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Thursday 27 May 2021 03:30:03 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि भारत के किसी भी कदम से किसी भी प्रकार से वाट्सऐप का सामान्य कामकाज कतई प्रभावित नहीं होगा और आम उपयोगकर्ताओं पर प्रस्तावित नीति का कोई असर नहीं हो, भारत सरकार अपने सभी नागरिकों के लिए यह सुनिश्चित करती है, लेकिन इसके साथ ही कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार मानती है कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है और वह इसे नागरिकों के लिए सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि सभी स्थापित न्यायिक कथन के तहत निजता का अधिकार सहित कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण नहीं है और यह तार्किक सीमाओं से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सूचना को सबसे पहले जारी करने वाले या लेखक से जुड़े मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों की आवश्यकता ऐसी ही तार्किक सीमा का उदाहरण है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब अनुपातिकता के परीक्षण से मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों के नियम 4 (2) का परीक्षण किया जाता है तो यह परीक्षण भी हो जाता है, जिसका आधार यह है कि क्या कोई कम प्रभावी वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है। मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों के तहत सूचना के पहले लेखक की पहचान सिर्फ उसी परिदृश्य में हो सकती है, जहां अन्य उपाय निष्प्रभावी हो जाएं तो उसी को आखिरी उपाय बना दिया जाए। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसी जानकारी सिर्फ कानून के तहत स्वीकृत प्रक्रिया के माध्यम से ही मांगी जा सकती है, जिससे पर्याप्त कानूनी सुरक्षा को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंधित दिशा-निर्देशों के नियम 4 (2) के तहत भारत की सम्प्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के साथ ही से संबंधित अपराध में सिर्फ रोकथाम, जांच और सजा आदि के उद्देश्य से और बलात्कार, यौन सामग्री या बाल यौन उत्पीड़न सामग्री से संबंधित अपराध से जुड़े सार्वजनिक आदेश, जिनमें सार्वजनिक आदेश में सजा 5 साल से कम नहीं हो के मामलों में ही सूचना के पहले लेखक की पहचान के लिए यह आदेश जारी किया जाएगा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह जनहित में है कि इस तरह के अपराध करने वाले की पहचान होनी चाहिए और उसको सजा मिलनी चाहिए, हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि किस तरह से मॉब लिंचिंग और दंगों आदि के मामलों से जुड़े वाट्सऐप संदेशों को प्रसारित और बार-बार प्रसारित किया जाता है, जो पहले से ही सार्वजनिक हों, इसलिए पहली बार सूचना जारी करने वाले की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि देश के कानून के तहत मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों के नियम 4 (2) कोई नया उपाय नहीं है। विभिन्न हितधारकों और वाट्सऐप सहित कई सोशल मीडिया मध्यवर्तियों के साथ परामर्श के बाद इसे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2018 के बाद वाट्सऐप द्वारा गंभीर अपराधों के संबंध में पहले लेखक की निगरानी के संबंध में भारत सरकार को लिखित में कोई विशेष आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई। उन्होंने सामान्य रूपसे दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन औपचारिक रूपसे ऐसा कुछ नहीं कहा कि निगरानी संभव नहीं है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वाट्सऐप ने अंतिम समय में चुनौती दी है, परामर्श की प्रक्रिया के दौरान तथा नियम बनाए जाने के बाद पर्याप्त समय व अवसर होने के बावजूद अंतिम समय में मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों को चुनौती देना उनको लागू होने से रोकने का एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास है।
भारत में परिचालन के कारण कोई भी कंपनी यहां के कानून पर निर्भर है। वाट्सऐप का दिशा-निर्देशों को लागू करने से इनकार स्पष्ट रूपसे एक उपाय की स्पष्ट अवज्ञा है, जिसके इरादे पर कोई संदेह नहीं कर सकता है। एक तरफ वाट्सऐप एक गोपनीयता की नीति को लागू करना चाहता है, जहां वह अपने सभी उपयोगकर्ताओं का डाटा विपणन और विज्ञापन के उद्देश्यों से अपनी मातृ कंपनी के साथ साझा करेगी। दूसरी तरफ वाट्सऐप मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों को लागू नहीं करने के लिए हर प्रयास करती है, जो कानून व्यवस्था को बनाए रखने और फर्जी समाचारों के खतरे पर लगाम कसने के लिए जरूरी है। वाट्सऐप मध्यवर्ती दिशा-निर्देशों को लागू करने से इनकार का बचाव करते हुए एक अपवाद को छोड़ दें तो इस प्लेटफॉर्म पर आनेवाले संदेश एंड टू एंड इनक्रिप्ट हैं। यह उल्लेख करना जरूरी है कि सूचना के पहले लेखक की निगरानी का नियम प्रत्येक और सभी प्रमुख सोशल मीडिया मध्यवर्ती के लिए अनिवार्य है, चाहे उनका परिचालन का तरीका कोई भी हो।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या इनक्रिप्शन को बनाए रखा जाएगा या नहीं, यह पूरी बहस गलत है, निजता के अधिकार को चाहे इनक्रिप्शन तकनीक या किसी अन्य तकनीक के इस्तेमाल से सुनिश्चित किया जाए, यह पूरी तरह से सोशल मीडिया मध्यवर्ती के अधिकार में आता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने सभी नागरिकों का निजता का अधिकार सुनिश्चित करने के साथ ही सार्वजनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए जरूरी साधनों और जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध है। एक तकनीक समाधान खोजना वाट्सऐप की जिम्मेदारी है, चाहे ऐसा इनक्रिप्शन या किसी अन्य माध्यम हो, जिसमें दोनों शामिल हों। एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती के रूपमें वाट्सऐप सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत विशेष (सेफ हार्बर) सुरक्षा चाहता है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हालांकि अपने प्रभाव के दम पर वे जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं और अहम कदम उठाने से इनकार करती है, जिससे उसको एक सुरक्षा प्रावधान का मौका मिलता है।
भारत सरकार ने जनहित में अलग-थलग होकर नियम लागू नहीं किए हैं, बल्कि वैश्विकस्तर पर ये चलन में हैं। जुलाई 2019 (i) में यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड स्टेट्स, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा की सरकारों एक संवाद जारी किया था, जिनका निष्कर्ष है कि प्रौद्योगिकी कंपनियों को अपने इनक्रिप्टेड उत्पादों और सेवाओं के डिजाइन में ऐसा मैकेनिज्म शामिल करना चाहिए, जिसमें सरकारें उपयुक्त कानूनी अधिकार के साथ पढ़ने और उपयोग योग्य प्रारूप में डाटा तक पहुंच हासिल कर सकें। ब्राजील का कानून प्रवर्तन, वाट्सऐप से संदिग्धों के आईपी पते, ग्राहक जानकारी, जियो-लोकेशन डाटा और भौतिक संदेशों की मांग कर रहा है। भारत जिसकी मांग कर रहा है, वह दूसरे देशों की तुलना में काफी कम है, इसलिए वाट्सऐप का भारत के मध्यवर्ती दिशानिर्देशों को निजता के अधिकार के विपरीत चित्रित करना पूरी तरह गलत है। इसके विपरीत भारत में निजता तार्किक सीमाओं के साथ एक मौलिक अधिकार है। दिशा-निर्देशों का नियम 4 (2) ऐसी ही तार्किक सीमा का उदाहरण है। मध्यवर्ती दिशानिर्देशों के नियम 4 (2) के पीछे के उद्देश्य पर संदेह करना गलत है, जिसका उद्देश्य कानून व्यवस्था की रक्षा करना है। सभी पर्याप्त सुरक्षा उपायों का ध्यान रखा गया है, इस क्रम में स्पष्ट कहा गया है कि यह कोई एक व्यक्ति नहीं है, जो सूचना के पहले लेखक पर नज़र रख सके, हालांकि ऐसा सिर्फ कानून के तहत स्वीकृत प्रक्रिया के तहत किया जा सकता है। इसे एक अंतिम उपाय के रूपमें सिर्फ ऐसे परिदृश्यों के लिए विकसित किया गया है, जहां अन्य उपाय निष्प्रभावी साबित हो गए हों।