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Saturday 17 April 2021 02:38:07 PM
नई दिल्ली। 'अनलॉकिंग इन्फनिट पॉसिबिलिटीज फॉर इंडिया’ थीम पर अमेजन संभव ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कोविड उपरांत की भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे क्षमता वाले क्षेत्रों का पता लगाएगी, जिनका अबतक उपयुक्त इस्तेमाल नहीं किया गया है, ऐसे में उन क्षेत्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी क्रम में उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के बांस उद्योग का उदाहरण दिया और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विशाल प्राकृतिक संसाधनों का उल्लेख किया।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हर विषम परिस्थिति के साथ कुछ ना कुछ अच्छाई भी जुड़ी होती है और कोविडकाल का यह एक सकारात्मक पहलू रहा कि इसने हमें नए क्षेत्रों, नई संभावनाओं और नए संसाधनों की तरफ देखने को मजबूर किया है, ताकि महामारी के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था को फिरसे पटरी पर लाने के लिए परिणाममूलक उपाय किए जा सकें। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन परिस्थितियों के बीच भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के पास समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए व्यवसाय के केंद्र के रूपमें उभरने की प्रचुर संभावनाएं हैं। अमेजन की नई पहल 'नॉर्थईस्ट स्पॉटलाइट' की सराहना करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि भारत के व्यवसायिक जगत के लिए कोविड-19 के बाद की अर्थव्यवस्था में संभावनाएं कहां हैं। उन्होंने कहा कि जब देशभर के सभी ज्ञात और पारंपरिक संसाधन एवं क्षमताओं का दोहन हो चुका है या हो रहा है, ऐसे में पूर्वोत्तर भारत के पास कुछ नया देने का अवसर है, जो आने वाले समय में पूर्वोत्तर की भूमिका को अहम बनाने वाला है।
पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार उभरते परिदृश्य के प्रति अत्यंत गंभीर दृष्टिकोण से काम कर रही है, इसी क्रम में 100 वर्ष से भी पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन करके देश में उगाये जाने वाले बांस को वन अधिनियम के बंधनों से मुक्त किया गया है। राज्यमंत्री ने कहा कि घरेलू बांस उत्पादों को बढ़ावा देने के क्रम में बांस के कच्चे माल के आयात शुल्क में वृद्धि की गई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 के उपरांत सभी पक्षों को और सभी नीति निर्माताओं को लघु एवं मध्यम व्यवसाय पर विशेष ध्यान देना होगा, साथ ही हाल में शुरु किए गए या नए स्टार्टअप्स को भी टिकाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को वापस गति देने और व्यवस्थित करने के लिए संयुक्त पहल और संयुक्त उपक्रम अपरिहार्य हो गए हैं।