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Thursday 5 August 2021 12:47:03 PM
नई दिल्ली। देश में जल सुरक्षा को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक विकास को समर्थन प्रदान करने केलिए भारत सरकार ने बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना के दूसरे चरण केलिए विश्व बैंक के साथ 250 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे पूरे भारत में मौजूद बांधों और समुदायों को सुरक्षित और लोचदार बनाया जा सके। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु एवं केंद्रीय जल आयोग शामिल हुआ। एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक से समीकृत 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बाहरी फंडिंग विचाराधीन है। यह ड्रिप फेज-2 बाह्य सहायता प्राप्त ड्रिप फेज-2 और फेज-3 का पहला चरण है, जिसे भारत सरकार ने अक्टूबर 2020 में अनुमोदित किया था। योजना में 19 राज्यों और 3 केंद्रीय एजेंसियों की भागीदारी है। दोनों चरणों केलिए बजट का खर्च 10,211 करोड़ रुपये है, जिसके कार्यांवयन की अवधि 10 वर्ष है।
बांध परियोजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा, दो वर्ष के ओवरलैप के साथ प्रत्येक चरण की अवधि 6 वर्ष है। समझौते पर भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा ने हस्ताक्षर किए, जल शक्ति मंत्रालय का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सचिव देबश्री मुखर्जी ने किया, विश्व बैंक की ओर से भारत में कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद शामिल हुए और संबंधित राज्यों का प्रतिनिधित्व वहां के आधिकारिक प्रतिनिधियों ने किया। यह योजना सुरक्षा एवं परिचालन निष्पादन में सुधार, विभिन्न उपायों से संस्थागत सुदृढ़ीकरण, बांधों के चिरस्थायी संचालन एवं रखरखाव केलिए आकस्मिक राजस्व उत्पादन आदि विभिन्न समस्याओं का समाधान करके चयनित बांधों का भौतिक पुनर्वास करते हुए भारत सरकार की बांध सुरक्षा पहल को मजबूती प्रदान करेगी। यह योजना बांध सुरक्षा में वैश्विक जानकारी प्राप्त करने और अभिनव प्रौद्योगिकियों का संचार करने केलिए बनाई गई है। परियोजना के अंतर्गत परिकल्पित प्रमुख नवाचार, जिससे देश में बांध सुरक्षा प्रबंधन में बदलाव आने की संभावना है, बांध परिसंपत्ति प्रबंधन करने केलिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण की एक शुरुआत है, जो प्राथमिकता वाले बांधों की सुरक्षा आवश्यकताओं केलिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी रूपसे आवंटित करने में सहायता प्रदान करेगा।
बांध पुनर्वास और सुधार योजना कार्यांवयन भारतीय बांध मालिकों को अपने मानव संसाधनों को तैयार करने हेतु सुसज्जित करेगा, जिससे प्रस्तावित बांध सुरक्षा कानून में परिकल्पित की गई कई महत्वपूर्ण गतिविधियों को व्यापक रूपसे नियंत्रित किया जा सके। यह कार्यक्रम राज्यों और बांध मालिकों को इन सुरक्षा प्रोटोकॉल एवं गतिविधियों के लिए चयनित बांधों से परे अपने अधिकार क्षेत्र में सभी बांधों तक विस्तारित होने में सक्षम बनाएगा, इससे देश में बांध सुरक्षा संस्कृति में व्याप्क रूपसे बढ़ोत्तरी होगी। यह कार्यक्रम बांध सुरक्षा विधेयक-2019 में बांध मालिकों के साथ प्रस्तावित नियामकों केलिए क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने के साथ-साथ बांध सुरक्षा केलिए आवश्यक प्रोटोकॉल बनाने वाले प्रावधानों को पूरा करता है। इसके माध्यम से अकुशल कामगारों केलिए दस लाख व्यक्ति दिवस और कामकाजी पेशेवरों के लिए 2.5 लाख व्यक्ति दिवस के बराबर रोज़गार के अवसर प्राप्त होने की संभावना है। चीन और संयुक्तराज्य अमेरिका के बाद भारत वैश्विक स्तरपर तीसरे स्थान पर है, जहां पर 5,334 बड़े बांध संचालित किए जा रहे हैं। वर्तमान समय में लगभग 411 बांध निर्माणाधीन हैं, यहां पर कई हजार छोटे-छोटे बांध भी मौजूद हैं, ये बांध देश की जलीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय बांध और जलाशय वार्षिक रूपसे लगभग 300 अरब घन मीटर पानी का भंडारण करते हैं और हमारे देश के आर्थिक और कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बांध परिसंपत्ति प्रबंधन और सुरक्षा मामलों में एक बड़ी जिम्मेदारी निभाते हैं। बांधों की विफलता के नतीजे मानव जीवन एवं संपत्ति और पारिस्थितिकी के नुकसान के रूपमें भयावह साबित हो सकते हैं। ड्रिप कार्यक्रम के पहले चरण में 7 राज्यों में 223 बांधों को शामिल किया गया है, जिन्हें मार्च 2021 में बंद कर दिया गया था, इसमें पद्धति आधारित व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाते हुए संस्थागत मजबूती के साथ चयनित बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार किया गया है। वर्तमान समय में चल रहे ड्रिप से प्राप्त गति को आगे बढ़ाने केलिए और इसका लंबवत एवं क्षैतिज विस्तार करने के लिए नई योजना ड्रिप फेज-2 में देश के 19 राज्यों के बड़े बांधों को शामिल किया गया है, इसे विश्व बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक ने 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ सह-वित्तपोषित किया है। योजना का उद्देश्य संरचनात्मक के साथ गैर-संरचनात्मक उपायों जैसे भौतिक पुनर्वास, संचालन एवं रखरखाव नियमावली, आपातकालीन तैयारी, कार्य योजनाएं, पूर्व चेतावनी प्रणाली जैसे विभिन्न उपायों को अपनाते हुए विशेष रूपसे बांध की विफलता के जोखिमों में कमी लाना और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, नदी की पारिस्थितिकी और चयनित बांधों की तराई में अवस्थित संपत्ति को निरंतर बनाए रखने पर केंद्रित करना है।
परियोजना के लिए चयनित जलाशयों के जीवन को और लंबा किया जाएगा, इसके बदले में ये परिसंपत्तियां लोगों को सिंचाई, पेयजल, पनबिजली, बाढ़ नियंत्रण आदि जैसे विभिन्न प्रत्यक्ष लाभ उन्हें लंबे समय तक कुशलतापूर्वक प्रदान करेंगे। बांध मालिकों की क्षमता पर समान रूपसे ध्यान दिया गया है, ताकि एक वर्ष के अंतर्गत आनेवाले सभी मौसमों में बांधों के बेहतर संचालन केलिए प्रशिक्षित और कुशल जनशक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित किया जा सके। बांध मालिकों केलिए विभिन्न तकनीकी और प्रबंधकीय पहलुओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, उनमें आत्मविश्वास का निर्माण और बांध सुरक्षा के मामलों का समाधान वैज्ञानिक रूपसे करने केलिए एक ज्ञान पूल का निर्माण करने में सहायता प्रदान करेगा। भारत में बांध पोर्टफोलियो का आकार और मौजूदा परिसंपत्तियों का संचालन एवं रखरखाव में होनेवाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार देश में बांध सुरक्षा पेशेवरों के पूल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। आईआईएससी और आईआईटी जैसे प्रमुख अकादमिक संस्थानों के साथ साझेदारी, बांध मालिकों और 5 केंद्रीय एजेंसियों की क्षमता में बढ़ोत्तरी प्रावधान, आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करेंगे। भारत खुद को बांध सुरक्षा के दृष्टिकोण से विशेष रूपसे दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया में एक ज्ञानी अधिनायक के रूपमें स्थापित करेगा।