स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 17 July 2021 01:46:26 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से अमेरिका-भारत व्यापार परिषद के आयोजित गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। 'अमेरिकी निवेश के वैश्विक गंतव्य के रूपमें भारत के सतत और समावेशी विकास में वृद्धि' विषय पर सम्मेलन में कई प्रमुख विदेशी निवेशकों जैसे जनरल इलेक्ट्रिक, बैक्सटर हेल्थकेयर यूएसए, ब्रैंबल्स, मार्श एंड मैकलेनन कंपनीज, पेप्सिको आदि के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। गोलमेज सम्मेलन में लाइफ साइंसेज, हरित ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, बीमा, रक्षा, सुरक्षा, विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, हॉस्पिटैलिटी और डिजिटल इकॉनमी आदि क्षेत्रों पर चर्चा हुई।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत के लिए संसाधन जुटाने को वैश्विक टास्क फोर्स बनाने के शीर्ष-40 अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जिक्र किया कि भारत और अमेरिका ने 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। निर्मला सीतारमण ने हाल ही में घोषित प्रोत्साहन पैकेजों के बारे में बात की, जो निवेशकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हैं। उन्होंने निवेशकों को भारत में सुसंगत और निरंतर सुधारों के बारे में बताया, जिससे देश विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है और एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूपमें उभर रहा है। वित्तमंत्री ने गिफ्ट (जीआईएफटी) सिटी में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र से संबंधित इस साल की बजट पहलों का भी जिक्र किया, जिसे सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था और पूरे क्षेत्र के हित में नवाचार और वित्तीय गतिविधियों के वैश्विक प्रतिस्पर्धी हब के रूपमें विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर आधुनिक भारत के निर्माण केलिए समग्र दृष्टि से आगे बढ़ने की बात कही। वित्तमंत्री ने कहा कि देश अमेरिकी निवेशकों के साथ दीर्घकालिक संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस अवसर पर नीति और कराधान के क्षेत्रों में भारत की प्रगति का जिक्र किया। उन्होंने ई-वे बिल प्रणाली पर जोर दिया, जो अंतर्राज्यीय और राज्य के भीतर दोनों स्थिति में माल की तेज और ज्यादा निर्बाध तरीके से आवाजाही को बढ़ाती है। उन्होंने इस वर्ष के बजट के बारे में भी बात की, जिसमें निवेश और कर निर्धारण के मुद्दों का समाधान, संपत्ति मुद्रीकरण और निजीकरण पर फोकस किया गया है। गौरतलब है कि अमेरिका-भारत व्यापार परिषद का गठन 1975 में बिजनेस एडवोकेसी संगठन के रूपमें भारत और संयुक्तराज्य अमेरिका के निजी क्षेत्रों के निवेश प्रवाह को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए हुआ था। यह परिषद अमेरिका-भारत के बीच व्यापार को सरल, अधिक कुशलता के साथ और ज्यादा लाभदायक बनाने में मदद करती है। यह दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों को जोड़ती है और व्यावसायिक चुनौतियों के स्थायी समाधान केलिए प्रेरित करती है।