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Tuesday 2 March 2021 04:09:15 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ऑनलाइन मैरीटाइम इंडिया समिट-2021 को संबोधित करते हुए विश्व को भारत में आने और भारत की विकास गति का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि भारत समुद्री क्षेत्र में तेजीसे प्रगति कर रहा है और विश्व की एक अग्रणी ब्लू इकोनॉमी के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के उन्नयन, सुधार यात्रा को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत का लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि थोड़ी-थोड़ी पहुंच के बजाए पूरे क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता जो 2014 में 870 मिलियन टन थी, उसे बढ़ाकर अब 1550 मिलियन टन कर दिया गया है, भारतीय बंदरगाहों में अब डाइरेक्ट पोर्ट डिलीवरी, डाइरेक्ट पोर्ट एंट्री और उन्नत पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसे उपाए किए गए हैं, ताकि डेटा का सरल प्रवाह रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे बंदरगाहों में आनेवाली और बाहर जाने वाली कार्गो के लिए प्रतीक्षा समय कम कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि वधावन पारादीप और कांडला में दीनदयाल बंदरगाह में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ मेगा बंदरगाहों को विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार एक ऐसी सरकार है, जो बंदरगाहों में इस प्रकार निवेश कर रही है, जैसा इससे पहले कभी नहीं देखा गया था, घरेलू जलमार्ग माल ढुलाई के लिए सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल हैं और हमारा लक्ष्य 2030 तक 23 जलमार्गों को चालू करने का है। उन्होंने बताया कि भारत में विशाल तटरेखा पर 189 प्रकाश स्तंभ हैं, हमने 78 प्रकाश स्तंभों के आसपास की भूमि पर पर्यटन विकसित करने के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया है, इस पहल का प्रमुख उद्देश्य मौजूदा प्रकाश स्तंभों का विकास करना और इनके आसपास के क्षेत्रों को विशिष्ट समुद्री पर्यटन स्थलों में विकसित करना है। उन्होंने कहा कि कोच्चि, मुंबई, गुजरात और गोवा जैसे प्रमुख राज्यों और शहरों में शहरी जल परिवहन प्रणालियां शुरू करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने हाल ही में शिपिंग मंत्रालय को बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय का नया नाम देकर समुद्री क्षेत्र के दायरे का विस्तार किया है, ताकि विकास कार्य समग्र तरीके से हो सकें। उन्होंने बताया कि भारत सरकार घरेलू जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत बाजार पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, घरेलू जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय शिपयार्ड के लिए जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति को मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने 400 निवेश योग्य परियोजनाओं की एक सूची तैयार की है, इन परियोजनाओं में 31 बिलियन डॉलर या 2.25 लाख करोड़ रुपये की निवेश क्षमता है। मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरकार की प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है। उन्होंने सागर-मंथन: मर्केंटाइल मरीन डोमेन अवेयरनेस सेंटर की भी शुरुआत की, यह समुद्री सुरक्षा, खोज और बचाव क्षमताओं तथा सुरक्षा और समुद्री पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने के लिए एक सूचना प्रणाली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि 2016 में बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने के लिए सागरमाला परियोजना की घोषणा की थी, जिसके हिस्से के रूपमें 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 6 लाख करोड़ रुपये की लागत से 574 से अधिक परियोजनाओं की 2015 से 2035 के दौरान कार्यांवयन के लिए पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि जहाजों की मरम्मत करने वाले क्लस्टरों को 2022 तक दोनों तटों के साथ विकसित किया जाएगा, 'वेल्थ फ्रॉम वेस्ट' के सृजन के लिए घरेलू जहाज रिसाइक्लिंग उद्योग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने जहाज रिसाइक्लिंग अधिनियम-2019 को लागू किया है और हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन के बारे में सहमति व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने विश्व के साथ अपनी श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को साझा करने और वैश्विक श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को खुलेपन से सीखने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक और आईओआर देशों के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों पर भारत का ध्यान जारी रखते हुए भारत में 2026 तक बुनियादी ढांचा और सुविधाजनक आपसी समझौतों में निवेश बढ़ाने की योजना बनाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने द्वीप बुनियादी ढांचे और इकोसिस्टम का समग्र विकास शुरु किया है। उन्होंने कहा कि सरकार समुद्री क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने की इच्छुक है, सरकार देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों पर सौर और पवन-आधारित बिजली प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में है और इसका लक्ष्य 2030 तक पूरे भारतीय बंदरगाहों पर तीन चरणों में कुल ऊर्जा में 60 प्रतिशत से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक निवेशकों के साथ परामर्श से यह निष्कर्ष निकाला कि भारत की लंबी तटरेखा आपका इंतजार कर रही है, भारत के मेहनती लोग आपका इंतजार कर रहे हैं, हमारे बंदरगाहों में निवेश करें, हमारे लोगों में निवेश करें, आइए भारत को अपना मनपसंद व्यापार गंतव्य बनाएं, ताकि भारतीय बंदरगाह व्यापार और वाणिज्य के लिए आपके अवसर के बंदरगाह बन जाए। समिट में डेनमार्क के परिवहन मंत्री बेनी एंगलब्रेच, गुजरात और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मनसुख मंडाविया भी ऑनलाइन शामिल हुए।