत्व का, भाईचारे का, मिलन का तीर्थ है, सालों-साल से ये पवित्र नदी, मेलजोल का, कनेक्टिविटी का पर्याय रही है, लेकिन ये भी सही है कि ब्रह्मपुत्र पर कनेक्टिविटी से जुड़े जितने काम पहले होने चाहिएं थे, उतने हुए नहीं, इस वजह से असम के भीतर भी और नॉर्थ ईस्ट के अन्य क्षेत्रों में कनेक्टिविटी हमेशा एक बड़ी चुनौती बनी रही। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाबाहु ब्रह्मपुत्र के आशीर्वाद से अब इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में केंद्र और असम की डबल इंजन सरकार ने इस पूरे क्षेत्र की भौगोलिक और सांस्कृतिक दूरियों को कम करने का प्रयास किया है, हमने ब्रह्मपुत्र की शाश्वत भावना के अनुरूप सुविधा, सुअवसरों और संस्कृति के पुल बनाए हैं, असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की भौतिक और सांस्कृतिक अखंडता को इन वर्षों में सशक्त किया है। उन्होंने कहा कि आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए इस व्यापक विजन को विस्तार देने वाला है, डॉ भूपेन हज़ारिका सेतु हो, बोगीबिल ब्रिज हो, सरायघाट ब्रिज हो, ऐसे अनेक ब्रिज आज असम का जीवन आसान बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही हमारे वीर जांबाजों को भी बड़ी सहूलियत दे रहे हैं, असम और नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने के इस अभियान को आज और आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आज से 2 और बड़े ब्रिज पर काम शुरु हो रहा है, जब कुछ वर्ष पहले मैं माजूली द्वीप गया था तो वहां की समस्याओं को करीब से महसूस किया था, मुझे खुशी है कि सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने इन मुश्किलों को कम करने के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास किया है, मजूली में असम का पहला हेलीपोर्ट भी बन चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब मजूलीवासियों को सड़क का भी तेज़ और सुरक्षित विकल्प मिलने जा रहा है। उनकी बरसों पुरानी मांग आज पुल के भूमि पूजन के साथ ही पूरी होनी शुरू हो गई है, कालीबाड़ी घाट से जोहराट को जोड़ने वाला 8 किलोमीटर का ये पुल मजूली के हज़ारों परिवारों की जीवन रेखा बनेगा, ये ब्रिज सुविधा और संभावनाओं का सेतु बनने वाला है। उन्होंने कहा कि इसी तरह धुबरी से मेघालय में फुलबारी तक 19 किलोमीटर लंबा पुल जब तैयार हो जाएगा तो इससे बराक घाटी की कनेक्टिविटी मजबूत होगी, यही नहीं इस पुल से मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा की असम से दूरी भी बहुत कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सोचिए, मेघालय और असम के बीच अभी सड़क मार्ग से जो दूरी करीब ढाई सौ किलोमीटर है भविष्य में सिर्फ 19-20 किलोमीटर रह जाएगी, ये ब्रिज अन्य देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय यातायात के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रह्मपुत्र और बराक सहित असम को अनेक नदियों की जो सौगात मिली है, उसको समृद्ध करने के लिए आज महाबाहू ब्रह्मपुत्र प्रोग्राम शुरु किया गया है, ये प्रोग्राम ब्रह्मपुत्र के जल से इस पूरे क्षेत्र में पानी कनेक्टिविटी, पोर्ट एलईडी विकास को सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अभियान की शुरुआत में आज नीमाती-मजूली, नॉर्थ और साउथ गुवाहाटी, धुबरी-तसिंगीमारी के बीच 3 रो-पैक्स सेवाओं का शुभारंभ किया गया है, इसी के साथ असम इतने बड़े स्तर पर रो-पैक्स सर्विस से जुड़ने वाला देश का अग्रणी राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि जोगीघोपा में अंतर्देशीय जल परिवहन टर्मिनल सहित ब्रह्मपुत्र पर 4 जगह टूरिस्ट जेटी बनाने का काम भी शुरु किया गया है और मजूली सहित असम एवं नॉर्थ ईस्ट को बेहतर कनेक्टिविटी देने वाले ये प्रोजेक्ट्स इस क्षेत्र में विकास की गति को और तेज़ करेंगे। उन्होंने असमवासियों से कहा कि 2016 में आपके एक वोट ने कितना कुछ करके दिखा दिया है, आपके वोट की ये ताकत अभी असम को और ऊंचाई पर लेकर जाने वाली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी के कालखंड में भी असम देश के समृद्धशाली और अधिक रेवेन्यु देने वाले राज्यों में से एक था, यहां तककि चिटगांव और कोलकाता पोर्ट तक चाय और पेट्रोलियम पदार्थ ब्रह्मपुत्र-पदमा-मेघना नदियों और रेल लाइनों से होकर ही पहुंचते थे। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी का यही नेटवर्क असम की समृद्धि का बड़ा कारण था, लेकिन आज़ादी के बाद जहां इस इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाना जरूरी था, इन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया। जलमार्ग पर फोकस नहीं किया गया, तो लगभग खत्म ही हो गए। इस क्षेत्र में अव्यवस्था और अशांति के पीछे, विकास को लेकर ये लापरवाही भी एक बड़ी वजह बनी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि इतिहास में की गईं उन गलतियों को सुधारने की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेईजी ने की थी, अब उनका और विस्तार किया जा रहा है, उन्हें और ज्यादा गति दी जा रही है, अब असम का विकास प्राथमिकता में भी है, इसके लिए दिन-रात प्रयास भी हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते पांच वर्ष में असम की मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं, कोशिश ये है कि असम, नॉर्थ ईस्ट को दूसरे पूर्वी एशियाई देशों के साथ हमारे सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्तों का भी केंद्र बनाया जाए, इसलिए अंतर्देशीय जलमार्ग को यहां एक बड़ी ताकत बनाने पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बांग्लादेश के साथ पानी की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक समझौता भी किया गया है, ब्रह्मपुत्र और बराक नदी को जोड़ने के लिए हुगली नदी में इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे असम के अलावा मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा को भी हल्दिया, कोलकाता, गुवाहाटी और जोगीघोपा के लिए एक वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिलेगी, यानि अभी नॉर्थ ईस्ट को शेष भारत से जोड़ने के लिए जिस संकरे से क्षेत्र पर हमारी निर्भरता रहती है, उस निर्भरता को ये रास्ता कम करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जोगीघोपा का आईडब्ल्यूटी टर्मिनल इस वैकल्पिक रास्ते को और मजबूत बनाएगा जो असम को कोलकाता, हल्दिया पोर्ट जलमार्ग से जोड़ेगा, इस टर्मिनल पर भूटान और बांग्लादेश के कार्गो, जोगीघोपा मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के कार्गो और ब्रह्मपुत्र नदी पर अलग-अलग स्थानों के लिए आने-जाने की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर जनसामान्य की सुविधा प्राथमिकता पर हो और विकास का लक्ष्य अटल हो तो नए रास्ते बन ही जाते हैं, मजूली और नेमाती के बीच रो-पैक्स सेवा ऐसा ही एक रास्ता है। उन्होंने कहा कि अब सड़क के रास्ते करीब सवा 4 सौ किलोमीटर घूमकर आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, अब रो-पैक्स से सिर्फ 12 किलोमीटर का सफर करते हुए साइकिल, स्कूटर, बाइक या कार को जहाज़ में ले जा सकते हैं, इस रास्ते पर जो 2 जहाज चलाए जा रहे हैं, वो एक बार में करीब 1600 यात्री और दर्जनों वाहनों को ले जा पाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी ही सुविधा अब गुवाहाटी के लोगों को भी मिलेगी, अब उत्तरी और दक्षिण गुवाहाटी के बीच की दूरी 40 किलोमीटर से कम होकर सिर्फ 3 किलोमीटर तक सिमट जाएगी, इसी तरह धुबरी और हतसिंगीमारी के बीच की दूरी करीब सवा 2 सौ किलोमीटर से कम होकर 30 किलोमीटर तक रह जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ जलमार्ग ही नहीं बना रही है, बल्कि इनका उपयोग करने वालों को सटीक जानकारी मिले, इसके लिए भी ई-पोर्टल लॉन्च किए गए हैं, Car-D पोर्टल से नेशनल वॉटरवे के सभी कार्गो और क्रूज़ से जुड़े ट्रैफिक डेटा को रियल टाइम पर क्लेक्ट करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह पानी पोर्टल नौचालन के अलावा वॉटरवे के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी जानकारियां भी देगा। उन्होंने कहा कि GIS आधारित भारत मैप पोर्टल उन लोगों की मदद करता है जो यहां घूमने-फिरने या व्यापार-कारोबार के लिए आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी का देश में विकास हो रहा है, असम उसका बेहतरीन उदाहरण होने वाला है।उन्होंने कहा कि असम और नॉर्थ ईस्ट की वॉटरवे-रेलवे-हाईवे कनेक्टिविटी के साथ ही इंटरनेट कनेक्टिविटी भी उतनी ही जरूरी है, इस पर भी लगातार काम हो रहा है, अब सैकड़ों करोड़ रुपए के निवेश से गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्ट का पहला और देश का छठा डेटा सेंटर भी बनने वाला है, ये सेंटर नॉर्थ ईस्ट के सभी 8 राज्यों के लिए डेटा सेंटर हब के रूप में काम करेगा। उन्होंने कहा कि इस डेटा सेंटर के बनने से असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट में ई-गर्वनेंस, आईटी सर्विस आधारित इंडस्ट्री, स्टार्ट अप्स को और बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों से नॉर्थ ईस्ट के युवाओं के लिए बीपीओ का जो इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, उसको अब ताकत मिलेगी यानि एक प्रकार से ये सेंटर डिजिटल इंडिया के विजन को नॉर्थ ईस्ट में भी मज़बूत करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कनेक्टिविटी के जिन प्रोजेक्ट्स का शुभारंभ और शिलान्यास किया गया है, उनसे असम में टूरिज्म के लिए भी नए द्वार खुलने वाले हैं, क्रूज़ टूरिज्म के मामले में असम देश का एक बड़ा डेस्टिनेशन बन सकता है। उन्होंने कहा कि नेमाती, विश्वनाथ घाट, गुवाहाटी और जोगीघोपा में टूरिस्ट जेटी बनने से असम की टूरिज्म इंडस्ट्री को एक नया आयाम मिलेगा, जब क्रूज़ में घूमने के लिए देश और दुनिया का ज्यादा खर्च करने वाला टूरिस्ट पहुंचेगा तो असम के युवाओं की कमाई के साधन भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि टूरिज्म तो ऐसा सेक्टर है, जिसमें कम से कम पढ़ा लिखा, कम से कम निवेश करने वाला भी कमाता है और स्किल्ड प्रोफेशनल भी कमाता है, यही तो विकास है, जो गरीब से गरीब को भी सामान्य नागरिक को भी आगे बढ़ने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि विकास के इसी क्रम को बनाए रखना है एवं और ज्यादा गति देनी है, असम एवं नॉर्थ ईस्ट को आत्मनिर्भर भारत का मज़बूत स्तंभ बनाने के लिए मिलकर काम करना है। प्रधानमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को असम के नए विकास का पूरा श्रेय दिया और अपने संबोधन में मुख्यमंत्री की प्रशंसात्मक रूपसे बार-बार चर्चा की।