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Tuesday 3 August 2021 12:25:42 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से 'ई-रुपी' लॉंच करते हुए कहा है कि देश डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम दे रहा है, ई-रुपी वाउचर देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन और डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को और प्रभावी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। उन्होंने कहा कि इससे लक्षित, पारदर्शी और रिसाव मुक्त वितरण में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत आज आधुनिक तकनीक की मदद से आगे बढ़ रहा है, टेक्नोलॉजी को जीवन से जोड़ रहा है, ई-रुपी भी उसका एक प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-रुपी सही अर्थों में व्यक्ति विशिष्ट और उद्देश्य विशिष्ट डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन है। उन्होंने कहा कि ई-रुपी दरअसल डिजिटल पेमेंट केलिए एक नकदरहित यानी कैशलेस और संपर्करहित साधन है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-रुपी इस बात का प्रतीक है कि भारत किस तरह से लोगों के जीवन को प्रौद्योगिकी से जोड़कर आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भविष्यवादी या अत्याधुनिक सुधार पहल ऐसे समय में की गई है, जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के अतिरिक्त अगर कोई संगठन किसी के इलाज, शिक्षा या अन्य किसी काम में सहायता करना चाहता है तो वह नकद की जगह ई-रुपी वाउचर देने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि उसके धन का उपयोग उस काम केलिए ही किया गया है, जिसके लिए रकम दी गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ई-रुपी यह सुनिश्चित करेगा कि धन का उपयोग उसी उद्देश्य केलिए किया जा रहा है, जिसके लिए कोई सहायता या कोई लाभ प्रदान किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा था, जब तकनीक को संपन्न लोगों का क्षेत्र माना जाता था और भारत जैसे गरीब देश में तकनीक का क्या काम, ऐसी सोच थी। उन्होंने इस बात को भी याद किया, जब इस सरकार ने तकनीक को एक मिशन के रूपमें लिया था, तब राजनीतिक नेताओं और कुछ खास तरह के विशेषज्ञों ने इसपर सवाल उठाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश ने उन लोगों की सोच को भी खारिज कर दिया और उन्हें गलत साबित कर दिया है, आज देश की सोच अलग है, यह नई है, हम तकनीक को गरीबों की सहायता करने और उनकी प्रगति केलिए एक उपकरण के रूपमें देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि तकनीक लेनदेन में पारदर्शिता और प्रमाणिकता ला रही है व नए अवसर पैदा कर रही है, साथ ही उन्हें गरीबों को उपलब्ध करा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विशेष उत्पादों तक पहुंच केलिए मोबाइल और आधार को जोड़ने वाली जेएएम प्रणाली की स्थापना के द्वारा वर्षों के दौरान नींव तैयार की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जेएएम के लाभ लोगों को नज़र आने में कुछ समय लगा और हमने देखाकि लॉकडाउन के दौरान जब दूसरे देशों को लोगों तक सहायता पहुंचाने केलिए जूझना पड़ रहा था, वहीं हम जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 17.5 लाख करोड़ रुपये सीधे लोगों के खातों में हस्तांतरित किए गए। उन्होंने कहा कि 300 से ज्यादा योजनाएं डीबीटी का उपयोग कर रही हैं, करीब 90 करोड़ भारतीय किसी न किसी रूपमें या एलपीजी, राशन, चिकित्सा उपचार, छात्रवृत्ति, पेंशन या वेतन वितरण जैसे क्षेत्रों में लाभांवित हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को सीधे 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, गेहूं की सरकारी खरीद केलिए 85 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि 1 लाख 78 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में डिजिटल लेनदेन के विकास से गरीब, वंचित, छोटे उद्यम, किसान और आदिवासी आबादी सशक्त हुई है, यह जुलाई में 6 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 300 करोड़ यूपीआई लेनदेन से महसूस किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने साबित किया है कि वह तकनीक को अपनाने और उससे जुड़ने में दुनिया में किसी से पीछे नहीं है। उन्होंने कहा कि नवाचार सेवाएं देने में तकनीक के उपयोग की बात हो तो भारत दुनिया के बड़े देशों के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की क्षमता रखता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना ने देश के बड़े शहरों और छोटे कस्बों में 23 लाख से ज्यादा रेहड़ी-पटरी वालों की मदद की है, महामारी के दौरान उनके बीच लगभग 2,300 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6-7 वर्ष में देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल लेन-देन के लिए किए गए कार्यों के प्रभाव को पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि खासतौर पर भारत में फिनटेक का बहुत व्यापक आधार तैयार हुआ है, जो यहां तककि विकसित देशों में भी नहीं है। कार्यक्रम में राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, रिज़र्व बैंक के गवर्नर, राज्यों के मुख्य सचिव, उद्योग संघ से लोग, स्टार्ट अप, फिनटेक की लोग और बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।