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गृहमंत्री ने बहादुर सीमा प्रहरियों को नमन किया

बीएसएफ के पहले डीजी केएफ रुस्तम पर स्मारक व्याख्यान दिया

उत्कृष्ट सेवा के लिए अधिकारी और कार्मिक अलंकृत किए गए

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Saturday 17 July 2021 05:36:07 PM

union home minister amit shah attends  bsf 18th investiture ceremony

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज अदम्य साहस, शौर्य, वीरता व उत्कृष्ट सेवा के लिए सीमा सुरक्षा बल के 18वें अलंकरण समारोह में बहादुर अधिकारियों और कार्मिकों को अलंकरण प्रदान किए। गृहमंत्री ने इस मौके पर बीएसएफ के पहले महानिदेशक केएफ रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान भी दिया। समारोह में सीमा सुरक्षा बल पर एक वृत्तचित्र ‘बावा’ का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव, आसूचना ब्यूरो निदेशक, रॉ प्रमुख, सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। केएफ रुस्तमजी को श्रद्धांजलि देते हुए अमित शाह ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सलाम किया और कहाकि सीमा सुरक्षा बल एवं देश के दूसरे अर्धसैनिक बलों के शौर्य के कारण ही भारत विश्व के नक्शे पर अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करा पा रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीमा सुरक्षा बल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नाम मात्र से ही दुश्मनों का दिल दहल जाता है और इसी कारण देश लोकतंत्र के विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहा कि दुनिया के नक़्शे पर भारत अपना स्थान मज़बूत कर रहा है, सभी बलों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण और अग्रिम पंक्ति में है। गृहमंत्री ने कहा कि उन बलिदानियों, वीरों और योद्धाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकता जो आज भी चाहे -45 डिग्री तापमान हो या 45 डिग्री की गर्मी हो, चाहे लद्दाख की सीमाएं हों या रेगिस्तान की गर्मी हो, चाहे पूर्वी सीमा में नदी-नाले, जंगल, पहाड़ हों, बीएसएफ़ और हमारी सारी पैरामिलिट्री फोर्सेस सीमा सुरक्षा के काम में लगी हैं, उन्हीं के कारण आज भारत विश्व के नक़्शे पर अपनी गौरवमयी स्थान उपस्थित करा रहा है। अमित शाह ने कहा कि रूस्तमजी ने एक ऐसे बल की शुरुआत की, जिसने अपने पसीने, निष्ठा, मेहनत, सजगता और बलिदान से एक महान कीर्ति स्तंभ की रचना की है और जो देश की रक्षा के लिए हज़ारों किलोमीटर से दिखाई पड़ता है।
गृहमंत्री ने कहा कि 1965 की लड़ाई के बाद सीमावर्ती क्षेत्र के राज्यों की 25 बटालियनों के साथ एक बीज के रूपमें सीमा सुरक्षा बल की शुरुआत हुई जो आज एक वटवृक्ष बन चुका है और पौने 3 करोड़ लोगों का परिवार बनकर देश को सुरक्षा मुहैया करा रहा है। गृहमंत्री ने कहा कि बीएसएफ़ ने एक उच्च बलिदान की परंपरा को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल की स्थापना के 6 साल बाद ही जब उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में सभी तरह के मानवाधिकारों का हनन हो रहा था, अकल्पनीय यातनाएं दी जाती थीं और जब स्थिति असहनीय हो गई तब उस स्थिति में भारत ने निर्णय लिया और बीएसएफ़ के जवानों ने एक अहम भूमिका निभाई, आज बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूपमें दुनिया के नक़्शे पर अस्तित्व में है। अमित शाह ने कहा कि चाहे युद्धकाल हो या शांतिकाल, बीएसएफ़ के जवानों ने हमेशा अपना कर्तव्य निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है, इसी का परिणाम है कि सीमा सुरक्षा बल को अनेक वीरता पुरस्कारों से अलंकृत किया गया है।
अमित शाह ने कहा कि लंबे समय से ही हम हमेशा एक विकट परिस्थिति में रहे कि लगभग 7,516 किलोमीटर की तटीय सीमा और 15 हज़ार किलोमीटर से लंबी भूमि सीमा से हमारे देश को आगे बढ़ना पड़ा और उसी वक्त जरूरत थी कि सीमा सुरक्षा पर ध्यान देकर इसकी संरचना की जाए, लेकिन लंबे अरसे तक इसपर समग्र रूपसे विचार नहीं हुआ। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तब इसे गति देने का काम हुआ, उनकी सरकार में पहलीबार ‘वन बॉर्डर, वन फ़ोर्स’ के सिद्धांत को स्वीकार किया गया और इसका एक स्ट्रक्चर्ड खाका शुरू हुआ और सबकी ज़िम्मेदारी तय हुई। गृहमंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सीमाओं पर इंफ्रास्ट्रक्चर के काम को प्राथमिकता से लिया है। उन्होंने कहा कि अगर तुलनात्मक तरीक़े से देखें तो वर्ष 2008 से 2014 तक 3,610 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ, जबकि वर्ष 2014 से 2020 तक 4,764 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ, इसी प्रकार सड़क निर्माण का बजट 2008-2014 के दौरान 23,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-20 के दौरान लगभग 44,000 करोड़ रुपये हो गया।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का ये दृष्टिकोण है कि जबतक सीमाओं का मूलभूत ढांचा ठीक नहीं करेंगे तो वहां से पलायन होता रहेगा और अगर वहां आबादी नहीं होगी तो सीमाओं की सुरक्षा करना बहुत कठिन हो जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 से 2014 के दौरान 7,270 मीटर लंबे पुलों का निर्माण हुआ, जबकि वर्ष 2014 से 2020 के दौरान ये दोगुना होकर 14,450 मीटर हो गया, वर्ष 2008-14 के दौरान मात्र एक सुरंग का निर्माण हुआ, जबकि वर्ष 2014-2020 के बीच छह नई सुरंगें छेड़खा बन चुकी हैं और 19 अन्य पर निर्माण कार्य जारी है। गृहमंत्री ने कहा कि सीमाओं पर गैप्स को भरने के लिए मोदी सरकार ने संवाद करके अड़चनों को दूर किया, उन्होंने ये विश्वास दिलाया कि वर्ष 2022 से पहले सीमा पर फ़ेंसिंग में कोई गैप नहीं रह जाएगा, उन्होंने कहा कि ये तीन प्रतिशत गैप ही घुसपैठ के लिए संभावनाएं छोड़ता है और बाक़ी 97 प्रतिशत फ़ेंसिंग को बेकार कर देता है। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने सीमांत क्षेत्रों के विकास और वहां से पलायन को रोकने के लिए भी ढेर सारी योजनाओं की शुरुआत की, इनके तहत दो वर्ष के लिए 888 करोड़ रुपये की सीमा विकास योजनाएं शुरू की गई हैं।
अमित शाह ने कहा कि सभी अर्धसैनिक बलों को नोडल एजेंसी बनाने का काम मोदी सरकार ने किया, सीमांत विकासोत्सव की शुरुआत गुजरात के कच्छ से हुई। अमित शाह ने कहा कि इसके अंतर्गत कच्छ की सीमा से सटे गांवों के सरपंच, तहसीलदारों को बुलाकर उनके विकास के प्रश्नों को समझा गया, इससे निश्चित तौरपर गांवों का विकास होगा और वहां से पलायन रुकेगा। अमित शाह ने कहा कि सरकार ने सीमाओं के क्षेत्रों को मज़बूत इंफ्रास्ट्रक्चर दिया, गांवों को विकसित किया, सभी पैरामिलिट्री फ़ोर्सेस को अच्छा माहौल दिया, उनकी जरूरतों को समझा, वहां रिक्त पदों को भरना जैसे काम किए और एक सुनियोजित योजना के साथ आगे बढ़े हैं। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार से पहले देश की स्वतंत्र रक्षा नीति ही नहीं थी और जो भी नीति थी वो देश की विदेश नीति से प्रभावित थी। मोदी सरकार आने के बाद रक्षा नीति स्वतंत्र हुई। उन्होंने कहा कि अच्छी रक्षा नीति के बिना ना तो देश का विकास हो सकता है और ना ही लोकतंत्र पनप सकता है। अमित शाह ने सुरक्षाबलों से ऐसे प्रयास करने का अनुरोध किया, जिनसे सीमावर्ती इलाक़ों के गांवों से पलायन रुके, क्योंकि ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि वहां से पलायन रुके और विकास की सारी योजनाएं पहुंचे। अमित शाह ने कहा कि सीमा सुरक्षा का मतलब है राष्ट्रीय सुरक्षा और जिस देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं, वो राष्ट्र सुरक्षित नहीं रह सकता है।
घुसपैठ, मानव तस्करी, गौ तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रोन जैसी चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए अमित शाह ने देश की पैरामिलिट्री फ़ोर्सेस की सजगता, समयानुकूल बदलाव लाने की उनकी क्षमता पर विश्वास जताया। गृहमंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने कई सुरंगों का पता लगाकर उनका वैज्ञानिक एनालिसिस करके एक बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के बढ़ते ख़तरे के ख़िलाफ़ मुहिम बहुत महत्वपूर्ण है और इसे रोकने केलिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियां स्वदेशी तकनीक पर काम कर रही हैं और जल्द ही ड्रोन विरोधी स्वदेशी प्रणाली के साथ सीमाओं पर तैनाती भी बढ़ेगी। अमित शाह ने सुरक्षा बलों की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने नक्सलविरोधी अभियान में भी बहुत अच्छा काम किया है। अमित शाह ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डिटेक्ट करना, सुरंगों का पता लगाना, पोर्टेबल एनक्रिप्टिड सामरिक मोबाइल संचार, एंटी-ड्रोन तकनीक जैसे विषयों पर एक सीरीज़ आफ हैकाथॉन से फ़ायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा के बारे में सभी ज़रूरी चीज़ों और तकनीक के बारे में हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं और हैकाथॉन सीरीज़ से इसमें फ़ायदा मिलेगा।

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