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Thursday 24 June 2021 02:09:46 PM
मास्को। भारत के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर 9वें मास्को सम्मेलन में 'कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में सैन्य एजेंसियों की भूमिका' विषय पर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में कहा है कि सक्रिय सहयोग, अनुसंधान साझेदारियां और एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाना कोविड-19 जैसी महामारियों से लड़ने का मार्ग है। कजाकिस्तान, मंगोलिया, जिम्बाब्वे, सूडान के रक्षामंत्रियों और संयुक्तराष्ट्र शांति स्थापना के अवर महासचिव ने भी सत्र में भाग लिया। रक्षा सचिव ने भविष्य में ऐसी बीमारियों का विस्फोट रोकने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया के बुनियादी ढांचे और क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे सक्रिय टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करें और कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में इसके प्रसार के मुकाबले आगे चलें। उन्होंने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाया जाना चाहिए, उदाहरण केलिए उन्होंने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अधिक सटीकता के साथ महामारी के संक्रमण की भविष्यवाणी, डेटा विश्लेषण और कोविड निदान हेतु इस्तेमाल के लिए रखा जा सकता है।
भारत-रूस रक्षा संबंधों पर डॉ अजय कुमार ने दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को अभिन्न स्तंभ बताया। उन्होंने उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा मदों के सह-विकास और उत्पादन के लिए भारत के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में सक्रिय रूपसे शामिल होने की रूस की इच्छा का स्वागत किया। वह सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक के लिए इस वर्ष के अंत में रूसी रक्षामंत्री जनरल सर्गेई शोइगु की भारत यात्रा केलिए उत्सुक थे। रक्षा सचिव ने कहा कि भारत ने न केवल अपनी लड़ाई लड़ी, बल्कि भारत ने भी मित्र विदेशी राष्ट्रों को कोविड-19 का मुकाबला करने में मदद की है और इसे जारी रखा है। उन्होंने कहा कि महान चिकित्सा और आर्थिक तनाव के समय भारत ने वसुधैव कुटुंबकम के अपने प्राचीन विश्वास से प्रेरित होकर दूसरों का साथ दिया है। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि ठीक उस समय जब कोरोना महामारी की पहली लहर का प्रहार हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के नेताओं से इस क्षेत्र में एकसाथ कोविड-19 का मुकाबला करने का आह्वान किया था।
रक्षा सचिव ने जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीमों की तैनाती करके मित्र राष्ट्रों को दिए गए भारत के साथ पर प्रकाश डाला, जिसके तहत 150 देशों में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा आपूर्ति भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि 2020 के पूरे वसंत और गर्मियों के मौसम के दौरान भारत 120 से अधिक देशों के लिए उस समय की बुनियादी दवाओं पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का मुख्य आपूर्तिकर्ता था। वंदे भारत मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का अबतक का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स अभ्यास है, जिसमें भारत में फंसे 120 देशों के 120,000 से अधिक विदेशियों को निकालने सहित 7 मिलियन लोगों की हवा और समुद्र से आवाजाही को सुनिश्चित किया गया, जब दुनिया की अधिकांश एयरलाइंस बंद हो गई थीं। डॉ अजय कुमार ने कहा कि आज भारत महामारी से जुड़ी सहायता के उद्योग केलिए सबसे बड़े ईको-सिस्टम प्रणालियों में से एक है, जिसमें पीपीई किट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होना शामिल है। उन्होंने कहा कि महामारी ने चिकित्सा मांगों के क्षेत्र में नवाचारों को शुरू किया और उद्योग ने विभिन्न प्रकार की कोविड संबंधी दवाओं, टीकों, वेंटिलेटर, उपकरण, नैदानिक किट और अन्य आपूर्तियों का उत्पादन किया, जिनको लगभग 150 देशों को भेजा गया है।
रक्षा सचिव ने टीकाकरण को महामारी के प्रति देश की प्रतिक्रिया का मुख्य आधार बताते हुए टीकों और दवाओं को सभी के लिए प्रभावी और किफायती बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत का अन्य देशों को वैक्सीन की 66 मिलियन डोज का योगदान किसी भी देश से सबसे बड़ा है। डॉ अजय कुमार ने रूस को कोविड-19 के खिलाफ एक फ्रंट रैंकिंग फाइटर बताया और उम्मीद जताई कि रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी भारत में महामारी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन जल्द शुरू होने की उम्मीद है, स्पूतनिक-वी की लगभग 900 मिलियन खुराकों का उत्पादन भारत में होने की उम्मीद है, जो इसके वैश्विक उत्पादन का 70% है। रक्षा सचिव ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और तीनों सेनाओं के साथ-साथ महानिदेशालय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का सबसे आशाजनक उपयोग किया है, जो कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी है। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने कुछ ही दिन में कोविड देखभाल सुविधाओं की स्थापना की और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस पर ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन उत्पादन के लिए विकसित मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट तकनीक का उपयोग करते हुए 500 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की शुरुआत की।
डॉ अजय कुमार ने कहा कि पहली लहर के कुछ दिन के भीतर सेना ने आइसोलेशन की अनेक सुविधाएं स्थापित कीं और चिकित्सा आपूर्ति के परिवहन केलिए विशेष सैन्य गाड़ियां चलाईं। दूसरी लहर के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारी संख्या में चिकित्सा आपूर्ति और टीमें भेजी हैं, जबकि 11 नौसैनिक जहाजों ने 1500 मीट्रिक टन से अधिक आपातकालीन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन का वहन किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने लगभग 1800 सॉर्टीज किए और देश-विदेश से 15000 मीट्रिक टन आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति को लाने ले जाने का काम किया है। रक्षा सचिव ने सेवानिवृत्त डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ सहित अतिरिक्त डॉक्टरों की तैनाती और सेवाकर्मियों के साथ-साथ नागरिकों के लिए 24x7 अस्पतालों में सेवा क्षेत्र से जुड़े कार्मिक और नागरिक तैनात करने के लिए एएफएमएस की सराहना की। रूसी रक्षा मंत्रालय का अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर 2012 के बाद से यह सालाना सम्मेलन एक महत्वपूर्ण सुरक्षा वार्ता होती है।