स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 26 June 2021 02:37:23 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विधि एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के ई-फाइलिंग पोर्टल 'ई आईटीएटी ई-द्वार' की औपचारिक शुरुआत कर दी है। रविशंकर प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि डिजिटल इंडिया का अर्थ है एक आम भारतीय को प्रौद्योगिकी की ताकत के साथ सशक्त बनाना-डिजिटल सुविधा रखने वाले और नहीं रखने वालों के बीच में मौजूद डिजिटल बंटवारे को खत्म करना, प्रौद्योगिकी के जरिए प्राप्त डिजिटल एकीकरण की ओर बढ़ना है, जो कम खर्चीला, स्वदेश में विकसित और विकासात्मक है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया का अर्थ प्रौद्योगिकी की शक्ति से भारत को बदलने की एक रूपरेखा है।
आईटी मंत्री ने रेखांकित किया कि लगभग 129 करोड़ भारतीय आबादी का आधार केलिए नामांकन है, जो किसी व्यक्ति की भौतिक पहचान को पूरा करने वाली डिजिटल पहचान है, गरीबों के लिए लगभग 40 करोड़ बैंक खाते खोले और आधार से जोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया का उपयोग करते हुए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूपमें गरीबों के खातों में लगभग 16.7 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं, जिससे 1.78 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है, अन्यथा उसे बिचौलिए निकाल ले जाते। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया ने हमारे देश को डिजिटल भुगतान के मामले में विश्व में अग्रणी स्थान दिलाया है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि आधार, डीबीटी, यूपीआई और स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत सभी मेड इन इंडिया हैं। आईटी मंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि कॉमन सर्विस सेंटर्स की स्थापना है, जो 2014 में सिर्फ 75,000 थे, अब 4 लाख हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सीएससी के जरिए वकीलों को टेली लॉ कार्यक्रम से जरूरतमंदों को कानूनी सलाह देने से स्वयं को जोड़ना चाहिए, पिछले 4 वर्ष के दौरान टेली लॉ से लगभग 9 लाख परामर्श दिए गए हैं।
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में न्यायपालिका ने डिजिटल साधनों से काम किया है और एक करोड़ से ज्यादा मामलों की सुनवाई की है। उन्होंने कहा कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड में 18 करोड़ से अधिक मामलों के बारे में आंकड़े उपलब्ध हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि आईटीएटी के मामलों को भी एनजेडीजी में एकीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 800 से ज्यादा जेलों में वीडियो कॉंफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, ताकि विचाराधीन कैदी पुलिस की ओर से उन्हें भौतिक तौरपर अदालतों में लाए बगैर, अदालतों में पेश होने में सक्षम हो पाएं। उन्होंने कहा कि आईटीएटी की इस पहल को परिवर्तन के एक व्यापक विमर्श के रूपमें देखा जाना चाहिए, जिससे डिजिटल माध्यम के जरिए देश गुजर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ईटीएटी ई-द्वार सेवा को वकीलों और कर वादकारियों की ओर से बड़े पैमाने पर समान रूपसे स्वीकार किया जाएगा। इस दौरान राष्ट्रीय स्तरपर वर्चुअल समारोह हुआ, जिसमें सभी 28 स्टेशनों से आईटीएटी पदाधिकारियों ने भाग लिया। इसमें देशभर से आयकर विभाग के अधिकारियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट, करदाताओं और कर क्षेत्र से जुड़े विधि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
आईटीएटी के अध्यक्ष जस्टिस पीपी भट्ट ने बताया कि ई-फाइलिंग पोर्टल ईटीएटी ई-द्वार पहुंच, जवाबदेही और आईटीएटी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल कागजरहित कार्य, खर्च बचेगा, बल्कि मामलों को सही करने का तार्किकीकरण होगा, जिससे मामलों के त्वरित निपटान को बढ़ावा मिलेगा। न्यायमूर्ति पीपी भट्ट ने आईटीएटी की दिल्ली बेंच में एक पायलट परियोजना की शुरुआत करते हुए आईटीएटी में पेपरलेस अदालतें बनाने की योजना की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि महामारी में भी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी साधनों का इस्तेमाल करके आईटीएटी की विभिन्न पीठों ने न्यायिक कामकाज की अपनी गतिविधियों को बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि यह ई-फाइलिंग पोर्टल विभिन्न पक्षों को अपनी अपीलों, विविध आवेदनों, दस्तावेजों, पेपर बुक्स इत्यादि को इलेक्ट्रॉनिक रूपसे पेश करने में सक्षम बनाएगा। केंद्रीय विधि सचिव अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने भी ई-फाइलिंग पोर्टल केलिए आईटीएटी को बधाई दी। जीएस पन्नू उपाध्यक्ष (दिल्ली जोन) और अध्यक्ष कंप्यूटरीकरण समिति आईटीएटी ने बताया कि डिजिटल कोर्ट रूम, वर्चुअल सुनवाई और न्यायिक सूचना देने वाले मोबाइल एप्लिकेशन के एकीकरण के साथ पेपरलेस कोर्ट आईटीएटी में बहुत जल्द होगी।