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Thursday 17 June 2021 05:27:22 PM
लोथल (गुजरात)। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर यानी एनएमएचसी के विकास में सहयोग केलिए एक समझौता किया है। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल नई दिल्ली परिवहन भवन में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान उपस्थित रहे। इस अवसर पर मनसुख मंडाविया ने कहा कि एनएमएचसी को भारत में अपनी तरह की पहली संस्था के रूपमें विकसित किया जाएगा, जो पूरी तरह से भारत की समृद्ध और विविध समुद्री महिमा को प्रदर्शित करने केलिए समर्पित होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय के साथ सहयोग से भारत के मजबूत समुद्री इतिहास और जीवंत तटीय परंपरा दोनों को एक ही स्थान पर प्रदर्शित करने में सुविधा होगी और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की समुद्री विरासत की छवि का उत्थान होगा।
संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत की महानता को बाहर लाने और व्यक्त करने के लिए इस खजाने को एक साथ रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन एवं संग्रहालय देश की सांस्कृतिक विरासत को घरेलू और विश्वस्तर पर सामने लाने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि लोथल में समुद्री संग्रहालय इसकी केवल एक शुरुआत है, संस्कृति मंत्रालय अन्य स्थानों पर इसी तरह की परियोजनाओं के लिए एक ज्ञान भागीदार के रूपमें सभी तरह के समर्थन का विस्तार करेगा। प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि हाल ही में विभिन्न स्थानों पर हुई खुदाई से नए ऐतिहासिक तथ्य सामने आ रहे हैं, जो इतिहास के पुनर्लेखन का आधार बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये चीजें हमारी प्राचीन संस्कृति की प्रभुता को सामने लाएंगी और हमें इस तरह के शोध को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।
गौरतलब है कि गुजरात में अहमदाबाद से लगभग 80 किलोमीटर दूर लोथल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण स्थल के आसपास के क्षेत्र में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर विकसित किया जाना है, जो एक विश्वस्तरीय सुविधा संपन्न परिसर होगा। एनएमएचसी को एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूपमें विकसित किया जाएगा, जहां प्राचीन से आधुनिक समय तक भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा और भारत की समुद्री विरासत के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करते हुए एक शिक्षा दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। परियोजना को विकसित करने के लिए भूमि हस्तांतरण की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और पर्यावरण मंजूरी सहित सभी भूमि संबंधी मंजूरी हो चुकी है। एनएमएचसी को लगभग 400 एकड़ के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, लाइट हाउस संग्रहालय, विरासत थीम पार्क, संग्रहालय थीम वाले होटल, समुद्री थीम वाले इको-रिसॉर्ट्स और समुद्री संस्थान जैसी विभिन्न अनूठी संरचनाएं होंगी, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।
समुद्री विरासत परिसर की अनूठी विशेषता प्राचीन लोथल शहर को यहां दिखाना भी है, जो 2400 ईसा पूर्व की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक है। इसके अलावा विभिन्न युगों के दौरान भारत की समुद्री विरासत के विकास को अनेक गैलरी के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। एनएमएचसी के पास प्रत्येक तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उनकी कलाकृतियों एवं समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए पवेलियन होगा। एनएमएचसी में पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी के माध्यम से समुद्री और नौसेना थीम पार्क, स्मारक पार्क, जलवायु परिवर्तन थीम पार्क, एडवेंचर और मनोरंजन थीम पार्क जैसे विभिन्न थीम पार्क विकसित किए जाएंगे, जो यहां आनेवालों को एक पूरा टूरिस्ट डेस्टिनेशन का अनुभव प्रदान करेंगे। संस्कृति मंत्रालय पुराने लोथल स्थल और एनएमएचसी को एकल पर्यटन स्थल बनाने के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा। संस्कृति मंत्रालय लोथल संग्रहालय को एनएमएचसी परिसर के साथ स्थापित करेगा और जरूरत होने पर लोथल के पुरातात्विक स्थल के विकास के लिए एनएमएचसी को भी अनुमति देगा।