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Saturday 24 July 2021 02:24:27 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि आज हम गुरु पूर्णिमा भी मनाते हैं और आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक-दूसरे का हाथ थाम रहे हैं और एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र बताया, उन्होंने दुःख के बारे में बताया, दुःख के कारण के बारे में बताया, ये आश्वासन दिया कि दुःखों से जीता जा सकता है और इस जीत का रास्ता भी बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे मन और वाणी के बीच सामंजस्य और हमारे कर्म एवं प्रयास के बीच संकल्प हमें दुख से दूर करते हुए प्रसन्नता की ओर ले जाने में मार्गदर्शन कर सकता है, यह हमें अच्छे समय के दौरान जनकल्याण केलिए कार्य करने केलिए प्रेरित करता है तो हमें कठिन समय का सामना करने की शक्ति भी प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने हमें इस सद्भाव को हासिल करने केलिए आठ मार्ग दिए हैं ये हैं-सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक मन, सम्यक समाधि यानी मन की एकाग्रता। प्रधानमंत्री ने कहा कि मन, वाणी और संकल्प में, हमारे कर्मों और प्रयासों में अगर ये संतुलन है तो हम दुःखों से निकलकर प्रगति और सुख को हासिल कर सकते हैं, यही संतुलन हमें अच्छे समय में हमें लोककल्याण की प्रेरणा देता है और मुश्किल समय में धैर्य रखने की ताकत देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते थे तो केवल शब्द ही नहीं, बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता था, इसलिए तब उन्होंने केवल पांच शिष्यों को उपदेश दिया था, लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं और उनमें आस्था रखने वाले लोग हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब उपदेश करने वाले स्वयं बुद्ध हों तो स्वाभाविक है कि ये ज्ञान संसार के कल्याण का पर्याय बन जाता है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी के संकटपूर्ण समय में भगवान बुद्ध और अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने दिखाया है कि कैसे हम बुद्ध के मार्ग पर चलकर सबसे कठिन चुनौती का सामना कर सकते हैं, उनकी शिक्षाओं पर चलकर पूरा विश्व एकजुटता के साथ आगे बढ़ रहा है। आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम पर अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की 'प्रार्थना से देखभाल' पहल प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री ने 'धम्म पद' का उल्लेख करते हुए कहा कि शत्रुता से शत्रुता समाप्त नहीं होती, अपितु शत्रुता को प्रेम और व्यापक हृदय से शांत किया जाता है, त्रासदी के समय में दुनिया ने प्रेम और सद्भाव की इस शक्ति का अनुभव किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध के इस ज्ञान से मानवता का यह अनुभव समृद्ध होता जाता है और इससे दुनिया सफलता और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छुएगी।