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Sunday 21 February 2021 04:10:46 PM
लखनऊ। मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव और लखनऊ के इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा हैकि जम्मू और कश्मीर में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, उनका जम्मू-कश्मीर दौरे का उद्देश्य वहां के लोगों की समस्याओं को हल करना है, शिया और सुन्नियों के साथ-साथ दूसरे धर्मों के लोगों ने भी उनके दौरे का स्वागत किया है। मीडिया को मेल से भेजे एक बयान में मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने कहा है कि उनका जम्मू-कश्मीर का दौरा विघटनकारियों के गुमराह प्रचार और विरोध के बावजूद अपेक्षा से अधिक सफल रहा। मौलाना ने कहा कि कुछ लोग उनके जम्मू-कश्मीर दौरे से पहले ही वहां की जनता को गुमराह कर रहे थे और कह रहे थे कि जम्मू और कश्मीर में हमारे दौरे का स्वागत नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे शिया और सुन्नी दंगे भड़क सकते हैं, लेकिन इस गुमराह प्रचार के बावजूद शिया और सुन्नी दोनों संप्रदायों के लोगों ने हमारे कश्मीर दौरे का जोरदार स्वागत किया।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहाकि केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि हिंदू और सिख समुदाय के विद्वान भी हमसे मिले औरहमारे दौरे का स्वागत किया। मौलाना ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में अहल-ए-सुन्नत के आलीशान मदरसे हैं, जहां हमें आमंत्रित किया गया था और उन्होंने हमें अपनी समस्याएं बताईं। मौलाना ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर में जहां भी गए सड़क, बिजली, पानी जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की कमी पाई, कुछ क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए तो अच्छी सड़कें भी नहीं हैं, हमने वहां लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने बताया कि जम्मू में अंजुमन-ए-तंजीम-उल-मोमिनीन के सदस्यों और उसके जिम्मेदार ओहदेदार ताहिर नकवी ने उनके जम्मू और कश्मीर दौरे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना ने कहाकि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी असलम कुरैशी, कुरैशी ब्रदर्स, काज़मी ब्रदर्स, जम्मू और कश्मीर के सांस्कृतिक अधिकारी डॉ अलमदार हुसैन, अंसार मेहदी एवं और भी दूसरे लोगों का वहां उन्हें पूरा सहयोग मिला।
मौलाना कल्बे जवाद अपनी जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान हिमालय के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी गए, जहां उनके पिता मौलाना कल्बे आबिद जाया करते थे। मौलाना ने जिन इलाकों का दौरा किया, उनमें सरोन कोट, मंडेर, पुंछ, राजौरी एवं और भी क्षेत्र शामिल हैं, जहां उन्होंने शिया, सुन्नी, हिंदू और सिख संगठनों के नेताओं से मुलाकात की। मौलाना ने राजौरी में हिमालय पीजी कॉलेज का भी दौरा किया, जहां कॉलेज के संस्थापक फारूक मुज़्तर ने उनका स्वागत किया जो अहल-ए-सुन्नत की एक प्रसिद्ध शख़सियत हैं। मौलाना ने बताया कि उनके साथ गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी थे। उन्होंने बताया कि पुंछ में वह सिख और हिंदू संगठनों के नेताओं से मिले और उनके मुद्दों से परिचित हुए। उन्होंने संगठन 'नया पुंछ' और अंजुमन नौजवान सिखसभा के कार्यकर्ता और ज़िम्मेदारों से मुलाकात की, जिनमें सुखविंदर सिंह और मिस्टर शर्मा विशेष रूपसे उपस्थित थे। मौलाना ने मंडेर में अंजुमन-ए-जाफरिया और पुंछ में अंजुमन-ए-गुलपुर के सदस्यों से मुलाकात की।
मौलाना कल्बे जवाद ने बताया कि मंडेर में एसडीपीओ सैयद ज़हीर अब्बास जाफरी और अंजुमने अंसारे मेहदी के सदस्यों ने उनका स्वागत कर अपने मसाएल पेश किए। मंडेर से गोरसाई के रास्ते में मौलाना करामत हुसैन जाफरी के निमंत्रण पर उनके घर भी गए, जहां महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। डॉ अमीर जाफरी और तक़ी रिजवी ने सरनकोट तहसील में गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। तहसील हवेली पुंछ शहर खास के लोगों ने भी अपनी परेशानियां बयान कीं और उन्हें ज्ञापन सौंपा। मौलाना ने कहा कि उन्हें वहां के लोगों ने बताया कि उनके अलावा अभीतक कोई नेता या धर्मगुरु हमारी स्थिति का जायज़ा लेने नहीं आया है, केवल उन्होंने ही पहल की है जो दूरदराज़ के इलाकों तक पहुंचे और हमारी स्थिति के बारे में जाना।
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि मुस्लिम नेता 70 साल से कश्मीर पर राज कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जम्मू-कश्मीर की बुनियादी समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया, अगर उन्होंने लोगों की समस्याओं और उनके मसाएल को हल करने की कोशिश की होती तो आज कश्मीर के हालात इतने बुरे नहीं होते। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि उन्होंने वहां की सरकार को जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की समस्याओं और चिंताओं के बारे में सूचित किया है और राज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर उनसे उनके मुद्दों पर चर्चा की है। मौलाना कल्बे जवाद ने बताया कि राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके द्वारा रखी गईं सभी समस्याओं पर विचार किया जाएगा और हल किया जाएगा। मौलाना ने कहा कि हम भारत सरकार को भी जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंताओं और मुद्दों के बारे में भी सूचित कर रहे हैं ताकि समस्याओं को जल्द हल किया जा सके।